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हॉकी विश्व कप : भारत की नजर 43 साल का सूखा खत्म करने पर
भुवनेश्वर। इस साल भारतीय हॉकी टीम की किस्मत ने उसका अधिक साथ नहीं दिया और इसी कारण बड़े टूर्नामेंटों में उसे बड़ी सफलता हाथ नहीं लगी। ऐसे में मुख्य कोच हरेंद्र सिंह की भारतीय टीम विश्व कप का खिताब जीतकर 43 साल का सूखा समाप्त करते हुए सकारात्मक रूप से साल का समापन करना चाहेगी। हालांकि भारतीय टीम के लिए अपने इस लक्ष्य को हासिल करना बिल्कुल भी आसान नहीं होगा। भारत की खिताबी राह में ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, नीदरलैंड्स, जर्मनी और पाकिस्तान जैसी टीमें सबसे बड़ी परेशानी बनकर खड़ी होंगी।
इन सभी टीमों ने एक से अधिक बार विश्व चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया है। पाकिस्तान ने सबसे अधिक बार खिताबी जीत हासिल की है। वह चार बार विश्व चैम्पियन बना है और भारतीय टीम का चिर प्रतिद्वंद्वी भी है। इसके अलावा, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया ने तीन-तीन बार खिताब जीते हैं। जर्मनी दो बार विश्व चैम्पियन रहा है। ऑस्ट्रेलिया टूर्नामेंट का मौजूदा विजेता है। भारतीय टीम ने केवल एक बार इस खिताब को जीतने का गौरव प्राप्त किया है।
भारत ने 1975 में पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में 2-1 से हराकर विश्व कप जीता। इस मैच में सुरजीत और हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने गोल किया था। हालांकि, भारत के विश्व कप जीतने का लक्ष्य अधिकतम रूप से उसके इस साल दिए गए प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जो खास फलदायी नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों से शुरुआत करें, तो भारत को खाली हाथ लौटना पड़ा था। कांस्य पदक के मैच में उसे इंग्लैंड से हार मिली थी।
इसके बाद, एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची। चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ खिताबी मैच बारिश के कारण धुल गया और इससे दोनों टीमों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित कर दिया गया। सुल्तान ऑफ जोहोर कप में भी भारतीय टीम को हार मिली। फाइनल में उसे ब्रिटेन से 3-2 से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद एशियाई खेलों में उसके स्वर्ण पदक के लक्ष्य में भी निराशा हाथ लगी। उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
इन सभी टीमों ने एक से अधिक बार विश्व चैम्पियन बनने का गौरव हासिल किया है। पाकिस्तान ने सबसे अधिक बार खिताबी जीत हासिल की है। वह चार बार विश्व चैम्पियन बना है और भारतीय टीम का चिर प्रतिद्वंद्वी भी है। इसके अलावा, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया ने तीन-तीन बार खिताब जीते हैं। जर्मनी दो बार विश्व चैम्पियन रहा है। ऑस्ट्रेलिया टूर्नामेंट का मौजूदा विजेता है। भारतीय टीम ने केवल एक बार इस खिताब को जीतने का गौरव प्राप्त किया है।
भारत ने 1975 में पाकिस्तान को रोमांचक मुकाबले में 2-1 से हराकर विश्व कप जीता। इस मैच में सुरजीत और हॉकी के दिग्गज मेजर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने गोल किया था। हालांकि, भारत के विश्व कप जीतने का लक्ष्य अधिकतम रूप से उसके इस साल दिए गए प्रदर्शन पर निर्भर करता है, जो खास फलदायी नहीं है। राष्ट्रमंडल खेलों से शुरुआत करें, तो भारत को खाली हाथ लौटना पड़ा था। कांस्य पदक के मैच में उसे इंग्लैंड से हार मिली थी।
इसके बाद, एशियाई चैम्पियंस ट्रॉफी में भारतीय टीम फाइनल तक पहुंची। चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ खिताबी मैच बारिश के कारण धुल गया और इससे दोनों टीमों को संयुक्त रूप से विजेता घोषित कर दिया गया। सुल्तान ऑफ जोहोर कप में भी भारतीय टीम को हार मिली। फाइनल में उसे ब्रिटेन से 3-2 से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद एशियाई खेलों में उसके स्वर्ण पदक के लक्ष्य में भी निराशा हाथ लगी। उसे कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
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