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सचिन पायलट ने पूछे 33 सवाल....सीएम राजे ने बताये गैर-जरूरी

khaskhabar.com : मंगलवार, 25 सितम्बर 2018 7:13 PM (IST)
सचिन पायलट ने पूछे 33 सवाल....सीएम राजे ने बताये गैर-जरूरी
जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री द्वारा कांग्रेस पार्टी के प्रश्नों के जवाब नहीं देने को गैर-जरूरी बताए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मुख्यमंत्री का यह वक्तव्य जवाबदेही से बचने का तरीका है।
पायलट ने कहा कि लोकतंत्र में पारदर्शिता के लिए आवश्यक है कि सत्ता पूरी तरह से जनता के प्रति जवाबदेह हो और प्रत्येक प्रश्न के उत्तर के लिए उसे हमेशा तैयार रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि अब तक कांग्रेस द्वारा जनता से जुड़े हुए 33 मुद्दों पर मुख्यमंत्री से तथ्यात्मक प्रश्न पूछे गए हैं परन्तु वे प्रश्नों के जवाब देने के स्थान पर उन्हें गैर-जरूरी करार देकर सरकारी जवाबदेही से बचना चाह रही है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री दावा कर रही है कि उनकी सरकार पारदर्शी है और सरकार के हर काम का विवरण सरकारी वेबसाईटों पर उपलब्ध है जो पूरी तरह से जनता को भ्रमित करने के लिए दिया गया बयान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की मुख्यमंत्री सामंती सोच की प्रवृत्ति की है इसलिए शायद वे अपने आप को जनता के प्रति जवाबदेह नहीं मानती। उन्होंने कहा कि देश के संविधान में स्पष्ट रूप से उल्लेखित है कि मुख्यमंत्री व मंत्री न केवल प्रत्येक नागरिक के प्रति बल्कि विपक्ष के लिए भी उत्तरदायी है और उनका दायित्व सभी संवैधानिक संस्थाओं का सम्मान बनाए रखना है।

पायलट ने कहा कि जब से भाजपा सरकार बनी है तब से सभी सरकारी वेबसाईट्स औपचारिकता मात्र बनकर रह गई है और जनता से जुड़े विभागों मसलन शिक्षा, चिकित्सा, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता, पीडब्ल्यूडी, सिंचाई, पेयजल, ऊर्जा, उद्योग, निवेश, सीएमओ, प्रशासनिक सुधार सहित किसी भी विभाग की वेबसाईट में सरकार के पिछले सालों के लक्ष्यों व उपलब्धि का कोई विवरण नहीं है, इसके साथ ही कार्यों के प्रति कितना बजट घोषित हुआ व कितना आवंटित हुआ और कितना खर्च हुआ, के बारें में भी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि जनता का यह अधिकार है कि उसे पता रहे कि सरकार की कार्यप्रणाली पर सीएजी की क्या राय है और सार्वजनिक कार्यों के लिए कितने टेण्डर पारित हुए है व किस दर पर अनुमोदित हुए है, उक्त सभी प्रक्रियाएं पारदर्शिता कानून के दायरे में आते है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार उक्त सभी जानकारियों को जनता से दूर रख कर सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा 4 का उल्लंघन कर रही है। उन्होंने कहा कि उक्त धारा के अनुसार उक्त समस्त सूचनाएं संबंधित विभाग की वेबसाईट पर दिखाना बाध्यकारी है ताकि आमजनता को विभाग की नियमित गतिविधियों की जानकारी मिल सके।

उन्होंने मुख्यमंत्री को चुनौती देते हुए कहा है कि वे खुद सरकारी विभागों की वेबसाईट्स पर निरीक्षण कर जनता को बताएं कि आरटीआई में कितने दाखिले हुए है, स्कूलों के वार्षिक ड्रॉप आउट का क्या विवरण है, सरकार के समस्त विभागों में कितनी रिक्तियाँ है और बजट घोषणाओं की क्या प्रगति है। उन्होंने कहा कि जितना खोखला मुख्यमंत्री का दावा है उतनी ही लचर उनकी कार्यप्रणाली रही है। उन्होंने कहा कि सुराज संकल्प पत्र की प्रगति रिपोर्ट आज तक सार्वजनिक नहीं की गई, मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन में प्राप्त शिकायतों का कितना प्रतिशत निस्तारण हुआ, प्रदेश की पेयजल परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट व रिसर्जेंट राजस्थान की प्रगति रिपोर्ट को अब तक सार्वजनिक नहीं किया गया है और रिसर्जेंट राजस्थान के अनियमित भुगतान को लेकर प्रशासनिक आपत्ति के बावजूद खुलासा नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उक्त सभी सूचनाओं के साथ ही यदि सरकार की तरफ से खान आवंटन का विवरण, किसान कर्ज माफी का तहसीलवार विवरण, खराब सडक़ों का डाटा, बिजली वितरण का पारदर्शी डाटा आदि उपलब्ध करवा दिया जाता तो कांग्रेस पार्टी को मुख्यमंत्री से प्रश्न पूछने की कोई आवश्यकता ही नहीं होती।


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