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‘हम पर हमेशा रहता है उम्मीदों का दबाव, चाहे सामने कोई भी टीम हो’
उन्होंने कहा, जब आप इस तरह के टूर्नामेंट में यहां तक आते हो और फिर विफल
हो जाता है तो हर किसी को निराशा होती है, लेकिन भारतीय टीम हमेशा से दबाव
लेकर चलती है चाहे हम जहां भी खेलें। ईमानदारी से कहूं तो हम इसके आदी हो
गए हैं। भारत का यह विश्व कप में लगातार तीसरा सेमीफाइनल है। इससे पहले वो
2011 और 2015 में सेमीफाइनल में पहुंची थी। 2011 में वो विजेता बनी थी तो
वहीं 2015 में ऑस्ट्रेलिया ने उसका रास्ता रोक दिया था।
कोहली ने कहा कि इस टूर्नामेंट में आने के बाद से उनकी टीम का पहला लक्ष्य सेमीफाइनल में जगह बनाना था। उन्होंने कहा, जाहिर सी बात है बीते दो सेमीफाइनल का परिणाम काफी अलग था। मोहाली में जब हम सेमीफाइनल जीते थे तो वह मेरा पहला विश्व कप था। हमने फाइनल में जगह बनाई थी। उस समय हम घर में खेल रहे थे। 2015 में ज्यादा परिपक्व हो गया था, लेकिन टीम का सेमीफाइनल से आगे न जाना निराशाजनक था।
उन्होंने कहा, इस बार, चूंकि प्रारूप अलग है, हम समझते हैं कि टूर्नामेंट लंबा है और खिलाडिय़ों ने काफी मेहनत की है। ऐसे में जब आपको पता चलता है कि आपने इस टूर्नामेंट का अपना पहला लक्ष्य-सेमीफाइनल में पहुंचाना, हासिल कर लिया है तो इससे आपको काफी ऊर्जा मिलती है।
कोहली ने कहा कि इस टूर्नामेंट में आने के बाद से उनकी टीम का पहला लक्ष्य सेमीफाइनल में जगह बनाना था। उन्होंने कहा, जाहिर सी बात है बीते दो सेमीफाइनल का परिणाम काफी अलग था। मोहाली में जब हम सेमीफाइनल जीते थे तो वह मेरा पहला विश्व कप था। हमने फाइनल में जगह बनाई थी। उस समय हम घर में खेल रहे थे। 2015 में ज्यादा परिपक्व हो गया था, लेकिन टीम का सेमीफाइनल से आगे न जाना निराशाजनक था।
उन्होंने कहा, इस बार, चूंकि प्रारूप अलग है, हम समझते हैं कि टूर्नामेंट लंबा है और खिलाडिय़ों ने काफी मेहनत की है। ऐसे में जब आपको पता चलता है कि आपने इस टूर्नामेंट का अपना पहला लक्ष्य-सेमीफाइनल में पहुंचाना, हासिल कर लिया है तो इससे आपको काफी ऊर्जा मिलती है।
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