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बागवानी किसानों के लिए वरदान, आमदनी बढ़ाने का जरिया बनी
चौधरी ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित योजना एमआईडीएच का मकसद बागवानी क्षेत्र में फलों, सब्जियों, कंद-मूल, मशरूम, मसाले, फूल, सुगंधित पौधे, नारियल, काजू, कोको और बांस को कवर करते हुए बागवानी क्षेत्र का समग्र विकास करना है।
इस मिशन के तहत केंद्र सरकार कुल खर्च में सामान्य राज्यों को 60 फीसदी और पूवोत्तर व हिमालयी राज्यों को 90 फीसदी हिस्सा देती है। वहीं, केंद्र शासित प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर के संगठनों के लिए केंद्र सरकार शतप्रतिशत खर्च वहन करती है।
एमआईडीएच के तहत राष्ट्रीय बागवानी मिशन (एनएचएम), पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों के लिए बागवानी मिशन (एचएमएनईएच), राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड (एनएचबी), नारियल विकास बोर्ड (सीबीडी) और केंद्रीय बागवानी संस्थान (सीआईएच), नागालैंड शामिल हैं।
बिहार के बागवानी सह मिशन के निदेशक नंद किशोर कहते हैं कि बागवानी मिशन की योजनाओं के प्रति किसानों का रुझान बढ़ा है, खासतौर से मशरूम और सब्जियों की वैज्ञानिक ढंग से खेती में किसान ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं, क्योंकि इसमें उनको फायदा दिख रहा है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के बागवानी विज्ञान संभाग में प्रधान वैज्ञानिक डॉ.विक्रमादित्य पांडेय ने बताया कि देश फूलों, फलों, सब्जियों, मसालों, रोपड़ फसलों, औषधीय एवं सगंधीय पौधों और सब्जियों की खेती से किसानों को खाद्यान्नों व अन्य नकदी फसलों की तुलना में ज्यादा आमदनी होती है।
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