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Bihar : 'पराली प्रबंधन' कर महिलाएं बन रहीं है आत्मनिर्भर
नीतीश इस यात्रा के क्रम में वाल्मीकिनगर भी पहुंचे थे और इससे नुकसान को लेकर लोगों को अवगत कराया था। इसके बाद पराली के जलाने से होने वाले नुकसान और पर्यावरण संतुलन को लेकर गांवों में भी जागरूकता आई है।
अब गांव की महिलाओं ने धान की पराली और अन्य फसलों के अवशेष का प्रबंधन करने का ना केवल जुगाड़ कर लिया है, बल्कि अपनी रोजमर्रा की जरूरतें भी पूरी कर रही हैं।
लक्ष्मीपुर गांव की रहने वाली जहीरा खातून ने बताया कि ये लोग पहले से ही चटाई और स्टूल बनाती थीं, लेकिन अब पराली से होने वाले नुकसान से पुरुषों को भी आगाह करने लगी हैं। आज महिलाएं समूह बनाकर यह काम कर रही हैं।
चंपापुर में तो कई महिलाएं अब पराली से बनाई अपनी वस्तुओं को बेचकर आर्थिक लाभ लेने लगी हैं। एक महिला ने कहा कि उन लोगों ने इसका व्यापार तक करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि वे बेतिया बाजार में एक-दो दुकानदारों को चटाई और बिठाई की बिक्री करती हैं, जहां से लोग इसे खरीद भी रहे हैं।
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