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मौकों को भुना नहीं पाए संजू सैमसन! पंत के बाद माना जा रहा था धोनी का उत्तराधिकारी, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

नई दिल्ली। महेंद्र सिंह धोनी के विकल्पों की बात होती है तो सबसे पहले ऋषभ पंत का नाम लिया जाता था और कहा जाता था कि वही एकमात्र हैं जिनमें धोनी की कमी पूरी करने का दम है। वक्त के साथ यह मुगालता निकला और संजू सैमसन का नाम धोनी के उत्तराधिकारी के तौर पर चर्चाओं में आ गया, लेकिन लग रहा है कि संजू ने हाथ आए इस मौके को आसानी से फिसलने दे दिया। कारण उन्हें बार-बार दिए गए मौके हैं जिनमें वो विफल रहे और अपनी परिपक्वता को साबित नहीं कर सके। संजू ने यूं तो 2015 में भारतीय टीम के लिए पदार्पण किया था।
हरारे में वे 19 जुलाई को जिम्बाब्वे के खिलाफ पहली बार टी20 मैच में खेले थे। टीम की जर्सी उन्हें अंडर-19 स्तर और फिर आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के साथ बेहतरीन प्रदर्शन के बाद मिली थी। अपने पहले मैच में संजू सिर्फ 19 रन ही बना सके थे। इस सीरीज के बाद संजू को वनवास मिला और वे लगातार राष्ट्रीय टीम से नजरअंदाज किए जाने लगे।
घरेलू क्रिकेट में या इंडिया-ए के लिए वे लगातार अच्छा कर रहे थे लेकिन इस बीच पंत के उदय ने संजू के अस्त की कहानी लिखनी शुरू कर दी थी। किस्मत हालांकि पलटी और पंत उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। पंत से इतर जब चयनकर्ताओं ने देखा तो संजू का चेहरा दिखा। लंबे समय बाद 2019 में वे बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुने गए। लेकिन अफसोस यह रहा कि वे अंतिम-11 में नहीं थे।
वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई टी20 सीरीज के लिए भी चोटिल शिखर धवन के स्थान पर संजू को चुना गया लेकिन फिर भी अंतिम-11 में मौका नहीं मिला। श्रीलंका के खिलाफ खेली गई तीन मैचों की टी20 सीरीज के आखिरी मैच में सैमसन अंतिम-11 में जगह बनाने में सफल रहे। पहली गेंद पर आते ही छक्का लगाया लेकिन फिर जल्दबाजी में खराब शॉट खेलकर आउट हो गए।
यह व्यवहार संजू के खिलाफ गया। उनसे उम्मीद थी कि वे विकेट पर खड़े होकर टीम के स्कोरबोर्ड को अच्छे से चलाएंगे। संजू यह कर नहीं सके। कारण शायद दबाव रहा होगा। न्यूजीलैंड दौरे के लिए जब टीम चुनी गई थी तो टी20 टीम में संजू का नाम नहीं था। चयनकर्ताओं पर सवाल उठे कि एक मैच के आधार पर संजू को बाहर क्यों कर दिया गया?
सवाल वाजिब भी थे। यहां किस्मत ने फिर संजू का साथ दिया और शिखर धवन की चोट ने उन्हें न्यूजीलैंड का टिकट थमा दिया। भारत ने पांच मैचों की टी20 सीरीज में न्यूजीलैंड पर 3-0 की अजेय बढ़त ले ली थी। आखिरी दो मैचों में संजू को मौका मिला।
हरारे में वे 19 जुलाई को जिम्बाब्वे के खिलाफ पहली बार टी20 मैच में खेले थे। टीम की जर्सी उन्हें अंडर-19 स्तर और फिर आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स के साथ बेहतरीन प्रदर्शन के बाद मिली थी। अपने पहले मैच में संजू सिर्फ 19 रन ही बना सके थे। इस सीरीज के बाद संजू को वनवास मिला और वे लगातार राष्ट्रीय टीम से नजरअंदाज किए जाने लगे।
घरेलू क्रिकेट में या इंडिया-ए के लिए वे लगातार अच्छा कर रहे थे लेकिन इस बीच पंत के उदय ने संजू के अस्त की कहानी लिखनी शुरू कर दी थी। किस्मत हालांकि पलटी और पंत उम्मीदों पर खरे नहीं उतर सके। पंत से इतर जब चयनकर्ताओं ने देखा तो संजू का चेहरा दिखा। लंबे समय बाद 2019 में वे बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए भारतीय टीम में चुने गए। लेकिन अफसोस यह रहा कि वे अंतिम-11 में नहीं थे।
वेस्टइंडीज के खिलाफ खेली गई टी20 सीरीज के लिए भी चोटिल शिखर धवन के स्थान पर संजू को चुना गया लेकिन फिर भी अंतिम-11 में मौका नहीं मिला। श्रीलंका के खिलाफ खेली गई तीन मैचों की टी20 सीरीज के आखिरी मैच में सैमसन अंतिम-11 में जगह बनाने में सफल रहे। पहली गेंद पर आते ही छक्का लगाया लेकिन फिर जल्दबाजी में खराब शॉट खेलकर आउट हो गए।
यह व्यवहार संजू के खिलाफ गया। उनसे उम्मीद थी कि वे विकेट पर खड़े होकर टीम के स्कोरबोर्ड को अच्छे से चलाएंगे। संजू यह कर नहीं सके। कारण शायद दबाव रहा होगा। न्यूजीलैंड दौरे के लिए जब टीम चुनी गई थी तो टी20 टीम में संजू का नाम नहीं था। चयनकर्ताओं पर सवाल उठे कि एक मैच के आधार पर संजू को बाहर क्यों कर दिया गया?
सवाल वाजिब भी थे। यहां किस्मत ने फिर संजू का साथ दिया और शिखर धवन की चोट ने उन्हें न्यूजीलैंड का टिकट थमा दिया। भारत ने पांच मैचों की टी20 सीरीज में न्यूजीलैंड पर 3-0 की अजेय बढ़त ले ली थी। आखिरी दो मैचों में संजू को मौका मिला।
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