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क्या आजाद उम्मीदवार को जीत दिलाने की परंपरा इस बार भी कायम रखेंगे पुंडरी क्षेत्र के लोग?
निशा शर्मा
चंडीगढ़। हरियाणा में कैथल जिले के पुंडरी क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार इस बात से आशंकित हैं कि अपना प्रतिनिधि चुनने के मामले में यहां के लोग कहीं एक बार फिर पिछले 20 साल से चली आ परंपरा तो नहीं निभा देंगे।
इस क्षेत्र से 1996 से लेकर 2014 तक (पिछले पांच चुनावों में) लोगों ने हमेशा आज़ाद उम्मीदवार को चुन कर विधानसभा में भेजा है। कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और भाजपा के उम्मीदवारों को कभी भी यहां के मतदाताओं ने तरजीह नहीं दी। इस बार इस सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
इस बार सत्तारूढ़ भाजपा ने वेदपाल, कांग्रेस ने सतबीर जांगड़ा, इनेलो ने ज्ञान सिंह और नवगठित जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने राजेश कुमार को मैदान में उतारा है।
पिछले चुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार जीते दिनेश कौशिक टिकट की चाह में भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन जब पार्टी उम्मीदवारों की सूची में उन्हें अपना नाम नजर नहीं आया तो वे भाजपा छोड़ कर फिर से आज़ाद उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतर गए। वे दो बार इस क्षेत्र से आजाद विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे रणधीर गोलन को भी इस बार जब टिकट नहीं मिला तो वे भी पार्टी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना पर्चा दाखिल कर मैदान में आ गए।
पुंडरी हरियाणा का एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों से लोगों ने हमेशा ही परहेज किया है, यहां निर्दलीय उमीदवारों को भरपूर प्यार मिलता रहा है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों से इस क्षेत्र के लोग निर्दलीय उम्मीदवार को ही अपना विधायक चुनते आ रहे हैं। लगातार तेईस साल से लोगों का आज़ाद उम्मीदवारों के प्रति भरोसा बना हुआ है। वर्ष 2005 और 2014 के चुनावों में दिनेश कौशिक, वर्ष 2009 के चुनावों में सुल्तान सिंह जडौला, वर्ष 2000 के चुनाव में तेजवीर सिंह और इससे पहले वर्ष 1996 के चुनावों में नरेंद्र शर्मा आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर जीत कर ही विधानसभा में पहुंचे थे।
देखने वाली बात यह होगी कि पुंडरी के मतदाता क्या इस बार भी आज़ाद उम्मीदवार को जितने की अपनी पुरानी परंपरा को कायम रखेंगे या किसी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार पर भरोसा जताएंगे। मतदान 21 अक्टूबर को होना है और 24 अक्टूबर को पुंडरी के मतदाताओं का फैसला सबके सामने आ जाएगा।
चंडीगढ़। हरियाणा में कैथल जिले के पुंडरी क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवार इस बात से आशंकित हैं कि अपना प्रतिनिधि चुनने के मामले में यहां के लोग कहीं एक बार फिर पिछले 20 साल से चली आ परंपरा तो नहीं निभा देंगे।
इस क्षेत्र से 1996 से लेकर 2014 तक (पिछले पांच चुनावों में) लोगों ने हमेशा आज़ाद उम्मीदवार को चुन कर विधानसभा में भेजा है। कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) और भाजपा के उम्मीदवारों को कभी भी यहां के मतदाताओं ने तरजीह नहीं दी। इस बार इस सीट से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
इस बार सत्तारूढ़ भाजपा ने वेदपाल, कांग्रेस ने सतबीर जांगड़ा, इनेलो ने ज्ञान सिंह और नवगठित जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने राजेश कुमार को मैदान में उतारा है।
पिछले चुनाव में बतौर आजाद उम्मीदवार जीते दिनेश कौशिक टिकट की चाह में भाजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन जब पार्टी उम्मीदवारों की सूची में उन्हें अपना नाम नजर नहीं आया तो वे भाजपा छोड़ कर फिर से आज़ाद उम्मीदवार के रूप में अपनी किस्मत आजमाने मैदान में उतर गए। वे दो बार इस क्षेत्र से आजाद विधायक रह चुके हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार रहे रणधीर गोलन को भी इस बार जब टिकट नहीं मिला तो वे भी पार्टी से बगावत कर आजाद उम्मीदवार के तौर पर अपना पर्चा दाखिल कर मैदान में आ गए।
पुंडरी हरियाणा का एकमात्र ऐसा विधानसभा क्षेत्र है, जहां राजनीतिक पार्टियों के उम्मीदवारों से लोगों ने हमेशा ही परहेज किया है, यहां निर्दलीय उमीदवारों को भरपूर प्यार मिलता रहा है। पिछले पांच विधानसभा चुनावों से इस क्षेत्र के लोग निर्दलीय उम्मीदवार को ही अपना विधायक चुनते आ रहे हैं। लगातार तेईस साल से लोगों का आज़ाद उम्मीदवारों के प्रति भरोसा बना हुआ है। वर्ष 2005 और 2014 के चुनावों में दिनेश कौशिक, वर्ष 2009 के चुनावों में सुल्तान सिंह जडौला, वर्ष 2000 के चुनाव में तेजवीर सिंह और इससे पहले वर्ष 1996 के चुनावों में नरेंद्र शर्मा आज़ाद उम्मीदवार के तौर पर जीत कर ही विधानसभा में पहुंचे थे।
देखने वाली बात यह होगी कि पुंडरी के मतदाता क्या इस बार भी आज़ाद उम्मीदवार को जितने की अपनी पुरानी परंपरा को कायम रखेंगे या किसी राजनीतिक पार्टी के उम्मीदवार पर भरोसा जताएंगे। मतदान 21 अक्टूबर को होना है और 24 अक्टूबर को पुंडरी के मतदाताओं का फैसला सबके सामने आ जाएगा।
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