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जेल में राखी बांधने पहुंची बहनें तो भाइयों की आंखें हुई नम
चूरू। रक्षाबंधन पर्व पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। वहीं कुछ बहनों को अपने भैया की कलाही पर राखी बांधने के लिए जेल की चौखट जाना पड़ा। जब बहनें जेल में राखी बांधने पहुंची तो भाइयों की आंखें नम हो गईं। इस दौरान कुछ कैदियों की आंखाें से आंसू छलक आए।
चूरू जिला मुख्यालय स्थित केन्द्रीय जेल में बंद भाइयों से मुलाकात के लिए विशेष इंतजाम किए गए। जेल के तमाम सजायाफ्ता व विचाराधीन बंदियों को उनकी बहनों द्वारा रक्षा सूत्र बांधा गया। अपने परिवार से दूर रहने का गम तथा गलती व गुस्से में किए गए अपराध का उन्हें इस दौरान खूब अहसास हो रहा था। बहनों को भी इस बात का दर्द था कि उन्हे जेल में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधनी पड़ रही है।
भावुक बहनों का कहना था कि बहुत बुरा लग रहा है कि उन्हे जेल में अपने भाई के राखी बांध पड़ रही है। उन्होने कहा कि वे ऐसा नहीं चाहती कि किसी भी बहिन को जेल में आकर अपने भाई को राखी बांधनी पडे। बगल की खिड़की पर बहनों ने बंदी भाई की कलाई पर राखी बांधी और बंदियों ने रुआंसे होकर बहन को जीवन रक्षा करने का वचन दिया। बंदियों के पास बहनों को देने के लिए प्यार व आशीर्वाद के सिवा कुछ नहीं था। बंदी अपनी बहनों को दुआ दे रहे थे और कह रहे थे कि जल्द ही घर वापस आऊंगा और नफरत की दुनिया छोड़ अपने परिजनों के साथ प्रेम पूर्वक आगे का जीवन बितायेंगे।
जेल अधीक्षक ने बताया कि मानवाधिकार के तहत यह कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें सुरक्षा के पूरे इंतजामात किये गये है। इस पर्व पर सजायफ्ता कैदियों को अपने अपराध का मलाल भी होता है।
चूरू जिला मुख्यालय स्थित केन्द्रीय जेल में बंद भाइयों से मुलाकात के लिए विशेष इंतजाम किए गए। जेल के तमाम सजायाफ्ता व विचाराधीन बंदियों को उनकी बहनों द्वारा रक्षा सूत्र बांधा गया। अपने परिवार से दूर रहने का गम तथा गलती व गुस्से में किए गए अपराध का उन्हें इस दौरान खूब अहसास हो रहा था। बहनों को भी इस बात का दर्द था कि उन्हे जेल में अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधनी पड़ रही है।
भावुक बहनों का कहना था कि बहुत बुरा लग रहा है कि उन्हे जेल में अपने भाई के राखी बांध पड़ रही है। उन्होने कहा कि वे ऐसा नहीं चाहती कि किसी भी बहिन को जेल में आकर अपने भाई को राखी बांधनी पडे। बगल की खिड़की पर बहनों ने बंदी भाई की कलाई पर राखी बांधी और बंदियों ने रुआंसे होकर बहन को जीवन रक्षा करने का वचन दिया। बंदियों के पास बहनों को देने के लिए प्यार व आशीर्वाद के सिवा कुछ नहीं था। बंदी अपनी बहनों को दुआ दे रहे थे और कह रहे थे कि जल्द ही घर वापस आऊंगा और नफरत की दुनिया छोड़ अपने परिजनों के साथ प्रेम पूर्वक आगे का जीवन बितायेंगे।
जेल अधीक्षक ने बताया कि मानवाधिकार के तहत यह कार्यक्रम रखा गया है, जिसमें सुरक्षा के पूरे इंतजामात किये गये है। इस पर्व पर सजायफ्ता कैदियों को अपने अपराध का मलाल भी होता है।
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चूरु
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