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पढ़ें, रणजी व ईरानी कप चैंपियन विदर्भ के कोच चंद्रकांत पंडित का इंटरव्यू
नई दिल्ली। एक समय था जब घरेलू क्रिकेट में विदर्भ को बिल्कुल भी तवज्जो नहीं दी जाती थी, लेकिन बीते दो साल में हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। दो साल में चार घरेलू खिताब अपने नाम कर विदर्भ दिग्गजों की सूची में आ गई है और अब उससे भिडऩे से हर टीम डरती है। विदर्भ को फर्श से अर्श तक ले जाने में सबसे अहम भूमिका इसके कोच चंद्रकांत पंडित की रही है। पंडित मानते हैं कि यह टीम पहले से ही प्रतिभा सम्पन्न थी, बस उसे अपनी प्रतिभा को पहचानने और इसका सही इस्तेमाल करना सिखाना था, जो उन्होंने किया।
आईएनएस के साथ फोन पर साक्षात्कार में अपनी बात को साबित करने के लिए पंडित ने हिन्दी की कहावत का हवाला देते हुए कहा, नाचने वाले तो होते हैं लेकिन उन्हें नचाने वाला भी चाहिए होता है। पंडित ने विदर्भ को मदारी बनकर खूब मेहनत कराई और परिणाम यह है कि घरेलू क्रिकेट की हर दिग्गज टीम विदर्भ का नाम सुन पहले से ज्यादा तैयार रहती है। अब तो आलम यह है कि शेष भारत एकादश जैसी टीम के कप्तान भी यह कह चुके हैं कि दूसरी टीमों को विदर्भ से सीखना चाहिए।
पंडित को हालांकि सामने आना पसंद नहीं है। वे पर्दे के पीछे रहकर काम करना चाहते हैं और यही करते आए हैं। वे बेशक मानते हैं कि उनके आने से विदर्भ बदली है लेकिन इसके पीछे पंडित खिलाडिय़ों का भी योगदान मानते हैं और कहते हैं, अगर खिलाड़ी रिस्पांस नहीं करते तो चीजें नहीं होती। मेरी बात पर खिलाडिय़ों ने रिस्पांस किया तभी हम जीत सके। पंडित ने कहा, खेलते तो काफी लोग हैं।
हर टीम में लोग खेलते हैं। हर टीम में खिलाडिय़ों की योग्यताएं होती हैं। मैंने ज्यादा कुछ नहीं किया है, बस विदर्भ के खिलाडिय़ों का माइंडसेट बदला है। अब इसके अंदर काफी चीजें आती हैं। जैसे हम यह कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। हमें जीतने के लिए खेलना है। हम तकलीफ में आते हैं तो उससे हमें बाहर कैसे निकलना है। यह जो आत्मविश्वास है वो आत्मविश्वास उनके अंदर आने लगा। पंडित ने कहा, मुझे लोग बोलते हैं कि आपने उनका माइंडसेट बदलवा दिया, लेकिन इस पर खिलाडिय़ों का रिस्पांस भी जरूरी है।
हर कोच अपनी तरफ से कोशिश करता है, अपने तरीकों से बेहतर करने की कोशिश करता है। मेरे तरीके थोड़े से अलग हैं। लोगों को पता है कि मैं थोड़ा सा सख्त हूं। किसी ने मुझे कहा था कि दवा जो होती है वो हमेशा कड़वी होती है। इसके बावजूद लोग खाते हैं क्योंकि वह इंसान को विकाररहित करती है। हिन्दी में एक कहावत है, नाचने वाला होता है लेकिन नचाने वाला भी होना चाहिए। मैंने तो बस इन लडक़ों को नचाने का काम किया है।
नाचना (खेलना) तो उन्हें पहले से आता था। पंडित ने विदर्भ की सफलता में अपने आप को पीछे रखते हुए खिलाडिय़ों की मेहनत का प्राथमिकता दी और इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उन्होंने दिग्गज खिलाड़ी वसीम जाफर और विदर्भ के कप्तान फैज फजल को भी सराहा। पंडित ने कहा, जाफर के रहने से खिलाडिय़ों को मुझे और मुझे खिलाडिय़ों को समझने में मदद मिली।
आईएनएस के साथ फोन पर साक्षात्कार में अपनी बात को साबित करने के लिए पंडित ने हिन्दी की कहावत का हवाला देते हुए कहा, नाचने वाले तो होते हैं लेकिन उन्हें नचाने वाला भी चाहिए होता है। पंडित ने विदर्भ को मदारी बनकर खूब मेहनत कराई और परिणाम यह है कि घरेलू क्रिकेट की हर दिग्गज टीम विदर्भ का नाम सुन पहले से ज्यादा तैयार रहती है। अब तो आलम यह है कि शेष भारत एकादश जैसी टीम के कप्तान भी यह कह चुके हैं कि दूसरी टीमों को विदर्भ से सीखना चाहिए।
पंडित को हालांकि सामने आना पसंद नहीं है। वे पर्दे के पीछे रहकर काम करना चाहते हैं और यही करते आए हैं। वे बेशक मानते हैं कि उनके आने से विदर्भ बदली है लेकिन इसके पीछे पंडित खिलाडिय़ों का भी योगदान मानते हैं और कहते हैं, अगर खिलाड़ी रिस्पांस नहीं करते तो चीजें नहीं होती। मेरी बात पर खिलाडिय़ों ने रिस्पांस किया तभी हम जीत सके। पंडित ने कहा, खेलते तो काफी लोग हैं।
हर टीम में लोग खेलते हैं। हर टीम में खिलाडिय़ों की योग्यताएं होती हैं। मैंने ज्यादा कुछ नहीं किया है, बस विदर्भ के खिलाडिय़ों का माइंडसेट बदला है। अब इसके अंदर काफी चीजें आती हैं। जैसे हम यह कर सकते हैं या नहीं कर सकते हैं। हमें जीतने के लिए खेलना है। हम तकलीफ में आते हैं तो उससे हमें बाहर कैसे निकलना है। यह जो आत्मविश्वास है वो आत्मविश्वास उनके अंदर आने लगा। पंडित ने कहा, मुझे लोग बोलते हैं कि आपने उनका माइंडसेट बदलवा दिया, लेकिन इस पर खिलाडिय़ों का रिस्पांस भी जरूरी है।
हर कोच अपनी तरफ से कोशिश करता है, अपने तरीकों से बेहतर करने की कोशिश करता है। मेरे तरीके थोड़े से अलग हैं। लोगों को पता है कि मैं थोड़ा सा सख्त हूं। किसी ने मुझे कहा था कि दवा जो होती है वो हमेशा कड़वी होती है। इसके बावजूद लोग खाते हैं क्योंकि वह इंसान को विकाररहित करती है। हिन्दी में एक कहावत है, नाचने वाला होता है लेकिन नचाने वाला भी होना चाहिए। मैंने तो बस इन लडक़ों को नचाने का काम किया है।
नाचना (खेलना) तो उन्हें पहले से आता था। पंडित ने विदर्भ की सफलता में अपने आप को पीछे रखते हुए खिलाडिय़ों की मेहनत का प्राथमिकता दी और इसी क्रम में आगे बढ़ते हुए उन्होंने दिग्गज खिलाड़ी वसीम जाफर और विदर्भ के कप्तान फैज फजल को भी सराहा। पंडित ने कहा, जाफर के रहने से खिलाडिय़ों को मुझे और मुझे खिलाडिय़ों को समझने में मदद मिली।
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