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पढ़ें, विश्व कप टीम के साथ इंग्लैंड जा रहे विजय शंकर का इंटरव्यू

नई दिल्ली। हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर ने अपने सामने नंबर-4 बल्लेबाजी क्रम को लेकर बहस को उठते हुए देखा है। कई पूर्व क्रिकेटर और क्रिकेट पंडित मानते हैं कि इस क्रम के लिए युवा ऋषभ पंत और अनुभवी अंबाति रायुडू अच्छे विकल्प होते, लेकिन पांच सदस्यों की चयन समिति ने इन दोनों को नकारते हुए शंकर को चुना। अगर देखा जाए तो शंकर का विवादों से पुराना नाता है।
इतिहास बताता है कि शंकर और विवाद साथ-साथ चलते हैं। इस देश में कोई भी निदास ट्रॉफी के उस फाइनल को नहीं भूला होगा जहां शंकर अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे। शंकर ने 19 गेंदों में 17 रन बनाए थे। हालांकि दिनेश कार्तिक की बदौलत भारत ने वह मैच जीत लिया था, लेकिन शंकर के सामने बार-बार उस पारी का भूत आकर खड़ा हो जाता। लेकिन काले बादलों के बाद धूप निखरकर सामने आती है और यही शंकर के साथ हुआ।
हाल ही आईपीएल-12 में सनराइजर्स हैदराबाद टीम के सदस्य रहे शंकर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उस वाकये ने उन्हें जीवन का अहम पाठ पढ़ाया और एक मजबूत इंसान बनाया जो समझ सका कि मौजूदा पल का लुत्फ कैसे उठाया जाता है और क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह तक नहीं पता कि वे उस फाइनल मैच में पहली बार भारतीय टीम की तरफ से बल्लेबाजी करने उतरे थे।
उन्होंने कहा कि मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि निदास ट्रॉफी एक क्रिकेटर के तौर पर मेरे लिए जीवन बदलने वाला पल था। उस बात को तकरीबन एक साल हो चुका है और हर कोई जानता है कि क्या हुआ था और वह कितना मुश्किल था। उन्होंने कहा, मैंने तकरीबन 50 फोन कॉल लिए थे। मीडिया के लोग मुझसे फोन कर रहे थे और वही सवाल पूछ रहे थे। यहां तक की सोशल मीडिया मेरे लिए मुसीबत बन गया था।
मैं थोड़ा निराश हो गया था और उससे बाहर निकलने में मुझे समय लगा। उन्होंने कहा, लेकिन, दूसरी तरफ इन सभी चीजों ने मुझे सिखाया कि इस तरह की स्थिति को कैसे संभालना है और किस तरह से बाहर आना है। उस वाकये ने मुझे बताया कि एक दिन खराब होने का मतलब यह नहीं है कि विश्व का अंत हो गया। यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ, यह बीते वर्षों में कई शीर्ष खिलाडिय़ों के साथ हुआ है।
इतिहास बताता है कि शंकर और विवाद साथ-साथ चलते हैं। इस देश में कोई भी निदास ट्रॉफी के उस फाइनल को नहीं भूला होगा जहां शंकर अहम समय पर रन न बनाने के कारण विलेन बन गए थे। शंकर ने 19 गेंदों में 17 रन बनाए थे। हालांकि दिनेश कार्तिक की बदौलत भारत ने वह मैच जीत लिया था, लेकिन शंकर के सामने बार-बार उस पारी का भूत आकर खड़ा हो जाता। लेकिन काले बादलों के बाद धूप निखरकर सामने आती है और यही शंकर के साथ हुआ।
हाल ही आईपीएल-12 में सनराइजर्स हैदराबाद टीम के सदस्य रहे शंकर ने आईएएनएस से बात करते हुए कहा कि उस वाकये ने उन्हें जीवन का अहम पाठ पढ़ाया और एक मजबूत इंसान बनाया जो समझ सका कि मौजूदा पल का लुत्फ कैसे उठाया जाता है और क्रिकेट के मैदान पर ज्यादा दबाव नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह तक नहीं पता कि वे उस फाइनल मैच में पहली बार भारतीय टीम की तरफ से बल्लेबाजी करने उतरे थे।
उन्होंने कहा कि मैं निश्चित तौर पर कहूंगा कि निदास ट्रॉफी एक क्रिकेटर के तौर पर मेरे लिए जीवन बदलने वाला पल था। उस बात को तकरीबन एक साल हो चुका है और हर कोई जानता है कि क्या हुआ था और वह कितना मुश्किल था। उन्होंने कहा, मैंने तकरीबन 50 फोन कॉल लिए थे। मीडिया के लोग मुझसे फोन कर रहे थे और वही सवाल पूछ रहे थे। यहां तक की सोशल मीडिया मेरे लिए मुसीबत बन गया था।
मैं थोड़ा निराश हो गया था और उससे बाहर निकलने में मुझे समय लगा। उन्होंने कहा, लेकिन, दूसरी तरफ इन सभी चीजों ने मुझे सिखाया कि इस तरह की स्थिति को कैसे संभालना है और किस तरह से बाहर आना है। उस वाकये ने मुझे बताया कि एक दिन खराब होने का मतलब यह नहीं है कि विश्व का अंत हो गया। यह सिर्फ मेरे साथ नहीं हुआ, यह बीते वर्षों में कई शीर्ष खिलाडिय़ों के साथ हुआ है।
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