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उदयपुर में दिखा दुर्लभ प्रजाति का पीला पलाश

उदयपुर । ढाक, टेसू या किंशुक जैसे अलग-अलग नामों से पुकारे जाने वाले सुर्ख केसरी लाल रंग की आभा वाले पलाश के बारे में हर किसी को जानकारी है परंतु बहुत ही कम लोग जानते हैं कि केसरी लाल रंग के पलाश के साथ पीले रंग वाला पलाश भी वन क्षेत्रों में मिलता है। जैव विविधता से समृद्ध उदयपुर अंचल के कोटड़ा के वन क्षेत्र में दुर्लभ प्रजाति का पीला पलाश देखा गया है।
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार दुर्लभ प्रजाति के इस पीले पलाश का वानस्पतिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा ल्यूटिया है और पलाश के कई हजार पेड़ों के बीच एक पेड़ इसका पाया जाता है। पीले पलाश के फूलों का औषधीय महत्व है वहीं इन फूलों से प्राकृतिक रंग भी बनाए जाते हैं।
कोटड़ा से दस किमी दूर पथरपाड़ी ग्राम पंचायत के गऊ पिपला गाँव में सड़क किनारे एक पीले पलाश पर खिले फूलों का यह आकर्षक नज़ारा जनसंपर्क उपनिदेशक व वाईल्डलाइफ फोटोग्राफर डॉ. कमलेश शर्मा ने क्लिक किया है।
पर्यावरण वैज्ञानिकों के अनुसार दुर्लभ प्रजाति के इस पीले पलाश का वानस्पतिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा ल्यूटिया है और पलाश के कई हजार पेड़ों के बीच एक पेड़ इसका पाया जाता है। पीले पलाश के फूलों का औषधीय महत्व है वहीं इन फूलों से प्राकृतिक रंग भी बनाए जाते हैं।
कोटड़ा से दस किमी दूर पथरपाड़ी ग्राम पंचायत के गऊ पिपला गाँव में सड़क किनारे एक पीले पलाश पर खिले फूलों का यह आकर्षक नज़ारा जनसंपर्क उपनिदेशक व वाईल्डलाइफ फोटोग्राफर डॉ. कमलेश शर्मा ने क्लिक किया है।
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