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करनूं प्रकरण में लापरवाही बरतने पर एसएचओ को हटाया जाएगा: शांति धारीवाल
जयपुर। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि राज्य सरकार दलित हितों के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने नागौर के करनूं प्रकरण में एसएचओ की लापरवाही मानते हुए उसे हटाये जाने की घोषणा की।
धारीवाल ने कहा कि इस प्रकरण में 11/2020 मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें 342,323,341,143 आई.पी.सी. व धारा 3/1/आर./एस.3/2/वी.ए./एस.सी.,एस.टी.एक्ट लगाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने रेंज पुलिस महानिरीक्षक को मौके पर भेजा वहीं नागौर जिला पुलिस अधीक्षक ने मौके पर पहुंच कर तफ्तीश बदलकर जांच नागौर सीओ को सौंपी। उन्होंने पूरा वीडियो देखा और चार अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जिनका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं था। साथ ही अतिरिक्त धाराएं जोड़ी गईं।
संसदीय कार्य मंत्री ने वीडियो मिलने और एफआईआर दर्ज होने में लगे वक्त का जिक्र करते हुए कहा कि 19 फरवरी को सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम को वीडियो मिला। कंट्रोल रूम से 10 बजकर 29 मिनट पर वीडियो से एसएचओ को अवगत कराया गया। एसएचओ 11 बजे करनूं गांव के लिए रवाना हुए। मौके पर जाकर दोपहर डेढ़ बजे वापस थाने पहुंचे और 3 बजकर 16 मिनट पर एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने में कोई समय नष्ट नहीं किया गया। कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने में इतना समय लग जाता है, लेकिन घटना 16 फरवरी को घटित होने के बावजूद एसएचओ को इतने बड़े अपराध का पता नहीं होना लापरवाही दर्शाता है। उन्होंने कहा कि थानाधिकारी की लापरवाही मानते हुए उसे वहां से हटाया जाएगा।
धारीवाल ने बताया कि 16 फरवरी, 2020 को घीसा राम तथा पन्नाराम को ओम ऑटो मोबाईल एंजेसी के कर्मचारियों के द्वारा बंधक बनाकर मारपीट किए जाने तथा लोहे के पेचकस पर कपड़ा बांधकर, पेट्रोल गुप्तांग पर लगाया गया। इस प्रकरण में रिपोर्ट पांचोड़ी थाना में दर्ज करवाई गई। प्रकरण में हड़मान सिंह, आईदान सिंह, भींव सिंह, छैलूसिंह, रघुवीर सिंह, रहमतुल्ला तथा छत्तर सिंह सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा एक जने को और गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरोपियों को चार दिन के रिमांड पर लिया गया। जिसे दो दिन और बढ़ाया गया है।
धारीवाल ने बताया कि नागौर जिला चिकित्सालय के मेडिकल बोर्ड द्वारा पीड़ितों का मेडिकल मुआयना करवाया गया है। 16 फरवरी से लेकर 19 फरवरी के बीच न तो वीडियो पुलिस के पास पहुंचा ना ही पीड़ित पक्ष द्वारा इस संबंध में कोई रिर्पोट दर्ज करवाई गई। उन्होंने बताया कि घटना होने पर पीड़ित द्वारा चिकित्सालय में कंपाउडर को बदन दर्द बताकर दवा ली गई। इस कारण चिकित्सालय द्वारा घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी जा सकी। 19 फरवरी 2020 को प्रकरण संज्ञान में आते ही रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की गई।
धारीवाल ने कहा कि इस प्रकरण में 11/2020 मुकदमा दर्ज किया गया। जिसमें 342,323,341,143 आई.पी.सी. व धारा 3/1/आर./एस.3/2/वी.ए./एस.सी.,एस.टी.एक्ट लगाया गया है। उन्होंने कहा कि प्रकरण संज्ञान में आने के बाद राज्य सरकार ने रेंज पुलिस महानिरीक्षक को मौके पर भेजा वहीं नागौर जिला पुलिस अधीक्षक ने मौके पर पहुंच कर तफ्तीश बदलकर जांच नागौर सीओ को सौंपी। उन्होंने पूरा वीडियो देखा और चार अन्य आरोपियों को भी गिरफ्तार किया जिनका नाम एफआईआर में दर्ज नहीं था। साथ ही अतिरिक्त धाराएं जोड़ी गईं।
संसदीय कार्य मंत्री ने वीडियो मिलने और एफआईआर दर्ज होने में लगे वक्त का जिक्र करते हुए कहा कि 19 फरवरी को सुबह 10 बजकर 13 मिनट पर पुलिस कंट्रोल रूम को वीडियो मिला। कंट्रोल रूम से 10 बजकर 29 मिनट पर वीडियो से एसएचओ को अवगत कराया गया। एसएचओ 11 बजे करनूं गांव के लिए रवाना हुए। मौके पर जाकर दोपहर डेढ़ बजे वापस थाने पहुंचे और 3 बजकर 16 मिनट पर एफआईआर दर्ज की गई। उन्होंने कहा कि एफआईआर दर्ज करने में कोई समय नष्ट नहीं किया गया। कुछ जरूरी औपचारिकताएं पूरी करने में इतना समय लग जाता है, लेकिन घटना 16 फरवरी को घटित होने के बावजूद एसएचओ को इतने बड़े अपराध का पता नहीं होना लापरवाही दर्शाता है। उन्होंने कहा कि थानाधिकारी की लापरवाही मानते हुए उसे वहां से हटाया जाएगा।
धारीवाल ने बताया कि 16 फरवरी, 2020 को घीसा राम तथा पन्नाराम को ओम ऑटो मोबाईल एंजेसी के कर्मचारियों के द्वारा बंधक बनाकर मारपीट किए जाने तथा लोहे के पेचकस पर कपड़ा बांधकर, पेट्रोल गुप्तांग पर लगाया गया। इस प्रकरण में रिपोर्ट पांचोड़ी थाना में दर्ज करवाई गई। प्रकरण में हड़मान सिंह, आईदान सिंह, भींव सिंह, छैलूसिंह, रघुवीर सिंह, रहमतुल्ला तथा छत्तर सिंह सहित सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है तथा एक जने को और गिरफ्तार किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आरोपियों को चार दिन के रिमांड पर लिया गया। जिसे दो दिन और बढ़ाया गया है।
धारीवाल ने बताया कि नागौर जिला चिकित्सालय के मेडिकल बोर्ड द्वारा पीड़ितों का मेडिकल मुआयना करवाया गया है। 16 फरवरी से लेकर 19 फरवरी के बीच न तो वीडियो पुलिस के पास पहुंचा ना ही पीड़ित पक्ष द्वारा इस संबंध में कोई रिर्पोट दर्ज करवाई गई। उन्होंने बताया कि घटना होने पर पीड़ित द्वारा चिकित्सालय में कंपाउडर को बदन दर्द बताकर दवा ली गई। इस कारण चिकित्सालय द्वारा घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी जा सकी। 19 फरवरी 2020 को प्रकरण संज्ञान में आते ही रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई की गई।
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