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डायलिसिस पर रहते हुए महिला ने दिया बच्चे को जन्म
लखनऊ । लखनऊ में किंग जॉर्ज मेडिकल
यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के डॉक्टरों ने डायलिसिस पर रहते हुए एक महिला को
बच्चे को जन्म देने में मदद की। इस कामयाबी को एक दुर्लभ चिकित्सा उपलब्धि
के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि बच्चा जन्म के बाद जीवित नहीं रहा, लेकिन 23 वर्षीय रोगी निधि एक
जटिल गर्भावस्था के कारण कई अंगों की विफलता से बच गई, जिससे उसकी जान भी
जा सकती थी।
केजीएमयू ने बुधवार को इस मामले को प्रसूति क्रिटिकल केयर में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
फरुर्खाबाद जिले की रहने वाली निधि को इस सप्ताह एक महीने के आईसीयू में रहने और वेंटिलेटर सर्पोट देने के बाद छुट्टी दे दी गई थी।
केजीएमयू की स्त्री रोग शाखा, क्वीन मैरी अस्पताल की प्रोफेसर रेखा सचान ने कहा, '' एक सिजेरियन डिलीवरी नहीं की जा सकती थी क्योंकि वह सांस नहीं ले पा रही थी और अत्यधिक एसिड असंतुलन भी था। हमें पहले उसके एसिड के स्तर को स्थिर करना पड़ा, किडनी बदलनी पड़ी। उसे डायलिसिस पर रखा और उसके बाद ही मृत बच्चे को बाहर निकालने के लिए सामान्य प्रसव कराया जा सका।''
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने कहा, 'जहां तक हमारी जानकारी है, राज्य में पहली बार डायलिसिस के दौरान किसी मरीज की नॉर्मल डिलीवरी हुई है।
मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है।
--आईएएनएस
केजीएमयू ने बुधवार को इस मामले को प्रसूति क्रिटिकल केयर में एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया।
फरुर्खाबाद जिले की रहने वाली निधि को इस सप्ताह एक महीने के आईसीयू में रहने और वेंटिलेटर सर्पोट देने के बाद छुट्टी दे दी गई थी।
केजीएमयू की स्त्री रोग शाखा, क्वीन मैरी अस्पताल की प्रोफेसर रेखा सचान ने कहा, '' एक सिजेरियन डिलीवरी नहीं की जा सकती थी क्योंकि वह सांस नहीं ले पा रही थी और अत्यधिक एसिड असंतुलन भी था। हमें पहले उसके एसिड के स्तर को स्थिर करना पड़ा, किडनी बदलनी पड़ी। उसे डायलिसिस पर रखा और उसके बाद ही मृत बच्चे को बाहर निकालने के लिए सामान्य प्रसव कराया जा सका।''
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने कहा, 'जहां तक हमारी जानकारी है, राज्य में पहली बार डायलिसिस के दौरान किसी मरीज की नॉर्मल डिलीवरी हुई है।
मरीज की हालत अब ठीक बताई जा रही है।
--आईएएनएस
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