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Jaipur Exclusive : जयपुर की होटल खासा कोठी के 8 कालीनों के चोर कौन , यहां पढ़ें
सत्येंद्र शुक्ला
जयपुर । होटल खासा कोठी के रियासत कालीन कालीनों के चोरी होने का रहस्य प्रदेश की जनता के सामने बना हुआ है। लेकिन खास खबर डॉट कॉम इन कालीनों के बारे में वस्तु स्थिति बताने जा रहा है। बुधवार को यह मुद्दा राजस्थान विधानसभा में भी उठा था। खास खबर डॉट कॉम को मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान राज्य होटल्स निगम लिमिटेड की तरफ से सार्वजनिक निर्माण विभाग,सचिवालय खंड को मुख्यमंत्री कार्यालय के उपयोग हेतु निगम की तरफ से छह नग कालीन 26 सितंबर 2005 और दो नग कालीन 15 अप्रैल 2006 को सीएम के नवीन कार्यालय के लिए उपलब्ध कराये गए थे। यह सभी आठों कालीन वार्षिक किराये के भुगतान के आधार पर 2 वर्ष के लिए लोन पर सुपुर्द किए गए थे। साथ ही किराये का निर्धारण सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं राजस्थान राज्य होटल्स निगम द्वारा आपसी सहमति से तय किया जाना था।सूत्रों के मुताबिक कालीन का हेंड ओवर एवं टेकन ओवर सार्वजनिक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता एवं इकाई प्रभारी खासा कोठी के मध्य 26 सितबर 2005 को और 17 अप्रैल 2006 को किया गया था। लेकिन आरटीडीसी की तरफ से समय-समय पर सार्वजनिक निर्माण विभाग को उक्त कालीनों का किराया भुगतान करने हेतु पत्र जारी किए गए थे, लेकिन निगम को कोई किराया राशि प्राप्त नहीं हुई।
जयपुर । होटल खासा कोठी के रियासत कालीन कालीनों के चोरी होने का रहस्य प्रदेश की जनता के सामने बना हुआ है। लेकिन खास खबर डॉट कॉम इन कालीनों के बारे में वस्तु स्थिति बताने जा रहा है। बुधवार को यह मुद्दा राजस्थान विधानसभा में भी उठा था। खास खबर डॉट कॉम को मिली जानकारी के मुताबिक राजस्थान राज्य होटल्स निगम लिमिटेड की तरफ से सार्वजनिक निर्माण विभाग,सचिवालय खंड को मुख्यमंत्री कार्यालय के उपयोग हेतु निगम की तरफ से छह नग कालीन 26 सितंबर 2005 और दो नग कालीन 15 अप्रैल 2006 को सीएम के नवीन कार्यालय के लिए उपलब्ध कराये गए थे। यह सभी आठों कालीन वार्षिक किराये के भुगतान के आधार पर 2 वर्ष के लिए लोन पर सुपुर्द किए गए थे। साथ ही किराये का निर्धारण सार्वजनिक निर्माण विभाग एवं राजस्थान राज्य होटल्स निगम द्वारा आपसी सहमति से तय किया जाना था।सूत्रों के मुताबिक कालीन का हेंड ओवर एवं टेकन ओवर सार्वजनिक निर्माण विभाग के तत्कालीन अधिशाषी अभियंता एवं इकाई प्रभारी खासा कोठी के मध्य 26 सितबर 2005 को और 17 अप्रैल 2006 को किया गया था। लेकिन आरटीडीसी की तरफ से समय-समय पर सार्वजनिक निर्माण विभाग को उक्त कालीनों का किराया भुगतान करने हेतु पत्र जारी किए गए थे, लेकिन निगम को कोई किराया राशि प्राप्त नहीं हुई।
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