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हरियाणा के ये किसान खेती में बदलाव कर कमा रहे हैं लाखों, करोड़ों रुपए
रोहतक। एक तरफ जहां परंपरागत खेती में किसानों को नुकसान हो रहा है वहीं प्रगतिशील किसान खेती के तरीकों में बदलाव करके लाखों नहीं बल्कि करोड़ों रुपए कमा रहे हैं। रोहतक
के गोहाना रोड पर मेला ग्राऊंड में चले रहे तीसरे कृषि नेतृत्व शिखर
सम्मेलन में हर रोज कुछ अलग देखने को मिल रहा है।
पूरे प्रदेश से मेले प्रगतिशील किसानों ने अपने खेती के उत्पादों व खेती करने के तरीकों से संबंधित प्रदर्शनी लगाई है और उनके खेती करने के तरीकों को देखकर यहां आना वाला हर कोई खेती करने का ईच्छुक हो जाता है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओप्रकाश धनखड़ की यह पहल प्रदेश के किसानों को खेती की नई तकनीक की जानकारी देने और बेहतर तरीके से खेती कर आमदन बढाने में अहम साबित हो रही है। कृषि मंत्री द्वारा खेती और किसानों की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयास हकीकत में सराहनीय हैं।
मेले में फरूखनगर से आए किसान महाबीर आर्य आंवले की खेती करते हैं और उनका पूरा परिवार इस कार्य में उनका साथ देता है। उनके 5 बेटे, 4 बहुएं, 6 पोते पोतियां और उनकी धर्मपत्नी व भाई भाभी सब इस कार्य में लगे हुए हैं। बातचीत के दौरान महाबीर ने बताया कि जब सन 12 साल पहले में उन्होंने आंवले की खेती शुरू की, तो उस वक्त उनकी फसल को खरीदने वाला नहीं मिलता था। फिर उन्होंने आंवले से बनने वाले उत्पादों को प्रोसेसिंग प्लांट लगा लिया और आज वे अपने उत्पादों का निर्यात भी कर रहे हैं। वे कहते है कि अब वे आंवले से अचार, मुरब्बा, चयमनप्राश, आंवलाप्राश, लड्डू और बर्फी जैसे कई उत्पाद बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल 3.5 एकड भूमि में 222 आंवले के पौधे लगा रखे हैं और सालान लगभग 300 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 4 लाख रूपए का मुनाफा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि आज खेती में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। अगर सही प्रकार से मेहनत के साथ खेती की जाए तो मुनाफा ही मुनाफा है। वे कहते हैं कि उनके विचार से खेती में नौकरी से भी अधिक कमाई है। उन्होंंने कहा कि इस तरह के मेलों के आयोजन से न केवल उनके जैसे किसानों को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि दूसरे किसान भाई भी खेती की नई तकनीकों को सीखकर खेती के माध्यम से अपनी आमदन बढा सकते हैं।
सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से भी ज्यादास्ट्राबेरी की खेती करने वाले सुरेन्द्र सिंह हिसार जिला के सहारवा गांव के युवा किसान का सालान टर्नओवर एक करोड़ रूपए से भी अधिक पहुंच गया है। वे मदरडेयरी जैसी कम्पनियों को भी डारेक्ट सप्लाई करते हैं। अपने खेतों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाकर स्ट्राबेरी 18 से ज्यादा उत्पाद भी बना रहे हैं। लगभग 12 साल पहले स्ट्राबेरी की खेती शुरू करने वाले सुरेन्द बताते हैं कि उन्होंने 2 लाख रूपए लगाकर काम शुरू किया था और आज 10 एकड़ भूमि पर स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। उनके यहां 20 लोग काम करते हैं। काम अच्छा चला तो उन्होंने 2009 में पीजीटी मैथमैटिक्स की नौकरी छोड दी। वे कहते हैं कि अच्छी और अत्याधुनिक तकनीक के साथ की जाने वाली खेती में बहुत फायदा है।
एक बार लगाएं और 10 साल तक कमाएंहिसार के तीन मोटर मैकेनिक अलोवेरा की खेती से हर साल लाखों का मुनाफा ले रहे हैं। लगभग 5 साल पहले अलोवेरा की खेती शुरू करने वाले संतलाल, मुकेश व राजा आज प्रति एकड़ सालाना 80 हजार से ज्यादा कमा रहे हैं। अलोवेरा की खेती से पहले से ही ये तीनों मोटर मैकेनीक का काम करते आ रहे हैं और अपने एक ग्राहक आबिद के कारण ही अलोवेरा की खेती शुरू की थी। ये तीनों कहते हैं कि उन्हें कभी अपने उत्पाद को बाजार में लेर जाने की जरूरत नहीं पडी है। उनके खेत से ही कम्पनियां अलोवेरा ले जाती हैं। अलोवेरा की खेती की खास बात है कि यह फसल किसी भी प्रकार की खराब से भी खराब भूमि में पैदा हो जाती है और एक बार लगाने के बाद 10 साल तक पैदावार देता है।
पूरे प्रदेश से मेले प्रगतिशील किसानों ने अपने खेती के उत्पादों व खेती करने के तरीकों से संबंधित प्रदर्शनी लगाई है और उनके खेती करने के तरीकों को देखकर यहां आना वाला हर कोई खेती करने का ईच्छुक हो जाता है। हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ओप्रकाश धनखड़ की यह पहल प्रदेश के किसानों को खेती की नई तकनीक की जानकारी देने और बेहतर तरीके से खेती कर आमदन बढाने में अहम साबित हो रही है। कृषि मंत्री द्वारा खेती और किसानों की बेहतरी के लिए किए जा रहे प्रयास हकीकत में सराहनीय हैं।
मेले में फरूखनगर से आए किसान महाबीर आर्य आंवले की खेती करते हैं और उनका पूरा परिवार इस कार्य में उनका साथ देता है। उनके 5 बेटे, 4 बहुएं, 6 पोते पोतियां और उनकी धर्मपत्नी व भाई भाभी सब इस कार्य में लगे हुए हैं। बातचीत के दौरान महाबीर ने बताया कि जब सन 12 साल पहले में उन्होंने आंवले की खेती शुरू की, तो उस वक्त उनकी फसल को खरीदने वाला नहीं मिलता था। फिर उन्होंने आंवले से बनने वाले उत्पादों को प्रोसेसिंग प्लांट लगा लिया और आज वे अपने उत्पादों का निर्यात भी कर रहे हैं। वे कहते है कि अब वे आंवले से अचार, मुरब्बा, चयमनप्राश, आंवलाप्राश, लड्डू और बर्फी जैसे कई उत्पाद बना रहे हैं। उन्होंने बताया कि फिलहाल 3.5 एकड भूमि में 222 आंवले के पौधे लगा रखे हैं और सालान लगभग 300 क्विंटल उत्पादन होता है, जिससे लगभग 4 लाख रूपए का मुनाफा हो रहा है।
उन्होंने कहा कि आज खेती में बहुत अधिक संभावनाएं हैं। अगर सही प्रकार से मेहनत के साथ खेती की जाए तो मुनाफा ही मुनाफा है। वे कहते हैं कि उनके विचार से खेती में नौकरी से भी अधिक कमाई है। उन्होंंने कहा कि इस तरह के मेलों के आयोजन से न केवल उनके जैसे किसानों को प्रोत्साहन मिलता है बल्कि दूसरे किसान भाई भी खेती की नई तकनीकों को सीखकर खेती के माध्यम से अपनी आमदन बढा सकते हैं।
सालाना टर्नओवर 1 करोड़ से भी ज्यादास्ट्राबेरी की खेती करने वाले सुरेन्द्र सिंह हिसार जिला के सहारवा गांव के युवा किसान का सालान टर्नओवर एक करोड़ रूपए से भी अधिक पहुंच गया है। वे मदरडेयरी जैसी कम्पनियों को भी डारेक्ट सप्लाई करते हैं। अपने खेतों में प्रोसेसिंग प्लांट लगाकर स्ट्राबेरी 18 से ज्यादा उत्पाद भी बना रहे हैं। लगभग 12 साल पहले स्ट्राबेरी की खेती शुरू करने वाले सुरेन्द बताते हैं कि उन्होंने 2 लाख रूपए लगाकर काम शुरू किया था और आज 10 एकड़ भूमि पर स्ट्राबेरी की खेती कर रहे हैं। उनके यहां 20 लोग काम करते हैं। काम अच्छा चला तो उन्होंने 2009 में पीजीटी मैथमैटिक्स की नौकरी छोड दी। वे कहते हैं कि अच्छी और अत्याधुनिक तकनीक के साथ की जाने वाली खेती में बहुत फायदा है।
एक बार लगाएं और 10 साल तक कमाएंहिसार के तीन मोटर मैकेनिक अलोवेरा की खेती से हर साल लाखों का मुनाफा ले रहे हैं। लगभग 5 साल पहले अलोवेरा की खेती शुरू करने वाले संतलाल, मुकेश व राजा आज प्रति एकड़ सालाना 80 हजार से ज्यादा कमा रहे हैं। अलोवेरा की खेती से पहले से ही ये तीनों मोटर मैकेनीक का काम करते आ रहे हैं और अपने एक ग्राहक आबिद के कारण ही अलोवेरा की खेती शुरू की थी। ये तीनों कहते हैं कि उन्हें कभी अपने उत्पाद को बाजार में लेर जाने की जरूरत नहीं पडी है। उनके खेत से ही कम्पनियां अलोवेरा ले जाती हैं। अलोवेरा की खेती की खास बात है कि यह फसल किसी भी प्रकार की खराब से भी खराब भूमि में पैदा हो जाती है और एक बार लगाने के बाद 10 साल तक पैदावार देता है।
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