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उत्तरप्रदेश कोरोना संकट:KGMU ने कोरोना परीक्षण के लिए अपनी क्षमता दोगुनी की
लैब का कामकाज सुचारू रूप से सुनिश्चित करने के लिए, केजीएमयू ने कर्मचारियों की संख्या को भी दोगुना कर दिया है।
कुलपति ने कहा कि तेजी से एंटीबॉडी परीक्षण करने में एक नमूने को तीन भागों में विभाजित किया जाता है और फिर एक के बाद एक उनके परीक्षण किए जाते हैं इससे गलती होने की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि केजीएमयू में वर्तमान में केवल 1,500 नमूनों का परीक्षण करने के लिए रीएजेंट्स हैं। हालांकि, अगले दो दिनों में और किट आ जाएंगे।
किसी व्यक्ति के रक्त के नमूने में कोरोनोवायरस के एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करने के लिए रैपिड एंटीबॉडी या स्ट्रिप टेस्ट किया जाता है। स्ट्रिप टेस्ट की मदद से यह आंकलन किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। इस परीक्षण के बाद, यदि जरूरत हो तो रोगी के स्वाब के नमूनों को प्रयोगशाला में पुष्टि के लिए भेजा जा सकता है।
स्ट्रिप टेस्ट जल्दी से किया जा सकता है और इससे संदिग्ध मामलों को आसानी से पहचानने में मदद मिलती है।
जब से राज्य में कोविड-19 के मामले सामने आने शुरू हुए हैं। चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों, अनुसंधान विद्वानों और प्रयोगशाला सहायकों की 15 लोगों की एक टीम फरवरी से चौबीसों घंटे काम कर रही है।
--आईएएनएस
कुलपति ने कहा कि तेजी से एंटीबॉडी परीक्षण करने में एक नमूने को तीन भागों में विभाजित किया जाता है और फिर एक के बाद एक उनके परीक्षण किए जाते हैं इससे गलती होने की गुंजाइश बहुत कम हो जाती है।
उन्होंने यह भी कहा कि केजीएमयू में वर्तमान में केवल 1,500 नमूनों का परीक्षण करने के लिए रीएजेंट्स हैं। हालांकि, अगले दो दिनों में और किट आ जाएंगे।
किसी व्यक्ति के रक्त के नमूने में कोरोनोवायरस के एंटीबॉडी की उपस्थिति की जांच करने के लिए रैपिड एंटीबॉडी या स्ट्रिप टेस्ट किया जाता है। स्ट्रिप टेस्ट की मदद से यह आंकलन किया जा सकता है कि कोई व्यक्ति संक्रमित है या नहीं। इस परीक्षण के बाद, यदि जरूरत हो तो रोगी के स्वाब के नमूनों को प्रयोगशाला में पुष्टि के लिए भेजा जा सकता है।
स्ट्रिप टेस्ट जल्दी से किया जा सकता है और इससे संदिग्ध मामलों को आसानी से पहचानने में मदद मिलती है।
जब से राज्य में कोविड-19 के मामले सामने आने शुरू हुए हैं। चिकित्सा विश्वविद्यालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के डॉक्टरों, अनुसंधान विद्वानों और प्रयोगशाला सहायकों की 15 लोगों की एक टीम फरवरी से चौबीसों घंटे काम कर रही है।
--आईएएनएस
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