The decision of farmers unions not to remove the passenger rail stop is disappointing - Captain Amarinder Singh-m.khaskhabar.com
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किसान यूनियनों का यात्री रेल रोकें नहीं हटाने का फ़ैसला निराशाजनक - कैप्टन अमरिन्दर सिंह

khaskhabar.com : गुरुवार, 19 नवम्बर 2020 12:09 PM (IST)
किसान यूनियनों का यात्री रेल रोकें नहीं हटाने का फ़ैसला निराशाजनक - कैप्टन अमरिन्दर सिंह
चंडीगढ़ । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने किसान यूनियनों की तरफ से रेल रोकों को मुकम्मल तौर पर हटाने से इन्कार करने पर निराशा ज़ाहिर की है। उन्होंने कहा कि रेल रोकों से पिछले डेढ़ महीने से वास्तव में पंजाब की गति थम गई है और बहुत बड़े स्तर पर परेशानियों के साथ-साथ घाटे का कारण बना हुआ है।
किसान यूनियनों की तरफ केंद्र सरकार के साथ पिछले सप्ताह हुई विचार-चर्चा की रौशनी में आज की गई मीटिंग के मौके पर लिए गए इस फ़ैसले पर अपनी प्रतिक्रिया ज़ाहिर करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि उनको उम्मीद थी कि पंजाब के हित में ख़ास कर इस मुद्दे पर राज्य सरकार के मजबूत समर्थन और खेती कानूनों के मुद्दे पर केंद्र सरकार की तरफ से किसान यूनियनों के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत का रास्ता चलाने के फ़ैसले के मद्देनजऱ किसान यूनियनों अपनी दृढ़ पहुँच से पीछे हट जाएंगी।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि यात्री रेलें रोकने के सम्बन्ध में किसान यूनियनों की तरफ से स्थिति यथावत रखने का लिया गया फ़ैसला बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे माल गाडिय़ों के यातायात में भी रुकावट बनी हुयी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों को यह समझना चाहिए कि कोई भी कदम सदा इस तरह निरंतर जारी नहीं रह सकता और यदि रेल यातायात और समय मुअतल रही तो राज्य गहरे संकट में फंस जायेगा और कोई भी सरकार ऐसी स्थिति सहन नहीं कर सकती।
केंद्र की तरफ से खेती आर्डीनैंसों लाने के समय से ही राज्य सरकार की तरफ से किसानों की हिमायत में खड़े होने की तरफ इशारा करते हुये मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्रीय कानूनों को असरहीण करने के लिए विधान सभा में बिल लाना एक बड़ा कदम था। उन्होंने कहा कि हालाँकि किसानों को पंजाब के हर वर्ग की तरफ से पूर्ण सहयोग मिल रहा है। इसके साथ ही वह भी यह स्पष्ट कर चुके हैं कि किसानों के संघर्ष में उनकी सरकार अपनी सत्ता को त्यागने के लिए तैयार है। इन संकेतों के बावजूद किसान यूनियनों के रेलें रोकने से राज्य के खजाने, उद्योगों, आम लोगों और यहाँ तक कि किसानों पर पड़ रहे गंभीर वित्तीय और अन्य प्रभावों को विचार किये बिना रेल गाडिय़ों को इजाज़त न देने पर दृढ़ हैं।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि कोविड संकट के कारण अकेले उद्योग को पहले ही 30,000 करोड़ रुपए का नुक्सान (अभी भी जारी) बर्दाश्त करना पड़ा है जिसने राज्य को बड़े आर्थिक संकट में धकेल दिया। अकेले लुधियाना और जालंधर में उद्योगों को 22,000 करोड़ रुपए का घाटा सहना पड़ा था, जबकि ढंडारी ड्राई पोर्ट पर 13,500 से अधिक कंटेनर पड़े थे, जहाँ से रेल यातायात के मुअतल के कारण उनको देश के अन्य हिस्सों में नहीं भेजा जा सका।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कृषि सैक्टर की बात करें तो बारदाने की 60,000 बोरियाँ दिल्ली और राजपुरा में फंसी हुई हैं जिससे अनाज मंडियों में से धान की फ़सल की ढुलाई पर प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि रेल सेवाओं के मुअतल से पंजाब से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पी.डी.एस.) के अंतर्गत वितरण के लिए 40 लाख मीट्रिक टन चावलों की सप्लाई भी नहीं हो सकी जिस कारण केंद्र सरकार तेलंगाना और आंध्रा प्रदेश से अनाज उठाने लगी। उन्होंने सवाल किया कि अगर केंद्र सरकार इसको कानून बना देती है तो क्या होगा? फिर पंजाब के चावलों का क्या होगा? हमारे किसानों का क्या बनेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसान जत्थेबंदियों को यह समझना पड़ेगा कि उनकी निरंतर नाकाबंदी ने पंजाब के आम कामकाज पर रोक लगा दी है जिसको महामारी के कारणपहले ही गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हालाँकि खेती कानूनों के लागू होने को हर कीमत पर रोका जाना चाहिए, जिसके लिए उनकी सरकार भी वचनबद्ध थी कि ऐसा पंजाब के भविष्य को दांव पर लगा कर नहीं किया जाना चाहिए।





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