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बच्चों को स्वतंत्र एवं गरिमामय वातावरण उपलब्ध करवाना सबका सामूहिक दायित्व: एडीसी
धर्मशाला। अतिरिक्त उपायुक्त राघव शर्मा ने कहा कि जिला कांगड़ा में बाल हितों के संरक्षण के लिए लोगों से अधिक संवेदनशील रवैया अपनाने और बच्चों एवं किशोरों की बुरे बर्ताव और शोषण से रक्षा करने के लिए दृढ़तापूर्वक अपनी सामाजिक-नैतिक जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि यह सभी का सामूहिक दायित्व है कि बच्चों को स्वतंत्र एवं गरिमामय वातावरण उपलब्ध हो ताकि उनका स्वस्थ सर्वांगीण विकास हो सके। वे आज जिला बाल संरक्षण इकाई कांगड़ा द्वारा बाल हितों के संरक्षण से सम्बन्धित मुद्दों पर आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए बोल रहे थे।
अतिरिक्त उपायुक्त ने पोक्सो पर जानकारी देते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल बर्ताव पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) कानून के दायरे में आता है। इसके तहत लड़के और लड़की दोनों को ही संरक्षण दिया गया है। इस तरह के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इस अधिनियम के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। उन्होंने बताया कि 12 साल से कम आयु के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान है।
एडीसी ने कहा कि किसी भी प्रकार के बाल शोषण की स्थिति में बच्चा या अभिभावक दूरभाष नम्बर 100 या टोल-फ्री नम्बर 1098 पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाल बालिका सुरक्षा योजना के तहत कांगड़ा जिला के लिए 10 लाख रुपये बजट का प्रावधान किया गया है। एडीसी ने कहा कि हमारे समाज का भी यह दायित्व है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवायें। उन्होंने स्कूलों में बाल संरक्षण कमेटी गठित करने को कहा। उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को घिनौने स्पर्श करने वाले या मिठाई, चाकलेट जैसे उपहार का प्रलोभन देने वाले अजनबी लोगांे से दूर रहने के बारे समझायें। इसके साथ ही ऐसे मामलों के बारे में अपने अभिभावकों और अध्यापकों को भी तुरंत बताने के लिये कहें।
अतिरिक्त उपायुक्त ने पोक्सो पर जानकारी देते हुए कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के बच्चों से किसी भी तरह का सेक्सुअल बर्ताव पोक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) कानून के दायरे में आता है। इसके तहत लड़के और लड़की दोनों को ही संरक्षण दिया गया है। इस तरह के मामलों की सुनवाई स्पेशल कोर्ट में होती है और बच्चों के साथ होने वाले अपराध के लिए उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इस अधिनियम के तहत बच्चों को सेक्सुअल असॉल्ट, सेक्सुअल हैरेसमेंट जैसे अपराधों से प्रोटेक्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा तय की गई है। उन्होंने बताया कि 12 साल से कम आयु के बच्चों के साथ दुष्कर्म करने वालों को फांसी की सजा का प्रावधान है।
एडीसी ने कहा कि किसी भी प्रकार के बाल शोषण की स्थिति में बच्चा या अभिभावक दूरभाष नम्बर 100 या टोल-फ्री नम्बर 1098 पर अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं। उन्होंने कहा कि बाल बालिका सुरक्षा योजना के तहत कांगड़ा जिला के लिए 10 लाख रुपये बजट का प्रावधान किया गया है। एडीसी ने कहा कि हमारे समाज का भी यह दायित्व है कि हम अपने बच्चों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध करवायें। उन्होंने स्कूलों में बाल संरक्षण कमेटी गठित करने को कहा। उन्होंने अभिभावकों से भी आग्रह किया कि वे अपने बच्चों को घिनौने स्पर्श करने वाले या मिठाई, चाकलेट जैसे उपहार का प्रलोभन देने वाले अजनबी लोगांे से दूर रहने के बारे समझायें। इसके साथ ही ऐसे मामलों के बारे में अपने अभिभावकों और अध्यापकों को भी तुरंत बताने के लिये कहें।
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