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सिंधु ने तीन माह तक नहीं किया इसका उपयोग, इनसे भी रहीं दूर
नई दिल्ली। ग्लासगो में आयोजित विश्व चैम्पियनशिप में रजत पदक जीतने वालीं देश की अग्रणी बैडमिंटन खिलाड़ी पुसर्ला वेंकट सिंधु ने कहा है कि जहां तक बैडमिंटन का सवाल है तो उनका मानना है कि देश में असीम प्रतिभा है और वह दिन दूर नहीं जब दूसरी सिंधु या सायना सामने आ जाएं। रियो ओलम्पिक में रजत पदक जीतने वालीं सिंधु ने 2013 और 2014 में विश्व चैम्पियनशिप में अपने प्रदर्शन को सुधारते हुए इस साल रजत पदक जीता।
वे फाइनल मैच में जापान की निजोमी ओकुहारा के हाथों हार गईं लेकिन एक घंटे 50 मिनट तक चले मुकाबले के दौरान सिंधु ने पूरे देश का दिल जीत लिया। सिंधु ने भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के अध्यक्ष हिमंता बिस्वा सरमा की उस मुहिम का स्वागत किया है, जिसके तहत वह 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों तक देश में पदक जीतने की क्षमता रखने वाले कई बैडमिंटन स्टार पैदा करना चाहते हैं।
सिंधु के अलावा ग्लासगो में सायना नेहवाल ने भी कांस्य पदक जीता। सायना 2015 के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकीं और सेमीफाइनल में ओकुहारे के हाथों हार गईं। 2015 में सायना ने रजत जीता था लेकिन सायना और सिंधु के पदकों के कारण भारत विश्व चैम्पियनशिप में अपना अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा।
जहां तक महिला एकल की बात है तो भारत में सायना और सिंधु के अलावा दूर-दूर तक कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं, जो शीर्ष स्तर पर पदक जीत सके लेकिन सिंधु को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारत के पास सिंधु और सायना जैसी कई खिलाड़ी होंगे क्योंकि जिस स्तर की प्रतिभा उन्होंने देखी है, इससे यही उम्मीद बंधी है। सिंधु ने आईएएनएस को टेलीफोन पर दिए गए साक्षात्कार में कहा, मैं भारतीय बैडमिंटन संघ को शुभकामनाएं देना चाहती हूं।
मैं देख रही हूं कि कई सिंधु आने वाले समय में आगे आएंगी। यह काफी हद तक सम्भव है। भारत में असीम प्रतिभा है। सिंधु ने 22 साल की उम्र में वैश्विक स्तर पर चार पदक जीते हैं। विश्व चैम्पियनशिप में तीन और ओलम्पिक में एक पदक के अलावा सिंधु के नाम सुपर सीरीज और ग्रैंड प्रिक्स आयोजनों में भी पदक हैं लेकिन उनकी भूख अभी खत्म नहीं हुई है।
वे फाइनल मैच में जापान की निजोमी ओकुहारा के हाथों हार गईं लेकिन एक घंटे 50 मिनट तक चले मुकाबले के दौरान सिंधु ने पूरे देश का दिल जीत लिया। सिंधु ने भारतीय बैडमिंटन संघ (बीएआई) के अध्यक्ष हिमंता बिस्वा सरमा की उस मुहिम का स्वागत किया है, जिसके तहत वह 2018 एशियाई खेलों और राष्ट्रमंडल खेलों तक देश में पदक जीतने की क्षमता रखने वाले कई बैडमिंटन स्टार पैदा करना चाहते हैं।
सिंधु के अलावा ग्लासगो में सायना नेहवाल ने भी कांस्य पदक जीता। सायना 2015 के अपने प्रदर्शन को दोहरा नहीं सकीं और सेमीफाइनल में ओकुहारे के हाथों हार गईं। 2015 में सायना ने रजत जीता था लेकिन सायना और सिंधु के पदकों के कारण भारत विश्व चैम्पियनशिप में अपना अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करने में सफल रहा।
जहां तक महिला एकल की बात है तो भारत में सायना और सिंधु के अलावा दूर-दूर तक कोई ऐसा खिलाड़ी नहीं, जो शीर्ष स्तर पर पदक जीत सके लेकिन सिंधु को उम्मीद है कि आने वाले समय में भारत के पास सिंधु और सायना जैसी कई खिलाड़ी होंगे क्योंकि जिस स्तर की प्रतिभा उन्होंने देखी है, इससे यही उम्मीद बंधी है। सिंधु ने आईएएनएस को टेलीफोन पर दिए गए साक्षात्कार में कहा, मैं भारतीय बैडमिंटन संघ को शुभकामनाएं देना चाहती हूं।
मैं देख रही हूं कि कई सिंधु आने वाले समय में आगे आएंगी। यह काफी हद तक सम्भव है। भारत में असीम प्रतिभा है। सिंधु ने 22 साल की उम्र में वैश्विक स्तर पर चार पदक जीते हैं। विश्व चैम्पियनशिप में तीन और ओलम्पिक में एक पदक के अलावा सिंधु के नाम सुपर सीरीज और ग्रैंड प्रिक्स आयोजनों में भी पदक हैं लेकिन उनकी भूख अभी खत्म नहीं हुई है।
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