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नियमों को ताक पर रख लूणी नदी में हो रहा बजरी खनन
नागौर। लूणी नदी में बजरी खनन नियमों को ताक में रखकर खनन कार्य किया जा रहा है। इससे नदी के जलस्तर व पर्यावरण संतुलन पर खतरा मंडरा रहा है। अवैध खनन कर वन विभाग के पौधरोपण को भी नुकसान पहुंचाया है। खान विभाग द्वारा दिए गए निर्देशों का उल्लघंन करते हुए 3 मीटर की जगह 6 से 9 मीटर तक की खुदाई कर नदी तल को भी सपाट कर दिया गया है। खान विभाग गोटन से सूचना के अधिकार के तहत प्राप्त एक जानकारी में यह खुलासा हुआ है। एक आरटीआई कार्यकर्ता को उपलब्ध दस्तावेजों के अनुसार तहसीलदार रियांबड़ी ने अवैध बजरी खनन की जांच के लिए कमेटी गठित की। जिसकी रिपोर्ट से ज्ञात हुआ कि ग्राम पंचायत आलनियावास में खसरा नम्बर 400 के जलस्तर व पर्यावरण संतुलन को कायम रखने के लिए जल संरक्षण के लिए मेड़बंदी की गई थी। जिसे खान विभाग के एक लीजधारक ने तोडकऱ सरकारी राशि को चूना लगा दिया। राज्य सरकार को राजस्व हानि पहुंचाने के साथ ही जलस्तर व पर्यावरण के साथ खिलवाड़ भी किया है। पूर्व में खान विभाग के जारी नोटिस में भी खसरा संख्या 399, 400 की पूर्वी मेड़ से आगे कोड़ ग्राम की सीमा में लगभग 900 मीटर में खनन का खुलासा हुआ था, जबकि लीज खसरा भूमि में नहीं है। खसरा संख्या 400 में जलस्तर संरक्षण के लिए ग्राम पंचायत आलनियावास के मनरेगा में पाल का निर्माण करवाया था। उस पाल को भी खनन कर क्षतिग्रस्त किया गया है। आलनियावास से रियांबड़ी जाने वाली सडक़ के मध्य बिंदू से 45 मीटर की सीमा में भी खनन किया गया है, जो एलओआई की शर्तों के विपरीत है। लीजधारक ने अवैध खनन कर राजस्थान अप्रधान खनिज रियायत नियम 1986 के नियम 48 के तहत नियमों का उल्लघंन किया गया है। पूर्व सरपंच शोभादेवी, गिरधारीलाल शर्मा, कैलाशनाथ, पन्नालाल, पुखादास, गुलाब गुर्जर, फकीरचंद, धनाराम, रामावतार सैन, पुखराज सहित अन्य ग्रामीणों ने लूणी नदी में हो रहे अवैध बजरी खनन को रोकने की मांग की है। इस संदर्भ में मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय दिल्ली, निदेशक पर्यावरण संरक्षण मंत्रालय केन्द्र सरकार दिल्ली, जिला कलक्टर, खान विभाग गोटन को पत्र भेजकर अवगत कराया गया है।
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