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शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य जीविका नहीं, जीवन है : मोहन भागवत
उज्जैन। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ चालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा है कि शिक्षा की स्वायत्तता कायम रखने के साथ सरकार के मुखापेक्षी नहीं होना चाहिए। विज्ञान की प्रगति के लिए वेदों का अध्ययन जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा कि वक्त के साथ शास्त्रों में बदलावों की जरूरत होती है, उनमें थोड़ा बदलाव करना चाहिए, लेकिन उसके मूल से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं हो सकता है। अस्तित्व में ईश्वर है यह सत्य नहीं बदल सकता, भले ही हम उसे सिद्ध नहीं कर पाते हैं, लेकिन विज्ञान का कोई भी सिद्धांत पहले परिकल्पना से ही शुरू होता है।
साथ ही शास्त्रों में समय के मुताबिक सुधार की जरूरत है।
उज्जैन के सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान में तीन दिवसीय विराट अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन के शुभारंभ समारोह के मौके पर शनिवार को भागवत ने कहा कि वेदों, उपनिषदों का अध्ययन करना विज्ञान की प्रगति के लिए आवश्यक है। शिक्षा का एक उद्देश्य जीविका है, लेकिन शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य जीविका नहीं, जीवन है। समग्र शिक्षा में आजीविका के साथ-साथ जीवन की शिक्षा दी जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा की गुरुकुल पद्धति शिक्षा की आत्मा है। शिक्षा के इस प्रयोजन का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। इस बात पर भी समग्र विचार होना चाहिए कि आज के सन्दर्भ में गुरुकुल शिक्षा कैसी हो। शास्त्रों में समयानुकूल सुधार की आवश्यकता है। गुरुकुल शिक्षा के कितने रूप हो सकते हैं। शिक्षा की स्वायत्तता कायम रहे, सरकार के मुखापेक्षी न रहें, गुरुकुल शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान की प्रवृत्ति विकसित करना होगी। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा ही मनुष्य का समग्र एवं सर्वांगीण विकास करती है। व्यक्ति अपने विचार से नर से नारायण बन सकता है। अविद्या की उपासना हमें केवल अंधकार की ओर ले जाती है। विद्या के द्वारा अमृत प्राप्त करना श्रेयस्कर है। इसके पूर्व डॉ. भागवत, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सामाजिक न्याय मंत्री थावरचन्द गेहलोत, केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपालसिंह ने दीप प्रज्वलन कर तीन दिवसीय समारोह का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गुरूकुल शिक्षा पद्धति पर चिन्तन-मनन कर आज एक नए अध्याय का प्रारम्भ किया जा रहा है। आदिगुरु शंकराचार्य ने कहा है कि जो मुक्ति दिलाए, वही शिक्षा है। विवेकानन्द ने कहा है कि शिक्षा वही है, जो मनुष्य का इंसान बनाए। शिक्षा ज्ञान, कौशल एवं संस्कार प्रदान करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी कई भारतीयों ने मैकाले का काम करते हुए आधा-अधूरा ज्ञान दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिक्षा की दिशा बदलने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय दर्शन में सृष्टि के कण-कण में भगवान की उपस्थिति मानी गई है।
कार्यक्रम में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा को और सार्थक बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गुरुकुलों एवं आधुनिक शिक्षा के बीच समन्वय करने के प्रयास किए जाएंगे। मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।
--आईएएनएस
साथ ही शास्त्रों में समय के मुताबिक सुधार की जरूरत है।
उज्जैन के सान्दीपनि वेदविद्या प्रतिष्ठान में तीन दिवसीय विराट अंतरराष्ट्रीय गुरुकुल सम्मेलन के शुभारंभ समारोह के मौके पर शनिवार को भागवत ने कहा कि वेदों, उपनिषदों का अध्ययन करना विज्ञान की प्रगति के लिए आवश्यक है। शिक्षा का एक उद्देश्य जीविका है, लेकिन शिक्षा का अन्तिम उद्देश्य जीविका नहीं, जीवन है। समग्र शिक्षा में आजीविका के साथ-साथ जीवन की शिक्षा दी जानी चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा की गुरुकुल पद्धति शिक्षा की आत्मा है। शिक्षा के इस प्रयोजन का प्रचार-प्रसार करना चाहिए। इस बात पर भी समग्र विचार होना चाहिए कि आज के सन्दर्भ में गुरुकुल शिक्षा कैसी हो। शास्त्रों में समयानुकूल सुधार की आवश्यकता है। गुरुकुल शिक्षा के कितने रूप हो सकते हैं। शिक्षा की स्वायत्तता कायम रहे, सरकार के मुखापेक्षी न रहें, गुरुकुल शिक्षा के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान की प्रवृत्ति विकसित करना होगी। उन्होंने आगे कहा कि शिक्षा ही मनुष्य का समग्र एवं सर्वांगीण विकास करती है। व्यक्ति अपने विचार से नर से नारायण बन सकता है। अविद्या की उपासना हमें केवल अंधकार की ओर ले जाती है। विद्या के द्वारा अमृत प्राप्त करना श्रेयस्कर है। इसके पूर्व डॉ. भागवत, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, सामाजिक न्याय मंत्री थावरचन्द गेहलोत, केन्द्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपालसिंह ने दीप प्रज्वलन कर तीन दिवसीय समारोह का शुभारंभ किया।
मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि गुरूकुल शिक्षा पद्धति पर चिन्तन-मनन कर आज एक नए अध्याय का प्रारम्भ किया जा रहा है। आदिगुरु शंकराचार्य ने कहा है कि जो मुक्ति दिलाए, वही शिक्षा है। विवेकानन्द ने कहा है कि शिक्षा वही है, जो मनुष्य का इंसान बनाए। शिक्षा ज्ञान, कौशल एवं संस्कार प्रदान करती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी कई भारतीयों ने मैकाले का काम करते हुए आधा-अधूरा ज्ञान दिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शिक्षा की दिशा बदलने का प्रयास कर रहे हैं। भारतीय दर्शन में सृष्टि के कण-कण में भगवान की उपस्थिति मानी गई है।
कार्यक्रम में केन्द्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि शिक्षा को और सार्थक बनाए जाने के प्रयास किए जा रहे हैं। गुरुकुलों एवं आधुनिक शिक्षा के बीच समन्वय करने के प्रयास किए जाएंगे। मानव संसाधन राज्य मंत्री सत्यपाल सिंह ने भी विचार व्यक्त किए।
--आईएएनएस
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