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एक-दूसरे के पर्याय तुलसीदास और श्रीराम

khaskhabar.com : बुधवार, 10 अगस्त 2016 9:05 PM (IST)
एक-दूसरे के पर्याय तुलसीदास और श्रीराम
बीकानेर। तुलसी कुटीर सर्किल पर बुधवार को गोस्वामी तुलसीदास की 519वीं जयंती धार्मिक अनुष्ठान और भजन कीर्तन के साथ बनाई गई। संत तुलसीदासजी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर पूजा की गई। इस अवसर पर चित्रकूट निवासी संत श्रीराम जी महाराज ने कहा कि तुलसीदास जी और श्रीराम चरितमानस ग्रंथ एक-दूसरे के पर्याय लगते हैं। तुलसीदासजी का मानस केवल भगवान राम के चरित्र का वर्णन ही नहीं, अपितु मानव जीवन की आचार संहिता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता साध्वी विष्णु प्रिया ने की।

उन्होंने कहा कि तुलसीदास जी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में प्रत्येक मानव को व्यावहारिक ज्ञान की शिक्षा मिलती है। यह सिर्फ धर्म ग्रन्थ मात्र नहीं है, वरन मानस धर्मों की संकीर्ण सीमाओं से परे एक धर्म की अनुशंषा करता है और वह धर्म मानव धर्म है। उन्होंने कहा कि इस धार्मिक ग्रंथ में सबसे बड़ी सीख जीवन में अच्छे आचरण की दी गई है। जैसे माता-पिता की आज्ञा का पालन करना, सभी वर्ग के लोगों से प्रेमभाव, दूसरों के अधिकारों को सम्मान की दृष्टि से देखना, एक राजा का प्रजा के प्रति कर्तव्य, एक पत्नी का पति के प्रति कर्तव्य, बुजुर्गों की राय का महत्व और शत्रु के साथ व्यावहारिक नीति।

साध्वी प्रिया ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामभक्ति के द्वारा न केवल अपना जीवन कृतार्थ किया, वरन समुचित मानव जाति को श्रीराम के आदर्शों से जोड़ दिया है। इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक विप्र फाउंडेशन की जिलाध्यक्ष सुनीता गौड़, पूनमचंद खत्री, अशोक कुमार मेहता, एल.एन.खत्री, संस्था के पंडित केदारमल, शिव प्रसाद गौड़, स्नेहलता, कमला देवी, संतोष, दुर्गादेवी व अंजना सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालू उपस्थित थे।

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