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एएफसी एशियन कप : आज थाईलैंड से भिड़ेगी भारतीय फुटबॉल टीम
अबू धाबी। भारतीय फुटबॉल टीम यहां एएफसी एशियन कप के ग्रुप स्तर पर अपने पहले मैच में आज रविवार को थाईलैंड का सामना करेगी। भारतीय समय के अनुसार यह मैच शाम सात बजे खेला जाएगा और स्टार स्पोट्र्स 3 पर प्रसारित किया जाएगा। स्टीफन कांस्टेनटाइन के मार्गदर्शन में भारत के लिए यह टूर्नामेंट किसी भी लिहाज से आसान नहीं होगा और उसकी कोशिश टूर्नामेंट का आगाज जीत के साथ करने की होगी। भारत आठ वर्षों के लंबे अंतराल के बाद इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले रहा है।
भारतीय टीम ने आखिरी बार 2011 में इस प्रतियोगिता लिया था जहां उसे ग्रुप स्तर के तीनों मैचों में हार झेलनी पड़ी थी। भारत 2011 से पहले 1964, 1984 में भी इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुका है। भारत 2015 के पिछले संस्करण में इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था। इस बार कांस्टेनटाइन के मार्गदर्शन में भारत ने यह सफलता हासिल की। इस दौरान भारत ने लगातार 13 मैच जीते।
भारत ने एशियन कप की तैयारी के लिए पिछले वर्ष कई दोस्ताना मैच खेले जिसमें चीन के खिलाफ उसी के घर में खेला रोमांचक गोलरहित ड्रॉ शामिल है। पिछले वॉर्मअप मैच में भारत ने ओमान से भी गोलरहित ड्रॉ खेला जबकि थाईलैंड को ओमान ने वॉर्मअप मैच में मात दी। टीम के कोच कांस्टेनटाइन हालांकि थाईलैंड को हल्के में लेने के मूड में नहीं हैं। भारतीय टीम का 2011 में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था लेकिन इस बार टीम से बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद इसलिए की जा रही है क्योंकि टीम के अधिकतर खिलाड़ी युवा हैं।
2011 में जहां ज्यादातर खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे तो वहीं इस बार टीम युवा जोश से लबरेज है। स्टार खिलाड़ी सुनील छेत्री और गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ही दो ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें एशियन कप में भाग लेने का अनुभव है। हालांकि, छेत्री का मानना है कि भारतीय टीम में भले ही कम अनुभव हो लेकिन अन्य टीमों के लिए वह कड़ी चुनौती पेश करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए सबसे अधिक गोल (65) दागने वाले छेत्री के कंधों पर इस बार टीम के अटैक का दारोमदार होगा। स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ भी भारतीय टीम का हिस्सा हैं लेकिन इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में चेन्नइयन एफसी के लिए इस सीजन उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। छेत्री के साथ बेंगलुरू एफसी में खेलने वाले उदांता सिंह से विंग पर टीम की अहम कड़ी साबित होंगे।
उनके अलावा, बलवंत सिंह और युवा खिलाड़ी सुमित पासी, आशिक कुरुनियन एवं हालीचरण नारजारे भी मैच में अपनी छाप छोडऩा चाहेंगे। मिडफील्ड में प्रणॉय हल्दर, अनुरुद्ध थापा और रोवलिन बोर्गेस की तिकड़ी पर कांस्टेनटाइन लंबे समय से विश्वास दिखाते आए हैं। लेकिन जो चीज भारत की जीत में अहम भूमिका निभाएगी वो है टीम का डिफेंस।
भारतीय टीम ने आखिरी बार 2011 में इस प्रतियोगिता लिया था जहां उसे ग्रुप स्तर के तीनों मैचों में हार झेलनी पड़ी थी। भारत 2011 से पहले 1964, 1984 में भी इस टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुका है। भारत 2015 के पिछले संस्करण में इस टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाया था। इस बार कांस्टेनटाइन के मार्गदर्शन में भारत ने यह सफलता हासिल की। इस दौरान भारत ने लगातार 13 मैच जीते।
भारत ने एशियन कप की तैयारी के लिए पिछले वर्ष कई दोस्ताना मैच खेले जिसमें चीन के खिलाफ उसी के घर में खेला रोमांचक गोलरहित ड्रॉ शामिल है। पिछले वॉर्मअप मैच में भारत ने ओमान से भी गोलरहित ड्रॉ खेला जबकि थाईलैंड को ओमान ने वॉर्मअप मैच में मात दी। टीम के कोच कांस्टेनटाइन हालांकि थाईलैंड को हल्के में लेने के मूड में नहीं हैं। भारतीय टीम का 2011 में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा था लेकिन इस बार टीम से बेहतरीन प्रदर्शन की उम्मीद इसलिए की जा रही है क्योंकि टीम के अधिकतर खिलाड़ी युवा हैं।
2011 में जहां ज्यादातर खिलाड़ी अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर थे तो वहीं इस बार टीम युवा जोश से लबरेज है। स्टार खिलाड़ी सुनील छेत्री और गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू ही दो ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें एशियन कप में भाग लेने का अनुभव है। हालांकि, छेत्री का मानना है कि भारतीय टीम में भले ही कम अनुभव हो लेकिन अन्य टीमों के लिए वह कड़ी चुनौती पेश करेंगे।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के लिए सबसे अधिक गोल (65) दागने वाले छेत्री के कंधों पर इस बार टीम के अटैक का दारोमदार होगा। स्ट्राइकर जेजे लालपेखलुआ भी भारतीय टीम का हिस्सा हैं लेकिन इंडियन सुपर लीग (आईएसएल) में चेन्नइयन एफसी के लिए इस सीजन उनका प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। छेत्री के साथ बेंगलुरू एफसी में खेलने वाले उदांता सिंह से विंग पर टीम की अहम कड़ी साबित होंगे।
उनके अलावा, बलवंत सिंह और युवा खिलाड़ी सुमित पासी, आशिक कुरुनियन एवं हालीचरण नारजारे भी मैच में अपनी छाप छोडऩा चाहेंगे। मिडफील्ड में प्रणॉय हल्दर, अनुरुद्ध थापा और रोवलिन बोर्गेस की तिकड़ी पर कांस्टेनटाइन लंबे समय से विश्वास दिखाते आए हैं। लेकिन जो चीज भारत की जीत में अहम भूमिका निभाएगी वो है टीम का डिफेंस।
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