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कार्तिक पूर्णिमा को क्यों मनाते हैं देव दीपावली,जानिए क्या है रहस्य?
सोनभद्र। देव-दीपावली, इन दो शब्दों से प्रथम दृष्ट्या यह आभास होता है कि देवताओं की
दीपावली। दीपावली का अर्थ तो स्पष्ट है कि दीपों की अवली यानि दीपों
की पंक्ति । दैत्यों में प्रमुख तारकासुर से युद्ध के लिए शिव-पार्वती के पुत्र
कार्तिकेय के नेतृत्व में युद्ध हुआ था। कार्तिकेय का पालन-पोषण कृत्तिका आदि 6 स्त्रियों द्वारा
किया गया था अतः कार्तिकेय का षडानन भी नाम है। शिवपुराण में इसका उल्लेख है।
पंडित बेद त्रिपाठी और साहित्यकार सलिल पाण्डेय ने बताया की स्वयं भगवान विष्णु ने
उन्हें नायकत्व प्रदान किया । तारकासुर के बध पर देवलोक में उल्लास का पर्व है
देव-दिवाली ।
लेकिन इसके पीछे मानव-हित का भाव भी है । देव शब्द दिव् धातु से बना है जिसका अर्थ दिवस, प्रकाश है । देव शब्द का अर्थ नेत्र और ज्ञानेन्द्रियाँ भी है। मानव शरीर दुर्गा सप्तशती के कवच श्लोक में उल्लिखित `रक्त, मज्जा, वसा, मांस-अस्थि, मेदांसि पार्वती` के अनुसार इन छः अंशों की रक्षा से स्वस्थ करने की याचना का भाव है ।
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