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सरकार का सुप्रीम कोर्ट जाने पर मंदिर-मस्जिद के पैरोकारों ने क्या कहा,जानें

khaskhabar.com : मंगलवार, 29 जनवरी 2019 10:59 PM (IST)
सरकार का सुप्रीम कोर्ट जाने पर मंदिर-मस्जिद के पैरोकारों ने क्या कहा,जानें
अयोध्या। लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने बड़ा दांव चलते हुए सर्वोच्च न्यायालय में अर्जी देकर अयोध्या में गैर-विवादित जमीन पर यथास्थिति हटाने का आग्रह किया है। इस पर अयोध्या के साधु-संतों और बाबरी मस्जिद के पैरोकार की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं।


उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी सरकार की याचिका का स्वागत करते हुए कहा कि हम केंद्र के इस कदम का स्वागत करते हैं। हम पहले भी कह चुके हैं कि गैर-विवादित जमीन के उपयोग की अनुमति मिलनी चाहिए।

राम जन्म भूमि मंदिर के पुजारी सत्येंद्र दास ने कहा कि केंद्र सरकार अविवादित 67 एकड़ अधिग्रहित भूमि को वापस ले सकती है, लेकिन गर्भगृह की विवादित जमीन पर निर्णय नहीं होता राम मंदिर का निर्माण शुरू नहीं हो पाएगा। कोर्ट लगातार तारीख देकर मंदिर-मस्जिद केस की सुनवाई टालने का कार्य कर रहा है। इस पर जल्द ही निर्णय आना चाहिए या सरकार संसद में कानून बना कर इस विवाद का निपटारा करें।

बाबरी मस्जिद के दूसरे पक्षकार हाजी महबूब ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि यह राजनीतिक खेल जिससे 1990 जैसे हालात पैदा हो सकते हैं। न्यास को जमीन देने की मंशा सरकार ने जाहिर कर दी है जबकि अधिग्रहण के मकसद में साफ कहा गया है कि जिसके पक्ष में निर्णय आएगा, उसे इसका हिस्सा आवंटित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि विवादित भूखंड को छोड़ कर कहीं भी मंदिर निर्माण कर दिया जाए हमें कोई ऐतराज नहीं है पर विवादित 2.77 एकड़ सुरक्षित रहना जरूरी है।

राम जन्म भूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. राम विलास वेदांती ने कहा कि 67 एकड़ जमीन की वापसी की याचिका केंद्र सरकार का देर से उठाया गया कदम करार देते हुए कहा कि चलो देर आए कोई बात नहीं,अच्छा कदम है। उन्होंने कहा कि यह याचिका 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी उसी समय दायर कर देनी चाहिए थी। इस समय तक राम मंदिर का निर्माण हो जाता और कोर्ट का निर्णय भी आ गया होता। कोर्ट में याचिका का निर्णय होकर अविवादित जमीन न्यास को वापस मिल जाती है तो मंदिर निर्माण शुरू कर दिया जाएगा।

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