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तकनीक से प्रदूषण जैसी समस्याओं का समाधान संभव : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
कानपुर। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को कहा कि तकनीक से प्रदूषण जैसी समस्याओं का समाधान संभव है। कानपुर के तकनीकी संस्थान इसका उपाय खोजने में लगे हैं। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद शनिवार को कानपुर के पनकी स्थित पीएसआइटी में 'रीसेंट एडवांसमेंट्स इन कंप्यूटर साइंस कम्युनिकेशन एंड इनफॉरमेशन टेक्नोलोजी' विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय कन्फ्रेंस में शामिल होने पहुंचे थे।
उन्होंने कहा, "कानपुर को एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता रहा है। आईआईटी कानपुर देश के सबसे पुराने आइआइटी में से एक है। ऐसे संस्थान प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान तलाश रहे हैं। तकनीक के नुकसान व फायदे दोनों हैं। प्रदूषण बढ़ाने में भी तकनीक की भूमिका रहती है। इसका समाधान भी तकनीक से निकाला जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "कानपुर के चमड़ा उद्योग का पूरी दुनिया में नाम है। यहां की मिलें भी पूरी दुनिया में जानी जाती रही हैं। यहां के लोग शुरू से ही तकनीक को पसंद करने वाले रहे हैं। इस शहर में परंपरा और तकनीक का बेजोड़ उदाहरण है।"
राष्ट्रपति ने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निग व इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) ने जहां काम को आसान व पारदर्शी बनाया है, वही कामकाजी मनुष्य की जरूरत भी कम हुई है। अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में इन समस्याओं पर और सारे पहलू पर मंथन किया जाना चाहिए और वैज्ञानिक, शिक्षाविद व शोधार्थी मिलकर इसका समाधान तलाश सकते हैं।"
राष्ट्रपति इसके बाद छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व छात्र सम्मेलन के अवसर पर खुद एंडोवमेंट फंड में एक लाख ग्यारह हजार रुपये देकर अक्षय निधि की शुरुआत की।
उन्होंने कहा, "कानपुर को एशिया का मैनचेस्टर कहा जाता रहा है। आईआईटी कानपुर देश के सबसे पुराने आइआइटी में से एक है। ऐसे संस्थान प्रदूषण व जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली समस्याओं का समाधान तलाश रहे हैं। तकनीक के नुकसान व फायदे दोनों हैं। प्रदूषण बढ़ाने में भी तकनीक की भूमिका रहती है। इसका समाधान भी तकनीक से निकाला जा सकता है।"
उन्होंने कहा, "कानपुर के चमड़ा उद्योग का पूरी दुनिया में नाम है। यहां की मिलें भी पूरी दुनिया में जानी जाती रही हैं। यहां के लोग शुरू से ही तकनीक को पसंद करने वाले रहे हैं। इस शहर में परंपरा और तकनीक का बेजोड़ उदाहरण है।"
राष्ट्रपति ने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मशीन लर्निग व इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) ने जहां काम को आसान व पारदर्शी बनाया है, वही कामकाजी मनुष्य की जरूरत भी कम हुई है। अंतर्राष्ट्रीय कांफ्रेंस में इन समस्याओं पर और सारे पहलू पर मंथन किया जाना चाहिए और वैज्ञानिक, शिक्षाविद व शोधार्थी मिलकर इसका समाधान तलाश सकते हैं।"
राष्ट्रपति इसके बाद छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने पूर्व छात्र सम्मेलन के अवसर पर खुद एंडोवमेंट फंड में एक लाख ग्यारह हजार रुपये देकर अक्षय निधि की शुरुआत की।
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