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उज्बेकिस्तान ऊर्जा क्षेत्र में सुधार के लिए शुल्क नीति में देगा ढील
ताशकंद । उज्बेकिस्तान जल्द ही एक मासिक 'सामाजिक मानदंड' पेश करेगा, क्योंकि देश को व्यापक ऊर्जा सुधार के एक हिस्से के रूप में राज्य-सब्सिडी वाली गैस और बिजली की सीमा का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने इसकी जानकारी दी है। वहीं इस नीति को लेकर वित्त मंत्रालय, ऊर्जा मंत्रालय और आर्थिक विकास मंत्रालय ने गुरुवार को एक संयुक्त बयान में कहा कि, निजी निवेश को आकर्षित करने और ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए बाजार में चरणबद्ध सुधार की जरूरत है।
जिन उपभोक्ताओं ने मासिक सामाजिक मानदंड से परे गैस और बिजली का उपयोग किया है। उन सबको मुक्त बाजार मूल्य के आधार अतिरिक्त पैसा देना होगा।
बयान में आगे कहा गया है, "बाजार में मुफ्त कीमतों पर खरीदी गई प्राकृतिक गैस की मात्रा में वृद्धि करके बढ़ती मांग को संतुष्ट किया जाता है। उसके बाद यह सब्सिडी वाले प्राकृतिक स्तर के मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत की मात्रा भी बढ़ाता है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि, मध्य एशिया के सबसे अधिक आबादी वाले 35 मिलियन लोगों को नई ऊर्जा क्षमता बनाने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने और ऊर्जा बाजार में सुधार करने की आवश्यकता है।
बयान में आगे कहा गया है, सरकार जल्द ही बिजली और गैस के सामाजिक मानदंड पर एक कानून का मसौदा तैयार करेगी, जिसमें आबादी के कमजोर हिस्से की सुरक्षा की परिकल्पना की जाएगी।
--आईएएनएस
जिन उपभोक्ताओं ने मासिक सामाजिक मानदंड से परे गैस और बिजली का उपयोग किया है। उन सबको मुक्त बाजार मूल्य के आधार अतिरिक्त पैसा देना होगा।
बयान में आगे कहा गया है, "बाजार में मुफ्त कीमतों पर खरीदी गई प्राकृतिक गैस की मात्रा में वृद्धि करके बढ़ती मांग को संतुष्ट किया जाता है। उसके बाद यह सब्सिडी वाले प्राकृतिक स्तर के मौजूदा स्तर को बनाए रखने के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष लागत की मात्रा भी बढ़ाता है।"
समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है कि, मध्य एशिया के सबसे अधिक आबादी वाले 35 मिलियन लोगों को नई ऊर्जा क्षमता बनाने के लिए निजी निवेश को आकर्षित करने और ऊर्जा बाजार में सुधार करने की आवश्यकता है।
बयान में आगे कहा गया है, सरकार जल्द ही बिजली और गैस के सामाजिक मानदंड पर एक कानून का मसौदा तैयार करेगी, जिसमें आबादी के कमजोर हिस्से की सुरक्षा की परिकल्पना की जाएगी।
--आईएएनएस
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