Advertisement
देश में ज्यादा स्ट्राइकर तैयार नहीं होने के पीछे छेत्री ने बताए ये कारण
नई दिल्ली। भारत में क्रिकेट के अलावा कोई अन्य खेल खेलकर नाम कमाना बहुत कठिन कार्य है, लेकिन राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के दिग्गज कप्तान सुनील छेत्री ऐसा करने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने बाईचुंग भूटिया के जाने के बाद से बहुत गर्व के साथ राष्ट्रीय टीम का कप्तान होने की भूमिका निभाई है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल करने के मामले में भी छेत्री (67) के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में से एक अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी से भी अधिक गोल किए हैं। आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान छेत्री ने कहा कि जब तक उनका शरीर अनुमति देगा वे भारत की जर्सी को गर्व के साथ पहनेंगे। छेत्री ने कहा कि मेरा शरीर जब तक अनुमति देगा मुझे यह काम करते हुए खुशी मिलेगी।
राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है और जब तक मेरे अंदर ताकत रहेगी मैं खेलता रहूंगा। भारत में फिलहाल छेत्री के स्तर का कोई स्ट्राइकर मौजूद नहीं है और यह टीम की सबसे बड़ी समस्या है। छेत्री ने कहा कि हम एक देश के रूप में पिछले पांच से सात वर्षों में अधिक स्ट्राइकर नहीं बना पाए और इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ वर्षों पहले क्लबों ने विदेशी स्ट्राइकर पर अधिक भरोसा करना शुरू कर दिया था और अभी भी ऐसा ही हो रहा है।
इसके अलावा, इस पोजिशन पर खेलने वाले खिलाडिय़ों को भी अधिक भूख दिखानी होगी तभी कोच उन्हें मौका देंगे। उन्होंने कहा कि युवावस्था में ही खिलाड़ी की फिनिशिंग पर अधिक जोर देने की भी आवश्यकता है। इस कला को सीखना आसान नहीं है और यह खेल में सबसे महत्वपूर्ण है। कम उम्र से ही लगातार ट्रेनिंग करने से यह परेशानी दूर हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोल करने के मामले में भी छेत्री (67) के नाम एक अनोखा रिकॉर्ड है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों में से एक अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी से भी अधिक गोल किए हैं। आईएएनएस से खास बातचीत के दौरान छेत्री ने कहा कि जब तक उनका शरीर अनुमति देगा वे भारत की जर्सी को गर्व के साथ पहनेंगे। छेत्री ने कहा कि मेरा शरीर जब तक अनुमति देगा मुझे यह काम करते हुए खुशी मिलेगी।
राष्ट्रीय टीम के लिए खेलना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान है और जब तक मेरे अंदर ताकत रहेगी मैं खेलता रहूंगा। भारत में फिलहाल छेत्री के स्तर का कोई स्ट्राइकर मौजूद नहीं है और यह टीम की सबसे बड़ी समस्या है। छेत्री ने कहा कि हम एक देश के रूप में पिछले पांच से सात वर्षों में अधिक स्ट्राइकर नहीं बना पाए और इसके पीछे कई कारण हैं। कुछ वर्षों पहले क्लबों ने विदेशी स्ट्राइकर पर अधिक भरोसा करना शुरू कर दिया था और अभी भी ऐसा ही हो रहा है।
इसके अलावा, इस पोजिशन पर खेलने वाले खिलाडिय़ों को भी अधिक भूख दिखानी होगी तभी कोच उन्हें मौका देंगे। उन्होंने कहा कि युवावस्था में ही खिलाड़ी की फिनिशिंग पर अधिक जोर देने की भी आवश्यकता है। इस कला को सीखना आसान नहीं है और यह खेल में सबसे महत्वपूर्ण है। कम उम्र से ही लगातार ट्रेनिंग करने से यह परेशानी दूर हो सकती है।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
खेल
Advertisement