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राजपूत समाज ने किया मीरा के लेखक को पुरस्कार देने का विरोध
उदयपुर। राजस्थान साहित्य अकादमी के वार्षिक पुरस्कार समारोह में रविवार को एक लेखक
को सम्मान दिए जाने को लेकर राजपूत समाज के लोगों ने बखेड़ा खड़ा कर दिया। साहित्य सम्मान समारोह
स्थल पर लेखकर हरदान हर्ष का विरोध करते हुए प्रदर्शनकारियों लेखक के नाम
वाले बैनर हटवा दिया और जमकर नारेबाजी की. सम्मान समारोह के बीच इस विरोध
के चलते वहां मौजूद लेखक, कवि और आगंतुक भी सकते में आ गए. हालांकि संमझाइश
के बाद जल्द ही मामला शांत हो गया.
दरअसल, राजपूत समाज की ओर यह विरोध लेखक की कृति 'मीरा के लिए' को लेकर था। अकादमी की ओर से जयपुर के लेखक हरदान हर्ष को इस पुस्तक के लिए उन्हें कथा-उपन्यास विद्या का डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार दिया गया है। विरोध प्रदर्शन करने वालों के अनुसार इस किताब में मीरा पर विवादित शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अकादमी की ओर से इसबार का मीरा पुरस्कार दीप्ति कुलश्रेष्ठ को उनके उपन्यास 'अंधे मोड़ से आगे' पर दिया जा रहा है, वहीं अकादमी का कविता विधा का सुधीन्द्र पुरस्कार डॉ. पद्मजा शर्मा, जोधपुर को उनकी काव्य कृति मैं बोलूंगी, कथा-उपन्यास विधा का डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार हरदान हर्ष, जयपुर को उनकी कृति मीरा के लिए दिया गया है।
दरअसल, राजपूत समाज की ओर यह विरोध लेखक की कृति 'मीरा के लिए' को लेकर था। अकादमी की ओर से जयपुर के लेखक हरदान हर्ष को इस पुस्तक के लिए उन्हें कथा-उपन्यास विद्या का डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार दिया गया है। विरोध प्रदर्शन करने वालों के अनुसार इस किताब में मीरा पर विवादित शब्दों का प्रयोग किया गया है।
अकादमी की ओर से इसबार का मीरा पुरस्कार दीप्ति कुलश्रेष्ठ को उनके उपन्यास 'अंधे मोड़ से आगे' पर दिया जा रहा है, वहीं अकादमी का कविता विधा का सुधीन्द्र पुरस्कार डॉ. पद्मजा शर्मा, जोधपुर को उनकी काव्य कृति मैं बोलूंगी, कथा-उपन्यास विधा का डॉ. रांगेय राघव पुरस्कार हरदान हर्ष, जयपुर को उनकी कृति मीरा के लिए दिया गया है।
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