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शहरी गरीब परिवारों के सामाजिक-आर्थिक विकास की ओर सशक्त कदम

khaskhabar.com : सोमवार, 20 जनवरी 2020 3:56 PM (IST)
शहरी गरीब परिवारों के सामाजिक-आर्थिक विकास की ओर सशक्त कदम
धर्मशाला। दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में रह रहे गरीब परिवारों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए कारगर साबित हो रही है। इस योजना का उद्देश्य शहरी क्षेत्र में रह रहे गरीब परिवारों की सामाजिक, आर्थिक एवं संस्थागत क्षमता का विकास करना है। इस योजना के तहत उन्हें प्रशिक्षण व वित्तीय सहायता के माध्यम से स्वरोज़गार के अवसर प्रदान किए जाते हैं ताकि वे आजीविका अर्जन कर सम्मानपूर्वक जीवन व्यतीत कर सकें।

दीन दयाल अन्त्योदय योजना के तहत प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में गरीब परिवारों के 2293 स्वयं सहायता समूहों का गठन किया गया है तथा 1780 स्वयं सहायता समूहों को रिवोल्विंग फंड भी प्रदान किया जा चुका है। 103 एरिया लेवल फैडरेशन का गठन भी किया गया है तथा उनमें से 74 को रिवोल्विंग फंड प्रदान किया गया है।

इस योजना के तहत लघु उद्यम स्थापित करने के लिए 1646 लाभार्थियों को कम ब्याज दर पर 22.15 करोड़ रुपए का ऋण तथा 424 स्वयं सहायता समूहों को 6.13 करोड़ रुपए का ऋण प्रदान किया गया है। 4282 लाभार्थियों को विभिन्न व्यवसायों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है तथा 813 लाभार्थियों को रोजगार प्रदान किया गया है।

यह योजना, रेहड़ी-फड़ी का कार्य करने वाले गरीब परिवारों के लिए भी वरदान साबित हो रही है। इसके तहत सभी 54 शहरी निकायों में रेहड़ी-फड़ी वालों का सर्वेक्षण किया गया है। 5000 रेहड़ी-फड़ी वालों को विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और 2822 को पहचान पत्र भी जारी किए जा चुके है।

इस योजना के तहत शहरी क्षेत्र के गरीबों को आश्रय प्रदान करने के लिए भी दक्षतापूर्ण कार्य किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत विभिन्न नगर निकायों में 06 आश्रयों का निर्माण किया गया है तथा पुराने रैन बसेरों का नवीकरण भी किया गया है। प्रदेश में अभी तक 4032 आश्रयहीन लोगों को आश्रय प्रदान किया जा चुका है।

दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी मिशन के तहत मुख्यतः छह घटक सम्मिलित किए गए हैं। इसमें कौशल प्रशिक्षण और प्लेसमेंट के माध्यम से रोज़गार, सामाजिक जागरूकता एवं संस्थागत विकास, क्षमतावर्धन एवं प्रशिक्षण, स्वरोजगार कार्यक्रम, शहर आवासहीन गरीबों के लिए आश्रय तथा शहरी पथ विक्रेताओं की सहायता घटक प्रमुख हैं।

सामाजिक जागरूकता एवं संस्थागत विकास घटक का उद्देश्य लाभार्थी परिवार के सदस्यों को स्वयं सहायता समूहों से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर उनकी क्षमता का विकास करना है। स्वयं सहायता समूहों को गठन के तीन माह तक सफल संचालन के बाद 10 हजार रुपए रिवोल्विंग फंड दिया जा रहा है। इसके तहत स्वयं सहायता समूहों का एक एरिया लेवल फेडरेशन बनाने का भी प्रावधान है, जिसके अन्तर्गत आंतरिक लेन-देन (क्षमता) विकास के लिए 50 हजार रुपये रिवोल्विंग फंड दिया जाएगा।

कौशल प्रशिक्षण एवं नियोजन के तहत राष्ट्रीय कौशल योग्यता के मानकों एवं सेक्टर स्किल कौंसिल के मानकों के अनुरूप गरीब लोगों को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम में सूचीबद्ध संस्थाओं अथवा सेक्टर स्किल कौंसिल से प्रमाणित संस्थाओं द्वारा प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के स्वरोज़गार कार्यक्रम घटक के तहत शहरी गरीबों के कौशल, प्रशिक्षण, योग्यता के आधार पर स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल व्यक्तिगत/सामूहिक व्यवसाय शुरू करने के लिए वित्तीय सहायता प्राप्त करने पर केन्द्रित हैं।

इसमें शहरी एकल गरीबों व गरीब लोगों के स्वयं सहायता समूहों को बैंक से आसान ऋण और स्वयं सहायता समूह के ऋण पर ब्याज सब्सिडी का लाभ दिया जा रहा है।

इस योजना के तहत पथ विक्रेताओं का सर्वेक्षण व उन्हें पहचान-पत्र प्रदान किए जा रहे हैं और शहर में वेंडिंग जोन का निर्माण का कार्य किया जा रहा है। योजना के एक अन्य घटक शहरी गरीबों के लिए आश्रय योजना के तहत शहरी आवास रहित लोगों के लिए शैल्टर बनाए जा रहे हैं, जिनमें प्रतिव्यक्ति 50 वर्ग फीट की जगह उपलब्ध करवाई जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत पुराने रैन-बसेरों का पुनर्निर्माण भी किया जा रहा है। शैल्टर में गरीब लोग, जो रहने खाने की व्यवस्था करने में असमर्थ होंगे उनके लिए मुफ्त रहने खाने की व्यवस्था की जाएगी। सरकार की यह योजना शहरी क्षेत्रों में रह रहे गरीब परिवार के सामाजिक-आर्थिक विकास की राह प्रशस्त कर संजीवनी साबित हो रही है। दीन दयाल अन्त्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के सफल संचालन के लिए हिमाचल प्रदेश को इस वर्ष उत्तर पूर्व क्षेत्र और हिमालयन राज्यों की श्रेणी में प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है।

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