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यूपी सरकार 600 करोड़ खर्च कर बुनियादी ढांचे कर रही मजबूत
लखनऊ । यूपी के नए उद्योगों के साथ
पुराने औद्योगिक क्षेत्रों का भी कायाकल्प कर रहे हैं। इसके लिए सरकार की
ओर से छह सौ करोड़ खर्च कर बुनियादी ढांचे को मजबूत किया जा रहा है।
एमएसएमई सेक्टर को मजबूत बनाने और निवेश बढ़ाने के लिए जल्द ही की नई नीति
भी आने वाली है।
सरकार की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, नए औद्योगिक स्थानों के विकास के
लिए चार जिलों प्रयागराज, प्रतापगढ़, अलीगढ़ और महोबा में 50 करोड़,
अयोध्या में सीपेट केंद्र के निर्माण और संयंत्रों के लिए 30 करोड़, जिला
उद्योग एक उद्यम केंद्रों के आधुनिकीकरण और उच्चीकरण के लिए पांच करोड़
रुपये खर्च किए जा रहे हैं। साथ ही 20 करोड़ की लागत से औद्योगिक क्षेत्रों
में अवस्थापना सुविधाओं के उच्चीकरण के लिए पिछले वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष
करीब चार गुना अधिक राशि खर्च की जा रही है। इसी प्रकार क्लस्टर विकास
योजना और पुराने औद्योगिक क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं को बढ़ाने के
लिए 100 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि सरकार नए उद्योगों के साथ पुराने और पारंपरिक औद्योगिक क्षेत्रों में सुविधाओं और सेवाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा अधिक से युवाओं को जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्पों पर काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ओडीओपी पर पिछले साल की अपेक्षा दोगुना खर्च कर रहे हैं। ओडीओपी की ब्रांडिंग के लिए इस साल 46.25 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष इसके लिए 28.90 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसी प्रकार श्रम सम्मान योजना की सफलता को देखते हुए सरकार पांच गुना अधिक खर्च कर रही है। पिछले वर्ष 20.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जबकि अब 112.50 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के तहत सब्सिडी देने के लिए 45.50 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जबकि पिछले वर्ष इसके लिए 32 करोड़ रुपये की व्यवस्था थी। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, सशक्तिकरण के लिए जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 125 करोड़, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रशिक्षण के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सरकार इस वर्ष सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना के तहत सब्सिडी देने के लिए दो करोड़ के बजाय अब 4.50 करोड़ रुपये और लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के तहत सब्सिडी के लिए 19.50 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
--आईएएनएस
एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि सरकार नए उद्योगों के साथ पुराने और पारंपरिक औद्योगिक क्षेत्रों में सुविधाओं और सेवाओं को बढ़ावा दे रही है। इसके अलावा अधिक से युवाओं को जॉब सीकर के बजाय जॉब क्रिएटर बनाने के लिए ज्यादा से ज्यादा विकल्पों पर काम किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अपने ड्रीम प्रोजेक्ट ओडीओपी पर पिछले साल की अपेक्षा दोगुना खर्च कर रहे हैं। ओडीओपी की ब्रांडिंग के लिए इस साल 46.25 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। जबकि पिछले वर्ष इसके लिए 28.90 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसी प्रकार श्रम सम्मान योजना की सफलता को देखते हुए सरकार पांच गुना अधिक खर्च कर रही है। पिछले वर्ष 20.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। जबकि अब 112.50 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सरकार उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के लिए लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के तहत सब्सिडी देने के लिए 45.50 करोड़ रुपये खर्च कर रही है, जबकि पिछले वर्ष इसके लिए 32 करोड़ रुपये की व्यवस्था थी। इसके अलावा औद्योगिक क्षेत्रों में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा, सशक्तिकरण के लिए जागरूकता और क्षमता निर्माण कार्यक्रम के लिए 12 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं।
सरकार की ओर से मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना में 125 करोड़, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रशिक्षण के लिए दो करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। सरकार इस वर्ष सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग तकनीकी उन्नयन योजना के तहत सब्सिडी देने के लिए दो करोड़ के बजाय अब 4.50 करोड़ रुपये और लघु उद्योग क्लस्टर विकास योजना के तहत सब्सिडी के लिए 19.50 करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
--आईएएनएस
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