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यूडीएच मंत्री का फैसला, पायलट ने कहा, कैबिनेट और संगठन से नहीं की गई चर्चा

khaskhabar.com : शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2019 6:18 PM (IST)
यूडीएच मंत्री का फैसला, पायलट ने कहा, कैबिनेट और संगठन से नहीं की गई चर्चा
जयपुर । गहलोत सरकार के यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने नगर निकाय चुनाव से पहले एक बड़ा चौकाने वाला निर्णय क्या लिया,डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने धारीवाल के फैसले को गलत बता दिया।
यूडीएच मंत्री शांति धारीवाल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जयपुर, जोधपुर व कोटा में 2-2 नगर निगम होंगे। नवगठित नगर निगमों के वार्डो के सीमांकन परिसीमन का कार्य अगले 2-3 माह में पूर्ण करा लिया जायेगा। जिसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग इनकी मतदाता सूचियां तैयार कर आम चुनाव करा सकेगा। यह सम्पूर्ण प्रक्रिया छह माह में सम्पन्न होगी। वहीं यूडीएच मंत्री के इस फैसले को डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने गलत बता दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के फैसले की चर्चा ना तो कैबिनेट में हुई थी और संगठन स्तर पर हुई थी ना ही विधायक दल में चर्चा की गई। यूडीएच मंत्री ने अपने स्तर पर यह फैसला लिया है। साथ ही मेयर, सभापति बिना पार्षद का चुनाव लड़े कोई भी बन सकता है, यह गलत फैसला है।



वहीं प्रेस कॉन्फ्रेंस में धारीवाल ने कहा कि जयपुर, जोधपुर, कोटा के वर्तमान नगर निगमों का कार्यकाल नवम्बर में समाप्त हो जायेगा, जिसके बाद वर्तमान निर्वाचित बोर्ड कार्यरत नहीं रह पायेगा और नये नगर निगमों का आम चुनाव होने तक अन्तरिम रूप से प्रशासनिक व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जायेगी।


धारीवाल ने राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की जानकारी देते हुये बताया कि राजस्थान नगरपालिका अधिनियम, 2009 की धारा 3 की उप धारा (1) के खण्ड (सी) के तहत नगरपालिका जिसमें नगर परिषद व नगर निगम भी शामिल है, के सृजन करने, सीमायें घटाने-बढ़ाने एवं विद्यमान नगरपालिका/परिषद/निगम को दो या अधिक भागों में विभाजित करने उनकी सीमायें निर्धारित करने का राज्य सरकार को अधिकार प्रदत्त किया गया है। इसी प्रकार धारा 3 की उप धारा (1) के खण्ड (डी) के उप खण्ड (i) के अनुसार नयी नगरपालिका/परिषद/ निगम के गठन के उपरान्त छः माह के भीतर चुनाव करवाये जाने की व्यवस्था है। धारा 5 के अन्तर्गत किसी नगरपालिका क्षेत्र को नगर निगम घोषित करने की शक्तियां राज्य सरकार को है तथा धारा 6 के अन्तर्गत राज्य सरकार नगरपालिकाओं में समय≤ पर वार्डो की संख्या निर्धारित कर सकती है। धारा 10 के अन्तर्गत नये वार्डो का गठन करते हुये उनका सीमांकन करने की शक्तियां भी राज्य सरकार को प्रदत्त की गयी है। बड़े शहरों में जनसंख्या की वृद्धि, बढ़ते हुये कार्यभार उनके हैरिटेज के महत्व आदि को मध्यनजर रखते हुये राज्य सरकार समय-समय पर उपरोक्त प्रावधानों का प्रयोग करती है।


राज्य मंत्रिमण्डल की बैठक 14 अक्टूबर, 2019 मे व्यापक विचार-विमर्श तथा जनता से प्राप्त फीडबैक के आधार पर स्थानीय निकायों के निर्वाचन की प्रक्रिया एवं गठन के सम्बन्ध में कतिपय महत्वपूर्ण निर्णय लिये है। निर्वाचित सदस्यों/पार्षदों के अलावा अन्य व्यक्ति यदि वह पार्षद/सदस्य बनने की योग्यता रखता है, तो वह भी अध्यक्ष/सभापति/महापौर का चुनाव लड़ सकता है, ऐसी व्यवस्था 23 अक्टूबर, 2009 की अधिसूचना से नियम संशोधित कर दी गई थी, जिसे वर्ष 2014 में हटा दिया गया था, लेकिन 31 जनवरी, 2019 को जारी अधिसूचना से नियमों को संशोधित कर पुनः 23 अक्टूबर, 2009 की व्यवस्था कर दी गई थी और उसी अनुरूप 16 अक्टूबर, 2019 की अधिसूचना में यह व्यवस्था यथावत रखी गयी है कि निर्वाचित सदस्य/पार्षद के अलावा अन्य पात्र व्यक्ति भी अध्यक्षीय चुनाव लड़ सकता है।


अधिसूचना 16 अक्टूबर, 2019 को जारी करके राजस्थान नगरपालिका (निर्वाचन) नियम 1994 में संशोधन करके चेयरपर्सन के चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से करने का प्रावधान किया गया है। निर्वाचित सदस्य के अलावा प्रत्यक्ष प्रणाली के समान अन्य व्यक्ति को भी चुनाव लड़ने का अधिकार दिया गया है। किसी नगरपालिका/परिषद/निगम के विभाजन के फलस्वरूप नवगठित नगरपालिका/परिषद/ निगम के छः माह में चुनाव होने तक अन्तरिम प्रशासनिक व्यवस्था की जा सकती है, जिसके लिये धारा 320 में प्रावधान मौजूद है। इन प्रावधानों में प्रशासन या समिति या प्राधिकारी नियुक्त किये जाने की व्यवस्था है।


भारत के संविधान में और नगर पालिका अधिनियम, 2009 में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें केवल निर्वाचित सदस्य/पार्षद ही अध्यक्षीय पद का चुनाव लड़ सकता हो। संविधान के अनुच्छेद 243R के उप खण्ड (2) (b) एवं 243 ZA(2) के अनुसार नगरपालिका के अध्यक्षीय पद का निर्वाचन की प्रक्रिया निर्धारित करने की शक्त्यिां पूर्णतः Legislature of State में निहित की गई है।



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