Advertisement
कुरुक्षेत्र के जल,थल और वायु तीनों ही मुक्ति के प्रदाताः राज्यपाल आर्य
चंडीगढ़। हरियाणा के राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कुरुक्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के श्रीमद् भगवद सदन में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय विचार गोष्ठी में प्रदेशवासियों को अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई देते हुए कहा कि "कुरुक्षेत्र एक आध्यात्मिक, धार्मिक और शिक्षा के केन्द्र हैं। इस महान भूमि की धूल को मानव अपने माथे पर लगाकर स्वयं का धन्य मानता है। कुरुक्षेत्र को भारत की प्राचीन संस्कृति का उद्गम स्थल भी कहा जाता है। कुरुक्षेत्र ऋषियों, मुनियों तथा देवताओं की तपोस्थली, कर्मभूमि और यज्ञभूमि के रूप में विश्वभर में विख्यात है।"
राज्यपाल ने कहा कि "गंगाजल से तो केवल मुक्ति ही प्राप्त होती है लेकिन कुरुक्षेत्र के जल,थल और वायु तीनों ही मुक्ति के प्रदाता है। गीता एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जो कर्मप्रधान पर आधारित है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में वसुधैव कुटम्बकम् का संदेश दिया। यह संदेश निष्काम कर्म का एक दर्शन है जोकि हर प्राणी और प्रत्येक समाज एवं राष्ट्र की उन्नति का आधार है। यहांतक कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भी गीता के वसुधैव कुटम्बकम के उद्देश्य को आत्मसात् किया है। उन्होंने शिक्षित, संगठित रहने की व्याख्या गीता से ही ली। पं.दीनदयाल उपाध्याय ने भी गीता से प्रेरणा पाकर अपने एकात्मक मानवतावाद में अन्तोदय का संदेश दिया।"
राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि "कुरुक्षेत्र की भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच जो धर्म युद्ध हुआ था। इसमें भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसकी प्रासंगिकता आज भी है, स्वयं हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता के सिद्धांतों को अपनाकर निष्काम कर्म से समाज के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई।" उन्होंने गोष्ठी में उपस्थित मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सहित विभिन्न देशों के राजदूतों और मंत्रियों के साथ-साथ गोष्ठी में उपस्थित लोगों को इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई देते हुए इस गीता के संदेश को दैनिक जीवन में उतारने की अपील भी की।
राज्यपाल ने कहा कि "गंगाजल से तो केवल मुक्ति ही प्राप्त होती है लेकिन कुरुक्षेत्र के जल,थल और वायु तीनों ही मुक्ति के प्रदाता है। गीता एक ऐसा धार्मिक ग्रंथ है जो कर्मप्रधान पर आधारित है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में वसुधैव कुटम्बकम् का संदेश दिया। यह संदेश निष्काम कर्म का एक दर्शन है जोकि हर प्राणी और प्रत्येक समाज एवं राष्ट्र की उन्नति का आधार है। यहांतक कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने भी गीता के वसुधैव कुटम्बकम के उद्देश्य को आत्मसात् किया है। उन्होंने शिक्षित, संगठित रहने की व्याख्या गीता से ही ली। पं.दीनदयाल उपाध्याय ने भी गीता से प्रेरणा पाकर अपने एकात्मक मानवतावाद में अन्तोदय का संदेश दिया।"
राज्यपाल सत्यदेव नारायण आर्य ने कहा कि "कुरुक्षेत्र की भूमि पर कौरवों और पांडवों के बीच जो धर्म युद्ध हुआ था। इसमें भगवान् श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। जिसकी प्रासंगिकता आज भी है, स्वयं हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गीता के सिद्धांतों को अपनाकर निष्काम कर्म से समाज के लिए विभिन्न योजनाएं चलाई।" उन्होंने गोष्ठी में उपस्थित मुख्यमंत्री हरियाणा मनोहर लाल, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत सहित विभिन्न देशों के राजदूतों और मंत्रियों के साथ-साथ गोष्ठी में उपस्थित लोगों को इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव की बधाई देते हुए इस गीता के संदेश को दैनिक जीवन में उतारने की अपील भी की।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
Advertisement
Advertisement
चंडीगढ़
हरियाणा से
सर्वाधिक पढ़ी गई
Advertisement