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नगर परिषद बनने से सिलाई अध्यापिकाओं के पेट पर पड़ी लात
नेरचौक। नगर परिषद बनने के उपरांत सिलाई अध्यापिकाओं के पेट पर तो जैसे लात ही पड़ गई है। नेरचौक नगर परिषद के गठन के बाद पांच पंचायतों में से तीन पंचायतों भंगरोटू,कसारला,डडौर को नेरचौक नगर परिषद में शामिल किया गया। इन पंचायतों में पिछले 15 वर्षों से भी अधिक समय से सिलाई अध्यापिकाएं सिलाई सेंटर चला रही थी। लेकिन अब नगर परिषद में शामिल उपरोक्त पंचायतों की सिलाई अध्यापिकाएं बेरोजगारी की मार झेलने को मजबूर हो गई हैं। उन्हें पंचायतों के माध्यम से जो मेहनताना मिलता था, वो अब पंचायतों के विलय व सिलाई सेटर बंद हो जाने पर बंद हो गया है।
रजनी, डोलमा, लज्या देवी सहित कई सिलाई अध्यापिकाओं का कहना है कि जब वे इस समस्या के समाधान के लिए खंड विकास कार्यालय में गई तो उन्हें जिला पंचायत अधिकारी के पास भेज दिया गया। वहां जिला पंचायत अधिकारी ने उन्हें नगर परिषद कार्यालय में भेज दिया लेकिन वहां भी काम नहीं बना। गत 3 माह से सिलाई अध्यापिकाएं कार्यालय के चक्कर काट रही हैं मगर अभी तक सिलाई सेंटर चलाने की अनुमति नहीं मिल पाई। हालांकि उपायुक्त मंडी के आदेशानुसार उन्हें नगर परिषद में शामिल करके सिलाई सेंटर चलाने का पत्र भी मिल चुका है। बावजूद इसके नगर परिषद से उन्हें अनुमति प्रदान नहीं की जा रही है। इस टालमटोल के चलते सिलाई अध्यापिकाओं में खासा रोष देखने को मिल रहा है।
रजनी, डोलमा, लज्या देवी सहित कई सिलाई अध्यापिकाओं का कहना है कि जब वे इस समस्या के समाधान के लिए खंड विकास कार्यालय में गई तो उन्हें जिला पंचायत अधिकारी के पास भेज दिया गया। वहां जिला पंचायत अधिकारी ने उन्हें नगर परिषद कार्यालय में भेज दिया लेकिन वहां भी काम नहीं बना। गत 3 माह से सिलाई अध्यापिकाएं कार्यालय के चक्कर काट रही हैं मगर अभी तक सिलाई सेंटर चलाने की अनुमति नहीं मिल पाई। हालांकि उपायुक्त मंडी के आदेशानुसार उन्हें नगर परिषद में शामिल करके सिलाई सेंटर चलाने का पत्र भी मिल चुका है। बावजूद इसके नगर परिषद से उन्हें अनुमति प्रदान नहीं की जा रही है। इस टालमटोल के चलते सिलाई अध्यापिकाओं में खासा रोष देखने को मिल रहा है।
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