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साल 2018 : राहुल प्रभावी प्रचारक और रणनीतिकार के तौर पर उभरे

khaskhabar.com : रविवार, 30 दिसम्बर 2018 3:28 PM (IST)
साल 2018 : राहुल प्रभावी प्रचारक और रणनीतिकार के तौर पर उभरे
उन्होंने विदेश में मोदी की प्रवासियों के बीच पहुंच का जवाब देने के लिए विदेश यात्राएं की। राहुल ने नोटबंदी और वस्तु एवं सेवा कर के खराब क्रियान्वयन की वजह से अर्थव्यवस्था के सुस्त होने और नोटबंदी की वजह से नौकरियों में कमी आने का मुद्दा उठाया, जिस पर सरकार को रक्षात्मक रवैया अपनाने पर मजबूर होना पड़ा।

राहुल इससे पहले भी मोदी पर हमला करते रहे हैं, लेकिन पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद उन्होंने अपने हमले तेज कर दिए हैं। साथ ही संगठनात्मक मुद्दों को सुलझाया और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति में अनुभव और युवाओं को समायोजन कर प्रभावशाली तरीके से बदलाव लाया।

यही वजह है कि पार्टी के पुराने नेता जैसे अंबिका सोनी, अहमद पटेल और मोतीलाल वोरा को एआईसीसी की टीम में शामिल किया गया और इसके साथ ही इसमें कई युवा नेताओं जैसे जितेंद्र सिंह और आर.पी.एन. सिंह को राज्यों का प्रभारी बनाया गया है।

यह महसूस करते हुए कि भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए कांग्रेस को और सहयोग की जरूरत पड़ेगी, राहुल ने 2019 में खुद को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर पेश करने की रणनीति को बदला और कहा कि चुनावों के बाद इस संबंध में निर्णय लिया जाएगा।

वह मोदी सरकार के विरुद्ध एक आम मंच तैयार करने के लिए विपक्षी नेताओं से बातचीत कर रहे हैं।

बड़े अनौपचारिक क्षेत्र में पार्टी की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए, उन्होंने अखिल भारतीय असंगठित कर्मचारी कांग्रेस का गठन किया है। उन्होंने इसके साथ ही युवाओं, महिलाओं, पेशेवरों, मछुआरों, जनजातीय और अनुसूचित जातियों से समर्थन प्राप्त करने के लिए पार्टी के प्रयासों को बढ़ाया है।

का मतदाताओं, कार्यकर्ताओं और जमीनी स्तर के मुद्दों को बेहतरीन तरीके से समझने के लिए एक डेटा एनालिटिक्स डिपार्टमेंट निर्माण किया गया है।

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