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U-19 विश्व कप : फाइनल में इन गलतियों के कारण 5वीं बार ट्रॉफी चूमने से चूकी भारतीय टीम
नई दिल्ली। भारत ने अंडर-19 विश्व कप फाइनल तक पहुंचने के लिए सब कुछ किया। टीम फाइनल में पहुंची भी। फाइनल तक पहुंचने के सफर में जब टीम की बल्लेबाजी विफल हुई तो उसके गेंदबाजों ने मैच जिताया और जब गेंदबाज असफल रहे तो उसके बल्लेबाजों ने मैच जिताया। लेकिन फाइनल में जाकर टीम की किस्मत उससे रूठ गई। फाइनल का दिन किसी भी भारतीय खिलाड़ी का दिन नहीं था और शायद रही कारण रहा कि टीम को बांग्लादेश के हाथों तीन विकेट से हार झेलकर खिताब गंवाना पड़ा।
बांग्लादेश किसी भी स्तर पर पहली बार आईसीसी विश्व कप जीतने में कामयाब रहा। वहीं, भारत का रिकॉर्ड पांचवीं बार चैंपियन बनने का सपना टूट गया। भारत ने इससे पहले 2000, 2008, 2012 और 2018 में यह खिताब अपने नाम किया था। दक्षिण अफ्रीका में अपने खिताब बचाओ अभियान की शुरुआत करने से पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज खेली और विश्व कप की तीन अन्य टीमों के खिलाफ भी मैच खेले।
इन मैचों में भारत ने अपने मध्यक्रम में तिलक वर्मा, सिद्धेश वीर और ध्रुव जुरेल के बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर दोनों सीरीज भी जीती। लेकिन विश्व कप में ग्रुप चरण के मैचों को छोड़ दिया जाए तो नॉकआउट चरण में भारत का मध्यक्रम असफल रहा। क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की मध्यक्रम की विफलता सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ पता नहीं चल पाई क्योंकि भारत ने इस मैच में पाकिस्तान को 10 विकेट से हरा दिया था।
फाइनल में नंबर चार से लेकर नंबर सात तक बल्लेबाजों ने केवल 32 रनों का योगदान दिया। फाइनल में भारतीय टीम बांग्लादेश की कसी गेंदबाजों के सामने केवल 177 रन ही बना सकी। कप्तान प्रियम गर्ग ने माना कि मध्य ओवरों में समय का अभाव एक अलग भूमिका निभा सकती थी। उन्होंने कहा, तीन ओवर पहले ही ऑलआउट होना भी एक कारण है।
लेकिन जिस तरह से हमने शुरुआत की उसे देखते हुए हमारे मध्यक्रम को इसे अच्छी तरह से फिनिश करना चाहिए था। जायसवाल और सक्सेना ने विकेट के अनुसार हमें शुरुआत दी और यह अच्छा था। इसके बाद तिलक वर्मा ने भी अच्छी शुरुआत दी। लेकिन अच्छी शुरुआत के बावजूद हमारा मध्यक्रम इसे आगे जारी नहीं रख पाया।
बांग्लादेश किसी भी स्तर पर पहली बार आईसीसी विश्व कप जीतने में कामयाब रहा। वहीं, भारत का रिकॉर्ड पांचवीं बार चैंपियन बनने का सपना टूट गया। भारत ने इससे पहले 2000, 2008, 2012 और 2018 में यह खिताब अपने नाम किया था। दक्षिण अफ्रीका में अपने खिताब बचाओ अभियान की शुरुआत करने से पहले भारत ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ द्विपक्षीय सीरीज खेली और विश्व कप की तीन अन्य टीमों के खिलाफ भी मैच खेले।
इन मैचों में भारत ने अपने मध्यक्रम में तिलक वर्मा, सिद्धेश वीर और ध्रुव जुरेल के बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर दोनों सीरीज भी जीती। लेकिन विश्व कप में ग्रुप चरण के मैचों को छोड़ दिया जाए तो नॉकआउट चरण में भारत का मध्यक्रम असफल रहा। क्वार्टर फाइनल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत की मध्यक्रम की विफलता सेमीफाइनल में पाकिस्तान के खिलाफ पता नहीं चल पाई क्योंकि भारत ने इस मैच में पाकिस्तान को 10 विकेट से हरा दिया था।
फाइनल में नंबर चार से लेकर नंबर सात तक बल्लेबाजों ने केवल 32 रनों का योगदान दिया। फाइनल में भारतीय टीम बांग्लादेश की कसी गेंदबाजों के सामने केवल 177 रन ही बना सकी। कप्तान प्रियम गर्ग ने माना कि मध्य ओवरों में समय का अभाव एक अलग भूमिका निभा सकती थी। उन्होंने कहा, तीन ओवर पहले ही ऑलआउट होना भी एक कारण है।
लेकिन जिस तरह से हमने शुरुआत की उसे देखते हुए हमारे मध्यक्रम को इसे अच्छी तरह से फिनिश करना चाहिए था। जायसवाल और सक्सेना ने विकेट के अनुसार हमें शुरुआत दी और यह अच्छा था। इसके बाद तिलक वर्मा ने भी अच्छी शुरुआत दी। लेकिन अच्छी शुरुआत के बावजूद हमारा मध्यक्रम इसे आगे जारी नहीं रख पाया।
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