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उदयपुर में लॉकडाउन के दौरान पक्षी विशेषज्ञों की अनूठी पहल, यहां पढ़ें
उदयपुर । कोरोना महामारी के कारण देशभर में लागू किए गए लॉकडाउन का उपयोग इन दिनों अलग-अलग पेशेवर अपने-अपने हिसाब से करते हैं। इसी श्रृंखला में शहर में पर्यावरण व पक्षियों पर शोध कर रहे कुछ विशेषज्ञ भी इस समय का उपयोग कुछ अलग ही ढंग से कर रहे हैं और इसमें कुछ नए तथ्यों को उजागर किया है।
इन दिनों उदयपुर में प्रवासरस इंटरनेशनल क्रेन फाउण्डेशन व नेचर कंजरवेशन फाउण्डेशन के पक्षी विज्ञानी डॉ. के.एस.गोपीसुंदर, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर व पक्षी विज्ञानी डॉ. विजय कोली और नेचर कंज़र्वेशन मेसूर की पक्षी विज्ञानी डॉ. स्वाति किट्टूर ने लॉकडाउन अवधि में बिना फिल्ड में गए इंटरनेट पर उपलब्ध वेरियबल विटियर अर्थात छोटी चिडि़याओं की प्रजाति के चित्रों के आधार पर एक विस्तृत शोधपत्र तैयार किया है और इसमें पूरे भारत में इन पक्षियों की विविध प्रजातियों की उपस्थिति का डाटा संकलित किया है। उन्होंने इस शोध में वेरियेबल विटियर के भारत में वितरण पर कार्य किया हैं और सामान्यतः इस पक्षी के तीन रूप पहचाने गये हैं: पीकाटा, केपिस्ट्राटा और ओपिस्योल्यूका।
इन दिनों उदयपुर में प्रवासरस इंटरनेशनल क्रेन फाउण्डेशन व नेचर कंजरवेशन फाउण्डेशन के पक्षी विज्ञानी डॉ. के.एस.गोपीसुंदर, मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर व पक्षी विज्ञानी डॉ. विजय कोली और नेचर कंज़र्वेशन मेसूर की पक्षी विज्ञानी डॉ. स्वाति किट्टूर ने लॉकडाउन अवधि में बिना फिल्ड में गए इंटरनेट पर उपलब्ध वेरियबल विटियर अर्थात छोटी चिडि़याओं की प्रजाति के चित्रों के आधार पर एक विस्तृत शोधपत्र तैयार किया है और इसमें पूरे भारत में इन पक्षियों की विविध प्रजातियों की उपस्थिति का डाटा संकलित किया है। उन्होंने इस शोध में वेरियेबल विटियर के भारत में वितरण पर कार्य किया हैं और सामान्यतः इस पक्षी के तीन रूप पहचाने गये हैं: पीकाटा, केपिस्ट्राटा और ओपिस्योल्यूका।
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