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CWG 2018 : इन्हें अपना आदर्श मानते हैं स्वर्ण विजेता बजरंग पूनिया

khaskhabar.com : रविवार, 15 अप्रैल 2018 6:46 PM (IST)
CWG 2018 : इन्हें अपना आदर्श मानते हैं स्वर्ण विजेता बजरंग पूनिया
नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया में आयोजित 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों की 65 किलोग्राम स्पर्धा का स्वर्ण पदक जीतने वाले पहलवान बजरंग पूनिया का कहना है कि वे टोक्यो में होने वाले ओलम्पिक खेलों में कुश्ती का पहला स्वर्ण पदक जीत देशवासियों का लम्बे समय से अधूरा सपना पूरा करना चाहते हैं। अपनी जीत के बाद आईएएनएस के साथ एक साक्षात्कार में 24 वर्षीय बजरंग ने अपनी इस इच्छा को जाहिर किया।

राष्ट्रमंडल खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीतने के बाद जीवन के सबसे बड़े लक्ष्य के बारे में बजरंग ने कहा, राष्ट्रमंडल खेलों के बाद अब मेरी नजर एशियाई खेलों पर है। मुझे इसमें भी अच्छा प्रदर्शन कर पदक लाना है। ओलम्पिक खेलों में आज तक किसी पहलवान ने स्वर्ण पदक हासिल नहीं किया है और मैं चाहता हूं कि देशवासी जिस पदक का इंतजार कर रहे हैं, 2020 टोक्यो ओलम्पिक में मैं उस सपने को पूरा करूं। फाइनल में वेल्स के केन चारिग के खिलाफ मैच कितना मुश्किल था।

इस बारे में बजरंग ने कहा, हर मुकाबला मुश्किल होता है। कोई मुकाबला आसान नहीं होता। मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने की कोशिश की। 2014 में ग्लास्गो में आयोजित राष्ट्रमंडल खेलों में बजरंग ने रजत पदक जीता था। इस बार वे अपने पदक के रंग को बदलने में कामयाब रहे। इस खुशी को जाहिर करते हुए उन्होंने कहा, काफी अच्छा लग रहा है। यह राष्ट्रमंडल खेलों में मेरा पहला स्वर्ण पदक है। मैंने जब 2014 में हिस्सा लिया था, तो उस समय मैं काफी युवा था और मुझे उतना अनुभव नहीं था।

कई टूर्नामेंट खेलने के बाद आत्मविश्वास बढ़ा और आज नतीजा कुछ और है। खुशी होती है, जब किसी चीज के लिए जी-तोड़ मेहनत की जाती है और फिर उसमें सफलता हासिल हो। हरियाणा के झज्जर जिले के निवासी बजरंग से जब भारतीय और विदेशी पहलवानों की तैयारियों में फर्क के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि इसमें केवल मौसम का फर्क होता है।

वहां का मौसम अच्छा होता है। हमारे यहां गर्मी थोड़ी ज्यादा होती है। उससे फर्क पड़ता है। हालांकि, हमसे अधिक मेहनत कोई नहीं करता है। विदेशी पहलवान केवल एक या डेढ़ घंटा प्रशिक्षण करते हैं, लेकिन हमारे पहलवान दो-तीन घंटे अभ्यास करते हैं।

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