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सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के स्कीन टू स्कीन वाले फैसले पर रोक लगाई, आखिर क्यों, यहां पढ़ें
नई दिल्ली । बिना कपड़े उतारे किसी नाबालिग लड़की के स्तन दबाने के मामले में आरोपी को बरी करने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने यह फैसला दिया था। इस फैसले के तहत यह कहा गया था कि स्तन दबाने से पोक्सो एक्ट की धारा 8 के तहत यौन उत्पीड़न नहीं होता है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के आरोपी को बरी करने पर रोक लगाई है। साथ ही दो हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का भी नोटिस जारी किया है।
आपको बता दे कि नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने यह फैसला दिया था । इस मामले के खिलाफ यूथ बार एसोसिएशन ने चुनौती दी थी। इस मामले में सिंगल बेंच जस्टिस ने कहा था कि प्रत्याशी शारीरिक संपर्क के बिना स्कीन टू स्कीन टच यौन उत्पीड़न नहीं है।
आपको बता दे कि नागपुर पीठ की जस्टिस पुष्पा गनेदीवाला की एकल पीठ ने यह फैसला दिया था । इस मामले के खिलाफ यूथ बार एसोसिएशन ने चुनौती दी थी। इस मामले में सिंगल बेंच जस्टिस ने कहा था कि प्रत्याशी शारीरिक संपर्क के बिना स्कीन टू स्कीन टच यौन उत्पीड़न नहीं है।
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