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भारत ने चीन के खिलाफ खेला ड्रॉ, गोलकीपर संधू का लाजवाब प्रदर्शन
सूझोऊ (चीन)। भारतीय फुटबॉल टीम ने शनिवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए ऐतिहासिक दोस्ताना मुकाबले में चीन को गोलरहित बराबरी पर रोक दिया। भारतीय गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ने चीन को उसी के घर में ड्रॉ पर रोकने में अहम भूमिका निभाई। संधू ने कई मौकों पर शानदार बचाव किया। संधू को टीम के डिफेंस लाइन का बखूबी साथ मिला। इन दोनों की जुगलबंदी के कारण आखिरी समय तक लगातार अटैक करने वाली चीनी टीम मायूस हो गई।
भारत ने 21 वर्षों बाद फुटबॉल के मैदान पर चीन का सामना किया। अब तक यह दोनों टीमें 18 बार एक-दूसरे से भिड़ चुकी हैं जिसमें से चीन ने 12 मुकाबलों में जीत दर्ज की है जबकि छह मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। चीन की सरजमीं पर भारत की सीनियर टीम ने पहली बार कोई फुटबॉल मैच खेला है। 1997 में कोच्चि में हुए नेहरू कप के मुकाबले में रेड ड्रैगंस ने भारत को 2-1 से शिकस्त दी थी।
सूझोऊ ओलम्पिक स्पोट्र्स सेंटर स्टेडियम में खेला गया यह मैच भारत के लिए अगले वर्ष जनवरी में होने वाले एशियन कप की तैयारियों के लिहाज से भी बेहद अहम था। इस मुकाबले में चीन ने शुरुआत से ही हाईप्रेस खेल दिखाकर मेहमान टीम के डिफेंस पर दबाव बनाने की कोशिश की। चीन को तीसरे मिनट में ही कॉर्नर मिला और भारत की कप्तानी कर रहे डिफेंडर संदेश झिंगन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मेजबान टीम को बढ़त नहीं बनाने दी।
मैच के सातवें मिनट चीन ने अपनी बाईं छोर से अटैक किया। मेजबान टीम ने बॉक्स के अंदर हेडर के जरिए गोल करने का प्रयास किया लेकिन इस बार भी झिंगन गेंद को मैदान से बाहर भेजने में कामयाब रहे। लगातार आक्रामक फुटबॉल खेल रही चीन को 13वें मिनट में काउंटर अटैक का सामना करना पड़ा।
युवा मिडफील्डर अनिरुद्ध थापा ने चीन के 18 गज के बॉक्स में अपनी दाईं ओर मौजूद प्रीतम कोटाल को पास दिया। कोटाल ने गोल की ओर शॉट लगाया जिस पर चीन के गोलकीपर यान जुनलिंग ने शानदार बचाव किया। यहां भारत के पास बढ़त बनाने का बेहतरीन मौका था।
भारत ने 21 वर्षों बाद फुटबॉल के मैदान पर चीन का सामना किया। अब तक यह दोनों टीमें 18 बार एक-दूसरे से भिड़ चुकी हैं जिसमें से चीन ने 12 मुकाबलों में जीत दर्ज की है जबकि छह मुकाबले ड्रॉ रहे हैं। चीन की सरजमीं पर भारत की सीनियर टीम ने पहली बार कोई फुटबॉल मैच खेला है। 1997 में कोच्चि में हुए नेहरू कप के मुकाबले में रेड ड्रैगंस ने भारत को 2-1 से शिकस्त दी थी।
सूझोऊ ओलम्पिक स्पोट्र्स सेंटर स्टेडियम में खेला गया यह मैच भारत के लिए अगले वर्ष जनवरी में होने वाले एशियन कप की तैयारियों के लिहाज से भी बेहद अहम था। इस मुकाबले में चीन ने शुरुआत से ही हाईप्रेस खेल दिखाकर मेहमान टीम के डिफेंस पर दबाव बनाने की कोशिश की। चीन को तीसरे मिनट में ही कॉर्नर मिला और भारत की कप्तानी कर रहे डिफेंडर संदेश झिंगन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मेजबान टीम को बढ़त नहीं बनाने दी।
मैच के सातवें मिनट चीन ने अपनी बाईं छोर से अटैक किया। मेजबान टीम ने बॉक्स के अंदर हेडर के जरिए गोल करने का प्रयास किया लेकिन इस बार भी झिंगन गेंद को मैदान से बाहर भेजने में कामयाब रहे। लगातार आक्रामक फुटबॉल खेल रही चीन को 13वें मिनट में काउंटर अटैक का सामना करना पड़ा।
युवा मिडफील्डर अनिरुद्ध थापा ने चीन के 18 गज के बॉक्स में अपनी दाईं ओर मौजूद प्रीतम कोटाल को पास दिया। कोटाल ने गोल की ओर शॉट लगाया जिस पर चीन के गोलकीपर यान जुनलिंग ने शानदार बचाव किया। यहां भारत के पास बढ़त बनाने का बेहतरीन मौका था।
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