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‘मोदी सरकार की योजनाओं से किसानों को मिल रहा लाभ, 2022 तक आमदनी दोगुनी करने का लक्ष्य’
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान), प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना
(पीएमएफबीवाई) और मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम समेत कतिपय केंद्र सरकार
द्वारा शुरू की गई कतिपय योजनाओं का जिक्र करते हुए कैलाश चौधरी ने कहा कि
इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिल रहा है और इनके परिणाम आने लगे हैं।
किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार तीन प्रमुख मसलों पर काम कर रही है, जिनमें कृषि की लागत कम करना, पैदावार बढ़ाना और किसानों को उनकी उपज का उचित व लाभकारी मूल्य दिलाना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की योजना का आगाज किया, जिसका मकसद खेती की लागत कम करने के साथ-साथ किसानों को उनके उत्पादों को लाभकारी दाम दिलाना है।
उन्होंने कहा कि जब देशभर में 10000 नए एफपीओ बनेंगे तो किसानों को उनके उत्पादों को लाभकारी मूल्य मिलेगा, क्योंकि किसान उत्पादक के साथ-साथ व्यापार भी करेंगे और अपने उत्पादों का मूल्य खुद तय करेंगे। कैलाश चौधरी ने कहा, एफपीओ कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। किसान अब तक अपने उत्पादों को बेचने के लिए मंडी में जाते थे, जहां वे खुद अपने उत्पादों का भाव तय नहीं करते थे बल्कि व्यापारी तय करते थे।
लेकिन अब एफपीओ बनने पर वे अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करके उनका दाम भी तय करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहली बार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना किया। उनसे जब पूछा गया कि एमएसपी का लाभ सभी किसानों को नहीं मिल पाता है, क्योंकि सरकार गेहूं और धान के अलावा अन्य फसलों की खरीद बड़े पैमाने पर नहीं करती है। इस पर उन्होंने कहा कि इसीलिए एफपीओ बनाए जा रहे हैं कि किसानों को सभी फसलों का लाभकारी दाम मिल सके।
कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़े बताते हैं कि 2013-14 में एक किसान परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपए थी, जो 2016-17 में बढक़र 8,167 रुपए हो गई। उन्होंने कहा कि पीएम-किसान के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) देने का फैसला लेने से किसानों के लिए सस्ता कर्ज लेना आसान हो गया है।
(IANS)
किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए केंद्र सरकार तीन प्रमुख मसलों पर काम कर रही है, जिनमें कृषि की लागत कम करना, पैदावार बढ़ाना और किसानों को उनकी उपज का उचित व लाभकारी मूल्य दिलाना शामिल हैं। उन्होंने कहा कि हाल ही में प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के चित्रकूट से 10,000 नए किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की योजना का आगाज किया, जिसका मकसद खेती की लागत कम करने के साथ-साथ किसानों को उनके उत्पादों को लाभकारी दाम दिलाना है।
उन्होंने कहा कि जब देशभर में 10000 नए एफपीओ बनेंगे तो किसानों को उनके उत्पादों को लाभकारी मूल्य मिलेगा, क्योंकि किसान उत्पादक के साथ-साथ व्यापार भी करेंगे और अपने उत्पादों का मूल्य खुद तय करेंगे। कैलाश चौधरी ने कहा, एफपीओ कृषि के क्षेत्र में क्रांतिकारी कदम साबित होगा। किसान अब तक अपने उत्पादों को बेचने के लिए मंडी में जाते थे, जहां वे खुद अपने उत्पादों का भाव तय नहीं करते थे बल्कि व्यापारी तय करते थे।
लेकिन अब एफपीओ बनने पर वे अपने उत्पादों की प्रोसेसिंग और पैकेजिंग करके उनका दाम भी तय करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने पहली बार फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) लागत का डेढ़ गुना किया। उनसे जब पूछा गया कि एमएसपी का लाभ सभी किसानों को नहीं मिल पाता है, क्योंकि सरकार गेहूं और धान के अलावा अन्य फसलों की खरीद बड़े पैमाने पर नहीं करती है। इस पर उन्होंने कहा कि इसीलिए एफपीओ बनाए जा रहे हैं कि किसानों को सभी फसलों का लाभकारी दाम मिल सके।
कृषि राज्य मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के आंकड़े बताते हैं कि 2013-14 में एक किसान परिवार की औसत मासिक आय 6,426 रुपए थी, जो 2016-17 में बढक़र 8,167 रुपए हो गई। उन्होंने कहा कि पीएम-किसान के सभी लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) देने का फैसला लेने से किसानों के लिए सस्ता कर्ज लेना आसान हो गया है।
(IANS)
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