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‘सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी मानक में सेबी से छूट की मांग’
नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको का पुनर्पूंजीकरण आगे सुगम बनाने के
मकसद से वित्त मंत्रालय बाजार विनियामक भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड
(सेबी) से इन बैंकों में 75 फीसदी की सरकारी हिस्सेदारी के मानक में छूट
देने की मांग कर सकता है। यह जानकारी आधिकारिक सूत्रों ने दी।
सेबी के मानक के अनुसार, हर सूचीबद्ध कंपनी में सार्वजनिक हिस्सेदारी कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए।
कई सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी इस समय 75 फीसदी से अधिक है। आगे फिर पुनर्पूंजीकरण किए जाने पर यह कुछ में 90 फीसदी से ऊपर और कुछ में 99 फीसदी तक भी हो सकता है।
पिछले वर्षों के दौरान सरकार ने पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के लिए सेबी की मंजूरी ली थी जिसके बाद इन बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी बढ़ गई।
सूत्रों ने बताया, ‘‘पूर्व में पीएसबी में सरकारी हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक करने को लेकर हमने सेबी से मंजूरी ली है और आगे बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करने के लिए हमें फिर ऐसा करना होगा। अनेक सरकारी बैंकों में पहले से ही सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है।’’
दरअसल, सरकार ने अनेक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 फीसदी करने की योजना बनाई है। सूत्रों की माने तो बाजार की दशा अब तक बैंकों के लिए इस दिशा में बढऩे के लिए उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि बैंक धन जुटाने के लिए बाजार से संपर्क कर रहे हैं और सरकारी हिस्सेदारी में कटौती की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।
देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने पहले ही क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंंट (क्यूआईपी) के जरिए 20,000 शेयरों की बिक्री की पहल की है। क्यूआईपी के बाद बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 58.53 फीसदी से कम हो जाएगी।
पंजाब नेशनल बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 75.41 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया में 89.1 फीसदी है।
कॉरपोरेशन बैंक में सरकारी हिस्सेदारी 93.5 फीसदी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 87.74 फीसदी, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 87.58 फीसदी, यूको बैंक में 93.29 फीसदी, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 96.83 फीसदी, केनरा बैंक में 72.55 फीसदी, इलाहाबाद बैंक में 79.41 फीसदी और बैंक ऑफ बड़ौदा-देना-विजया बैंक में 65.7 फीसदी है।
(आईएएनएस)में सरकारी हिस्सेदारी मानक में सेबी से छूट की मांग’
सेबी के मानक के अनुसार, हर सूचीबद्ध कंपनी में सार्वजनिक हिस्सेदारी कम से कम 25 फीसदी होनी चाहिए।
कई सरकारी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी इस समय 75 फीसदी से अधिक है। आगे फिर पुनर्पूंजीकरण किए जाने पर यह कुछ में 90 फीसदी से ऊपर और कुछ में 99 फीसदी तक भी हो सकता है।
पिछले वर्षों के दौरान सरकार ने पीएसबी के पुनर्पूंजीकरण के लिए सेबी की मंजूरी ली थी जिसके बाद इन बैंकों में सरकारी हिस्सेदारी बढ़ गई।
सूत्रों ने बताया, ‘‘पूर्व में पीएसबी में सरकारी हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक करने को लेकर हमने सेबी से मंजूरी ली है और आगे बैंकों का पुनर्पूंजीकरण करने के लिए हमें फिर ऐसा करना होगा। अनेक सरकारी बैंकों में पहले से ही सरकार की हिस्सेदारी 75 फीसदी से अधिक है।’’
दरअसल, सरकार ने अनेक बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर 52 फीसदी करने की योजना बनाई है। सूत्रों की माने तो बाजार की दशा अब तक बैंकों के लिए इस दिशा में बढऩे के लिए उपयुक्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि बैंक धन जुटाने के लिए बाजार से संपर्क कर रहे हैं और सरकारी हिस्सेदारी में कटौती की प्रक्रिया पर विचार किया जा रहा है।
देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने पहले ही क्वालीफाइड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंंट (क्यूआईपी) के जरिए 20,000 शेयरों की बिक्री की पहल की है। क्यूआईपी के बाद बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 58.53 फीसदी से कम हो जाएगी।
पंजाब नेशनल बैंक में सरकार की हिस्सेदारी 75.41 फीसदी और बैंक ऑफ इंडिया में 89.1 फीसदी है।
कॉरपोरेशन बैंक में सरकारी हिस्सेदारी 93.5 फीसदी, बैंक ऑफ महाराष्ट्र में 87.74 फीसदी, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 87.58 फीसदी, यूको बैंक में 93.29 फीसदी, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 96.83 फीसदी, केनरा बैंक में 72.55 फीसदी, इलाहाबाद बैंक में 79.41 फीसदी और बैंक ऑफ बड़ौदा-देना-विजया बैंक में 65.7 फीसदी है।
(आईएएनएस)में सरकारी हिस्सेदारी मानक में सेबी से छूट की मांग’
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