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पैरालंपिक (बैडमिंटन) : फाइनल में हारे यतिराज, रजत से करना पड़ा संतोष
टोक्यो । भारत के सुहास एल. यतिराज को यहां चल रहे टोक्यो पैरालंपिक में बैडमिंटन पुरुष एकल एसएल 4 वर्ग के फाइनल में फ्रांस के विश्व नंबर एक लुकास मजूर से हार का सामना कर रजत पदक से संतोष करना पड़ा। यतिराज ने पहले गेम में तीन बार के विश्व चैंपियन, फ्रेंचमैन को चौंका दिया और दूसरे और तीसरे गेम में अच्छी बढ़त हासिल की, लेकिन मजूर ने अपने अनुभव का फायदा उठाकर 15-21, 21-17, 21-15 ये यह मैच जीत लिया।
यतिराज उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेड हैं। वह काम के बाद ज्यादातर रातों में अभ्यास किया करते थे।
पदक समारोह के बाद यतिराज ने कहा, मेरे लिए बहुत ही भावनात्मक एहसास। मैंने अपने जीवन में एक ही समय में कभी भी सबसे ज्यादा खुश और सबसे ज्यादा निराश महसूस नहीं किया है। रजत पदक के कारण सबसे ज्यादा खुश लेकिन सबसे ज्यादा निराश क्योंकि मैं स्वर्ण जीतने से चूक गया। उन्होंने कहा कि भाग्य आपको वह देता है जिसके आप हकदार हैं इसलिए इस समय मैं एक रजत पदक के लायक हूं, इसलिए मैं उसके लिए खुश हूं।
यतिराज ने पहले गेम में पूरी तरह से नियंत्रण में दिखे थे, दूसरे गेम में भी उन्होंने अच्छी शुरुआत की लेकिन वह मैच जीतने में नाकामयाब रहे।
मजूर जो 12-15 से एक समय पीछे चल रहे थे, शानदार खेल दिखाते हुए बाद के 11 में नौ अंक हसिल कर दूसरे गेम को 21-17 से जीत लिया।
तीसरे और निर्णायक गेम में भी यतिराज को थोड़ा फायदा हुआ और वह बीच में आगे चल रहे थे। लेकिन मजूर ने फिर 13-13 से स्कोर को बराबर कर दिया फिर बाद में उन्होंने खेल, मैच और स्वर्ण पदक 21-15 से जीत लिया।
यतिराज ने कहा कि वह समारोह में बज रहे राष्ट्रगान को सुनने से चूक गए।
आप यही प्रार्थना और आशा करते हैं और यही आप सपने देखते हैं। जैसा कि मैंने कहा कि मैं अपने जीवन में कभी भी अधिक निराश और अधिक खुश नहीं हुआ, अब तक इतना करीब आ रहा हूं। अभी भी पैरालंपिक खेलों का रजत पदक जीत रहा हूं यह कोई छोटी बात नहीं है। मैंने जो किया है, उसके लिए मुझे बेहद गर्व और खुशी है।'
पैरालंपिक खेलों में यह यतिराज का पहला पदक था। वह द्विदलीय कोटे पर टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए अपनी बर्थ बुक करने वाले भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों में अंतिम थे। हालाकि, 38 वर्षीय टोक्यो में उच्च स्तर पर खेले जहाँ उन्हें गैर-वरीयता प्राप्त थी। (आईएएनएस)
यतिराज उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर (नोएडा) के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेड हैं। वह काम के बाद ज्यादातर रातों में अभ्यास किया करते थे।
पदक समारोह के बाद यतिराज ने कहा, मेरे लिए बहुत ही भावनात्मक एहसास। मैंने अपने जीवन में एक ही समय में कभी भी सबसे ज्यादा खुश और सबसे ज्यादा निराश महसूस नहीं किया है। रजत पदक के कारण सबसे ज्यादा खुश लेकिन सबसे ज्यादा निराश क्योंकि मैं स्वर्ण जीतने से चूक गया। उन्होंने कहा कि भाग्य आपको वह देता है जिसके आप हकदार हैं इसलिए इस समय मैं एक रजत पदक के लायक हूं, इसलिए मैं उसके लिए खुश हूं।
यतिराज ने पहले गेम में पूरी तरह से नियंत्रण में दिखे थे, दूसरे गेम में भी उन्होंने अच्छी शुरुआत की लेकिन वह मैच जीतने में नाकामयाब रहे।
मजूर जो 12-15 से एक समय पीछे चल रहे थे, शानदार खेल दिखाते हुए बाद के 11 में नौ अंक हसिल कर दूसरे गेम को 21-17 से जीत लिया।
तीसरे और निर्णायक गेम में भी यतिराज को थोड़ा फायदा हुआ और वह बीच में आगे चल रहे थे। लेकिन मजूर ने फिर 13-13 से स्कोर को बराबर कर दिया फिर बाद में उन्होंने खेल, मैच और स्वर्ण पदक 21-15 से जीत लिया।
यतिराज ने कहा कि वह समारोह में बज रहे राष्ट्रगान को सुनने से चूक गए।
आप यही प्रार्थना और आशा करते हैं और यही आप सपने देखते हैं। जैसा कि मैंने कहा कि मैं अपने जीवन में कभी भी अधिक निराश और अधिक खुश नहीं हुआ, अब तक इतना करीब आ रहा हूं। अभी भी पैरालंपिक खेलों का रजत पदक जीत रहा हूं यह कोई छोटी बात नहीं है। मैंने जो किया है, उसके लिए मुझे बेहद गर्व और खुशी है।'
पैरालंपिक खेलों में यह यतिराज का पहला पदक था। वह द्विदलीय कोटे पर टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए अपनी बर्थ बुक करने वाले भारतीय पैरा-बैडमिंटन खिलाड़ियों में अंतिम थे। हालाकि, 38 वर्षीय टोक्यो में उच्च स्तर पर खेले जहाँ उन्हें गैर-वरीयता प्राप्त थी। (आईएएनएस)
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