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स्मृति ने इस तरह गढ़ी गांधी परिवार की परंपरागत सीट पर जीत की कहानी

khaskhabar.com : शनिवार, 25 मई 2019 2:10 PM (IST)
स्मृति ने इस तरह गढ़ी गांधी परिवार की परंपरागत सीट पर  जीत की कहानी
गौरीगंज के रामदीन कहते हैं कि राजीव गांधी के समय के पुराने और निष्ठावान कांग्रेसी धीरे-धीरे पार्टी से दूर होते चले गए। जबकि सच्चाई यह है कि ये लोग ही पार्टी के चुनाव अभियान की पूरी कमान संभालते थे। अगर ये लोग साथ होते तो शायद नतीजे राहुल के पक्ष में नजर आते।"सिंहपुर के किसान फगुना की अपनी अलग व्यथा है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी ने सम्राट बाइसिकिल्स नामक कंपनी बनाकर हम जैसे कई किसानों की मदद की थी। लेकिन उनके बाद फैक्ट्री घाटे में चली गई और उसे बंद कर दिया गया। कर्ज के कारण कंपनी की जमीन नीलाम हो गई। इस जमीन को राजीव गांधी चौरिटेबिल ट्रस्ट ने खरीद लिया। ट्रस्ट में राहुल गांधी ट्रस्टी हैं और किसानों को जमीन लौटाने की मांग को लेकर स्मृति ईरानी ने पांच साल तक लड़ाई लड़ी। स्मृति के अलावा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जमीन लौटाने का वादा किया है। इसी आशा से हम किसानों का झुकाव उस ओर हो गया है।
अमेठी लोकसभा सीट के तहत पांच विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें अमेठी जिले की तिलोई, जगदीशपुर, अमेठी और गौरीगंज सीटें शामिल हैं। जबकि रायबरेली जिले की सलोन विधानसभा सीट भी अमेठी में आती है। 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पांच सीटों में से चार पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी और महज एक सीट समाजवादी पार्टी (सपा) को मिली थी। अमेठी लोकसभा सीट को कांग्रेस का अभेद्य किला माना जाता रहा है। इस सीट पर इससे पहले 16 चुनाव और दो उपचुनाव हुए हैं। इनमें से कांग्रेस ने यहां 16 बार जीत दर्ज की है। 1977 में लोकदल और 1998 में भाजपा को यहां से जीत मिली थी। यहां से संजय गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी के अलावा राहुल गांधी सांसद रहे हैं और अब यह सीट स्मृति की हो गई है। (आईएएनएस)

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