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रमेश ध्वाला ने किया ज्वालामुखी अस्पताल का औचक निरीक्षण
धर्मशाला। सिविल अस्पताल ज्वालामुखी नाम बड़े और दर्शन छोटे साबित हो रहा है। रोजाना सैकड़ों शिकायतें पूर्व मंत्री व विधायक रमेश ध्वाला को सुनने को मिलती हैं और कई बार रमेश ध्वाला ने बी एम ओ रमन पुरी को निर्देश देकर यहां पर मरीजों को मूलभूत सुविधाएं मुुहैया करवाने के निर्देश दिये है, परंतु उसके बाबजूद भी लोगों की शिकायतें कम नहीं हो रही है जिस पर आज रमेश ध्वाला ने भाजपा नेताओं सहित सिविल अस्पताल ज्वालामुखी में अचानक औचक निरीक्षण किया जिसमें पाया गया कि स्वच्छता अभियान पूरे देश में चल रहा है परंतु यहां पर चारों और सड़ांध भरा बातावरण मरीजों व उनके साथ आये तीमारदारों के लिये परेशानी का सबब बना हुआ है।
सिविल अस्पताल में पीने के लिये पानी की व्यवस्था तक नहीं है। भवन की दीवारों से सीलन का प्रभाव है कि दीवारों का पलस्तर भी गिरता जा रहा है। वार्ड के अंदर जो शौचालय बने है उन पर ताले जड़े हुये है। प्रसूति कक्ष के शीशे टूटे पाये गये है। मच्छरों की भरमार है और मरीजों को खाना भी बेहतर नहीं मिलता है इसकी शिकायतें स्वयं मरीजों ने की है। रमेश ध्वाला ने मरीजों का हाल चाल जाना तो उन्होंने कहा कि यहां पर तो फर्श पर पोचा तक नहीं लगाया जाता है। जिस वजह से यहां का वातावरण दूषित रहता है जिससे मरीजों को परेशानी होती है।
मरीजों व उनके साथ आये तीमारदारों अंकित कथोग,आशा देवी,कमलेश घलौर, सतीश ज्वालामुखी, राकेश कुमार छोंट, अनीता देवी बस्दी कोहाला, बंटी दरंग, धु्रव कुमार देहरियां, विद्या देवी ज्वालामुखी,कुलदीप कुमार कथोग,सुभाष चंद अंब,फांदी राम सुरानी आदि ने कहा कि वे मरीजों के साथ आये है परंतु इस जर्जर हो रही सराय में चलाये जा रहे इस अस्पताल में मरीजों का इलाज नहीं हो रहा है उनकी सेहत से खिलवाड़ हो रहा है। यहां पर तो मूलभूत सुविधाएं तक नहीं है न जाने यह भवन कब गिर जाये। भवन की शीशे टूटे है पत्थर खिस्क रहे है दीवारों में सीलन है वातावरण बदबूदार है जिससे इस भवन को तुरंत खाली करके बस अड्डे के समीप मिनी सचिवालय के भवन में अस्पताल को स्थानांतरित करना समय की मांग है । सिविल अस्पताल के साथ 15 फुट गहराई करके मौत का कुआं बना दिया गया है जिसमें कई लोग गिर जाने की वजह से घायल हो चुके है। जमीन के अंदर अस्पताल का भवन बनाने की हवाई योजनाएं बनती रही और हैरानी इस बात की है कि अधिकारी वर्ग ने मुंह तक नहीं खोला।
स्थानीय लोगों मास्टर राम स्वरूप शर्मा,बाबू राम,राम लोक धनोटिया,कमल कुमार,विजय मेहता,सुभाष चंद,कुलदीप कुमार आदि ने कहा कि बस अड्डे के पास तीन करोड़ से अधिक की लागत का पुराने अस्पताल परिसर में एन आर एच एम का भवन अस्पताल के नोरम के अनुसार बना था परंतु राजनैतिक द्वेष भावना के चलते उसे तोड़ मरोड़ कर उसके स्वरूप को बदल कर मिनी सचिवालय बना दिया गया और जर्जर हो चुकी सराय जो कभी भी गिर सकती है उसमें मरीजों के लिये अस्पताल बना दिया गया।
हैरानी इस बात की है कि अस्पताल की 18 कनाल भूमि दान की थी उसको भी सचिवालय के नाम स्थानांतरित किया गया और मन्दिर की भूमि जो कानूनी स्थानांतरित नहीं हो सकती उसे भी नियमों को ताक पर रखकर अस्पताल के नाम स्थानांतरित कर दिया गया। जिससे लोगों को परेशानी हुयी चंगर के लोगों को दिक्कतें हुयी। जो घर का खाना,बिस्तर आदि बसों में भेज देते थे उन्हें सौ रूप्ये आटो रिक्शा के खर्च करके बार बार बस अड्डे में दवाई,दूध,कपड़े,फल आदि सामान लेने के लिये पैदल या आटो किराये पर लेकर आना पड़ता है।
लोगों ने प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार से आग्रह किया है कि जनता की आवाज को ईश्वर की आवाज मानकर अस्पताल को पुराने स्थान पर स्थानांतरित करके जनता को राहत प्रदान की जाये वरना जनता अपने अधिकार व न्याय की लड़ाई लडऩे पर विवश हो सकती है जिसकी जिम्मेवारी प्रदेश सरकार की होगी।
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