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जंडियाला गुरू के ठठेरों को यूनेस्को ने दी मान्यता, हर साल सरकार भी 10 लाख देगी
अमृतसर। जंडियाला गुरू में पीढ़ीयों से बर्तन बनाते ठठेरों को आज उस समय बड़ा बल मिला, जब डिप्टी कमिशनर अमृतसर स. कमलदीप सिंह संघा के विशेष प्रयत्नों स्वरूप यूनेस्को (यूनाइटिड नेशन ऐजुकेशनल, साईंटिफिक और कल्चरल ऑर्गेनाईजेशन) ने जंडियाला गुरू की इस कला को विश्व स्तर पर प्रोत्साहित करने का ऐलान कर दिया।
इस संबंधी जंडियाला गुरू में करवाए गए समागम में बोलते हुए स्थानीय निकाय, पर्यटन, सांस्कृतिक मामले और पुरातत्व एवं अजायब घर मामले मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू ने यूनेस्को के इस ऐलान का स्वागत करते हुए कहा कि इस फ़ैसले के साथ आखिरी साँस ले रही बर्तन बनाने की कला, जो कि मानवीय ज़रूरतों को भी पूरा करती है, में नयी जान पड़ी है। उन्होंने बताया कि इस फ़ैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जंडियाला गुरू के ठठेरों द्वारा तैयार बर्तन अपनी पहचान बना सकेंगे और इसका आर्थिक लाभ यह काम करने वाले परिवारों को मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में जंडियाला गुरू ही ऐसा कस्बा है, जहाँ के स्थानीय कला को यूनेस्को ने मान्यता दी है और उत्साहित करने के लिए राज़ी हुई है।
इस संबंधी जंडियाला गुरू में करवाए गए समागम में बोलते हुए स्थानीय निकाय, पर्यटन, सांस्कृतिक मामले और पुरातत्व एवं अजायब घर मामले मंत्री स. नवजोत सिंह सिद्धू ने यूनेस्को के इस ऐलान का स्वागत करते हुए कहा कि इस फ़ैसले के साथ आखिरी साँस ले रही बर्तन बनाने की कला, जो कि मानवीय ज़रूरतों को भी पूरा करती है, में नयी जान पड़ी है। उन्होंने बताया कि इस फ़ैसले से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जंडियाला गुरू के ठठेरों द्वारा तैयार बर्तन अपनी पहचान बना सकेंगे और इसका आर्थिक लाभ यह काम करने वाले परिवारों को मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में जंडियाला गुरू ही ऐसा कस्बा है, जहाँ के स्थानीय कला को यूनेस्को ने मान्यता दी है और उत्साहित करने के लिए राज़ी हुई है।
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