Advertisement
राजस्थान के इस गांव में है दो पत्नियों का रिवाज, जानें आखिर क्यों शुरू हुई परम्परा
जैसलमेर। राजस्थान का जैसलमेर जिले में एक गांव अपने अनोखे रिवाज के कारण चर्चाओं को केन्द्र बना हुआ है। गांव का नाम है डेरासर। अनोखा रिवाज ये है कि यहां दो पत्नियां रखने का रिवाज है। डेरासर ग्राम पंचायत की रामदेयो की बस्ती नामक गांव में हर दूसरे घर के पुरुषों की दो पत्नियां हैं।
इस गांव के पुरुषों ने दो-दो शादियां की हैं और दोनों पत्नियों के साथ में ही रहते हैं। ज्यादातर पुरुषों ने दावा किया कि पहली पत्नी गर्भधारण करने में नाकाम रही या फिर बेटी को ही जन्म दिया, जिस वजह से उन्हें दोबारा शादी करनी पड़ी। वर्तमान में यह परम्परा पुरानी पीढ़ी तक ही सीमित है। नई पीढ़ी में यह रिवाज नहीं के बराबर ही है।
दूसरी पत्नी ही बेटे को जन्म दे सकती है
इस गांव में यह मान्यता जड़ जमा चुकी है कि दूसरी पत्नी ही बेटे को जन्म दे सकती है। यहां के एक बुजुर्ग ने बताया, दूसरी पत्नी को बेटे की गारंटी के तौर पर देखा जाता है। दो पत्नियां होने के बाद घर एकजुट रहे इसके लिए एक ही रसोई में साथ में खाना पकाया जाता है।
पुरानी पीढ़ी के लोग ही कर रहे इस परम्परा को फॉलो
जैसलमेर और बाड़मेर के कुछ इलाकों में दो पत्नियों की यह परंपरा चलती है। हालांकि अब ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है और रामदेयो की बस्ती जैसे कुछ ही गांवों में पुरानी पीढ़ी के लोग यह परंपरा फॉलो कर रहे हैं। गांव में रहने वाले मौलवी निशरु खान के दोनों भाइयों की दो-दो पत्नियां हैं। उन्होंने कहा, अब इसको संयोग कहें या खुदा की मर्जी कि हर दूसरे घर में पुरुषों की दो-दो पत्नियां हैं।
दोनों पत्नियों को देते हैं बराबर हक
यहां के एक मदरसे में पढ़ाने वाले दोस्त अली ने कहा, महिलाओं के पति उन्हें बराबर हक देते हैं इसलिए वे आपत्ति नहीं जताती हैं। अपनी पत्नियों को खुश रखने की जिम्मेदारी हम पर होती है और हम पूरा ख्याल रखते हैं।
अभी तक किसी तरह के बड़े विवाद का मामला सामने नहीं आया है। बच्चे भी अपनी मां का पूरा ख्याल रखते हैं। महिलाएं खुद आपस में शांति से रहती हैं।
इस गांव के पुरुषों ने दो-दो शादियां की हैं और दोनों पत्नियों के साथ में ही रहते हैं। ज्यादातर पुरुषों ने दावा किया कि पहली पत्नी गर्भधारण करने में नाकाम रही या फिर बेटी को ही जन्म दिया, जिस वजह से उन्हें दोबारा शादी करनी पड़ी। वर्तमान में यह परम्परा पुरानी पीढ़ी तक ही सीमित है। नई पीढ़ी में यह रिवाज नहीं के बराबर ही है।
दूसरी पत्नी ही बेटे को जन्म दे सकती है
इस गांव में यह मान्यता जड़ जमा चुकी है कि दूसरी पत्नी ही बेटे को जन्म दे सकती है। यहां के एक बुजुर्ग ने बताया, दूसरी पत्नी को बेटे की गारंटी के तौर पर देखा जाता है। दो पत्नियां होने के बाद घर एकजुट रहे इसके लिए एक ही रसोई में साथ में खाना पकाया जाता है।
पुरानी पीढ़ी के लोग ही कर रहे इस परम्परा को फॉलो
जैसलमेर और बाड़मेर के कुछ इलाकों में दो पत्नियों की यह परंपरा चलती है। हालांकि अब ऐसा काफी कम ही देखने को मिलता है और रामदेयो की बस्ती जैसे कुछ ही गांवों में पुरानी पीढ़ी के लोग यह परंपरा फॉलो कर रहे हैं। गांव में रहने वाले मौलवी निशरु खान के दोनों भाइयों की दो-दो पत्नियां हैं। उन्होंने कहा, अब इसको संयोग कहें या खुदा की मर्जी कि हर दूसरे घर में पुरुषों की दो-दो पत्नियां हैं।
दोनों पत्नियों को देते हैं बराबर हक
यहां के एक मदरसे में पढ़ाने वाले दोस्त अली ने कहा, महिलाओं के पति उन्हें बराबर हक देते हैं इसलिए वे आपत्ति नहीं जताती हैं। अपनी पत्नियों को खुश रखने की जिम्मेदारी हम पर होती है और हम पूरा ख्याल रखते हैं।
अभी तक किसी तरह के बड़े विवाद का मामला सामने नहीं आया है। बच्चे भी अपनी मां का पूरा ख्याल रखते हैं। महिलाएं खुद आपस में शांति से रहती हैं।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
जैसलमेर
राजस्थान से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement