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यूपी पुलिस के रियल लाइफ सिंघम इंस्पेक्टर अनिरुद्ध की फिल्म डाक्टर चक्रवर्ती रिलीज
अमरीष मनीष शुक्ला, इलाहाबाद। 30 से ज्यादा एनकाउंटर कर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन लेने वाले।
खूंखार अपराधियों के दिलों में खौफ पैदा करने वाले यूपी पुलिस के जांबाज
इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह की पहली शोलो फिल्म रिलीज हो गई है। इस फिल्म का
नाम डाक्टर चक्रवर्ती है और यह एक तेलगू फिल्म है। 14 जुलाई को सिनेमाघरों
में रिलीज हुई इस फिल्म के साथ इलाहाबादी इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह की एक
नयी पारी शुरू हो गई है। अब देखते है कि वह रुपहले पर्दे पर कैसे अपनी छाप
छोड़ पाते है। आइये जानते हैंं कि कैसे एक यूपी पुलिस का दारोगा हीरो बना
और क्यों कहा जाता हैंं उसे रियल लाइफ सिंघम।
इलाहाबाद से सब कुछ सीखा
इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह बताते है कि उन्होंने सबकुछ इलाहाबाद में ही रहकर सीखा। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की। पीसीबी होस्टल के अंतवासी रहे। फिर यहीं नौकरी की तैयारी में जुट गया। खून में गर्मी और इलाहाबादी अंदाज उन्हें यहीं से मिला। मेरा चयन जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस में हो गया। तो ट्रेनिंग के बाद मेरी ड्यूटी पूर्वांचल हो गई। 12 साल पहले वाराणसी में बदमाशों का खासा खौफ होता था। बहुत ही चुनौती भरे दिन थे । लेकिन ना जान की परवाह ना डर का साया सिर्फ़ ऑल आउट क्रिमिनलस में लगे रहते थे। वो समय था की नेपाल से मुंबई और हरियाणा से नागालैंड तक क्रिमिनलस का पीछा होता था और उनको अंजाम तक पहुँचते थे । मेरे सीनियर एस पी सिटी राकेश प्रधान सर और एस एस पी एस एन साबत सर का बहुत प्यार और आशीर्वाद के साथ सुरक्षा का एहसास होता था । लेकिन एक सच ये भी है जब मेरी प्रमोशन की फ़ाइल गई तो तत्कालीन मुखिया ने ते कह के रेजेक्ट कर दी कि मैंने पब्लिक के सहियोग से मुठभेड़ की है। इसलिए आपकी बहादुरी कम हो जाती है। फिर भी हम रुके नहीं और सिलसिला चलता रहा। जब चंदौली में मेथी तैनाती थी तब एक लाख रुपये के इनामी नक्सली संजय कोल को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस जांबाजी का इनाम देते हुए सरकार ने आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया था।
जब इलाहाबाद में हो गये सस्पेंड
अनिरुद्ध सिंह की जब बनारस के कैंट थाने के कोतवाल थे तब फिल्म निर्देशक शेखर सूरी बनारस में एई फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। सेट पर पहुंचते ही शेखर की नजर अनिरुद्ध पर पड़ी तो पहली ही नजर में शेखर सूरी को अनिरुद्ध सिंह हीरो के रुप में पसंद आ गए।
फिर क्या था शेखर से मुलाकात बढ़ी और शेखर ने अनिरुद्ध को फिल्मों में ब्रेक दे दिया और अनिरुद्ध का फिल्मी करियर शुरू हो गया।
लगभग डेढ साल पहले अनिरुद्ध का तबादला इलाहाबाद हो गया। यहां वह इंस्पेक्टर झूंसी और अतरसुइया रहे। कुछ महीने पहले उनका तबादला क्राइम ब्रांच इन्वेस्टीगेशन विंग में कर दिया गया, लेकिन फिल्मी दुनिया के प्रति उनका रुझान कम नहीं हुआ। इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह फिल्मों पर ज्यादा फोकस करने लगे। इस वजह से वह ड्यूटी पर नहीं जा पा रहे थे। अकसर बिना सूचना के ड्यूटी से गायब रहते और शूटिंग पर चले जाते। इसकी शिकायत तत्कालीन एसएसपी केएस इमेनुएल से हुई तो अनिरुद्ध सिंह को सस्पेंड कर दिया गया।
इलाहाबाद से सब कुछ सीखा
इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह बताते है कि उन्होंने सबकुछ इलाहाबाद में ही रहकर सीखा। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की। पीसीबी होस्टल के अंतवासी रहे। फिर यहीं नौकरी की तैयारी में जुट गया। खून में गर्मी और इलाहाबादी अंदाज उन्हें यहीं से मिला। मेरा चयन जल्द ही उत्तर प्रदेश पुलिस में हो गया। तो ट्रेनिंग के बाद मेरी ड्यूटी पूर्वांचल हो गई। 12 साल पहले वाराणसी में बदमाशों का खासा खौफ होता था। बहुत ही चुनौती भरे दिन थे । लेकिन ना जान की परवाह ना डर का साया सिर्फ़ ऑल आउट क्रिमिनलस में लगे रहते थे। वो समय था की नेपाल से मुंबई और हरियाणा से नागालैंड तक क्रिमिनलस का पीछा होता था और उनको अंजाम तक पहुँचते थे । मेरे सीनियर एस पी सिटी राकेश प्रधान सर और एस एस पी एस एन साबत सर का बहुत प्यार और आशीर्वाद के साथ सुरक्षा का एहसास होता था । लेकिन एक सच ये भी है जब मेरी प्रमोशन की फ़ाइल गई तो तत्कालीन मुखिया ने ते कह के रेजेक्ट कर दी कि मैंने पब्लिक के सहियोग से मुठभेड़ की है। इसलिए आपकी बहादुरी कम हो जाती है। फिर भी हम रुके नहीं और सिलसिला चलता रहा। जब चंदौली में मेथी तैनाती थी तब एक लाख रुपये के इनामी नक्सली संजय कोल को एनकाउंटर में मार गिराया था। इस जांबाजी का इनाम देते हुए सरकार ने आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देकर इंस्पेक्टर बना दिया था।
जब इलाहाबाद में हो गये सस्पेंड
अनिरुद्ध सिंह की जब बनारस के कैंट थाने के कोतवाल थे तब फिल्म निर्देशक शेखर सूरी बनारस में एई फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। सेट पर पहुंचते ही शेखर की नजर अनिरुद्ध पर पड़ी तो पहली ही नजर में शेखर सूरी को अनिरुद्ध सिंह हीरो के रुप में पसंद आ गए।
फिर क्या था शेखर से मुलाकात बढ़ी और शेखर ने अनिरुद्ध को फिल्मों में ब्रेक दे दिया और अनिरुद्ध का फिल्मी करियर शुरू हो गया।
लगभग डेढ साल पहले अनिरुद्ध का तबादला इलाहाबाद हो गया। यहां वह इंस्पेक्टर झूंसी और अतरसुइया रहे। कुछ महीने पहले उनका तबादला क्राइम ब्रांच इन्वेस्टीगेशन विंग में कर दिया गया, लेकिन फिल्मी दुनिया के प्रति उनका रुझान कम नहीं हुआ। इंस्पेक्टर अनिरुद्ध सिंह फिल्मों पर ज्यादा फोकस करने लगे। इस वजह से वह ड्यूटी पर नहीं जा पा रहे थे। अकसर बिना सूचना के ड्यूटी से गायब रहते और शूटिंग पर चले जाते। इसकी शिकायत तत्कालीन एसएसपी केएस इमेनुएल से हुई तो अनिरुद्ध सिंह को सस्पेंड कर दिया गया।
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