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‘थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन इस खेल को भी पहचान मिलेगी’
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय भारोत्तोलकों का प्रदर्शन शानदार रहा। भारत ने इस खेल में पांच स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदकों सहित कुल नौ पदकों पर कब्जा जमाया। इस प्रदर्शन ने इस खेल को कई लोगों की नजरों में ला दिया है और 94 किलोग्राम भारवर्ग में देश को कांस्य पदक दिलाने वाले हिमाचल प्रदेश के विकास ठाकुर को भी उम्मीद है कि इस प्रदर्शन से भारोत्तोलन को एक नई पहचान मिलेगी और आने वाले दिनों में इसमें और पदकधारी निकलकर आएंगे।
विकास ने गोल्ड कोस्ट से लौटने के बाद आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा कि वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आने वाले दिनों में भारत भारोत्तोलन में और मजबूत होगा। विकास ने कहा, मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारोत्तोलन को बहुत पहचान मिलेगी। इस खेल को भी बाकी खेलों की तरह जाना जाएगा। इस बार जो प्रदर्शन रहा है वो बदलाव लेकर आएगा और इस खेल को नई पहचान मिलेगी। हम बाकी खेलों में अच्छा कर रहे हैं बैडमिंटन में, कुश्ती में आने वाले चार-पांच सालों में हम इस खेल में भी और बेहतर करेंगे।
थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन इस खेल को भी पहचान मिलेगी। विकास अमूमन 85 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते थे, लेकिन रियो ओलंपिक के बाद लगी कंधे में चोट के कारण उन्हें अपने भारवर्ग में डॉक्टर के कहने पर बदलाव करना पड़ा और वह राष्ट्रमंडल खेलों में 94 किलोग्राम भारवर्ग में उतरे। बकौल विकास, मुझे चोट लग गई थी। कंधे की सर्जरी हुई तो मैंने अपने नियमित भारवर्ग 85 किलोग्राम से ज्यादा में हिस्सा लिया था।
डॉक्टर ने मुझसे ऐसा करने को कहा था ताकि मसल सही रह सकें। उस लिहाज से मैं अपने प्रदर्शन से काफी खुश हूं। मैंने 10 महीने रिहैब में गुजारे उसके बाद मैं राष्ट्रमंडल खेलों में गया। अभ्यास में मैंने क्लीन एंड जर्क में 200 के करीब भार उठाया था, लेकिन वहां नहीं हो पाया। होता है कई बार, लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।
विकास ने गोल्ड कोस्ट से लौटने के बाद आईएएनएस से फोन पर बातचीत में कहा कि वे इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि आने वाले दिनों में भारत भारोत्तोलन में और मजबूत होगा। विकास ने कहा, मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में भारोत्तोलन को बहुत पहचान मिलेगी। इस खेल को भी बाकी खेलों की तरह जाना जाएगा। इस बार जो प्रदर्शन रहा है वो बदलाव लेकर आएगा और इस खेल को नई पहचान मिलेगी। हम बाकी खेलों में अच्छा कर रहे हैं बैडमिंटन में, कुश्ती में आने वाले चार-पांच सालों में हम इस खेल में भी और बेहतर करेंगे।
थोड़ा समय जरूर लगेगा, लेकिन इस खेल को भी पहचान मिलेगी। विकास अमूमन 85 किलोग्राम भारवर्ग में खेलते थे, लेकिन रियो ओलंपिक के बाद लगी कंधे में चोट के कारण उन्हें अपने भारवर्ग में डॉक्टर के कहने पर बदलाव करना पड़ा और वह राष्ट्रमंडल खेलों में 94 किलोग्राम भारवर्ग में उतरे। बकौल विकास, मुझे चोट लग गई थी। कंधे की सर्जरी हुई तो मैंने अपने नियमित भारवर्ग 85 किलोग्राम से ज्यादा में हिस्सा लिया था।
डॉक्टर ने मुझसे ऐसा करने को कहा था ताकि मसल सही रह सकें। उस लिहाज से मैं अपने प्रदर्शन से काफी खुश हूं। मैंने 10 महीने रिहैब में गुजारे उसके बाद मैं राष्ट्रमंडल खेलों में गया। अभ्यास में मैंने क्लीन एंड जर्क में 200 के करीब भार उठाया था, लेकिन वहां नहीं हो पाया। होता है कई बार, लेकिन मैं अपने प्रदर्शन से संतुष्ट हूं।
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