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नेट-थियेट पर खूब खिली राजस्थानी लोक संस्कृति
जयपुर । नेट-थियेट पर धोरा राजस्थानी फोक म्युजिक द्वारा राजस्थानी फोक फ्युजन में राजस्थान की लोक-संस्कृति उजागर हुयी। राजस्थान के सशक्त लोकजीवन की झलक लोकगीत, लोकनृत्य एवं लोक संगीत में झलकती है।
नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि धोरा राजस्थानी फोक म्युजिक के डायरेक्टर राम शर्मा के नेतृत्व में गायक सरवर खान द्वारा केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देश, नींबूडा नींबूडा व चम चम चमके चुनरी बंजारा रे जैसे लोकगीत प्रस्तुत किये तो राजस्थान की धरती की सोंधी महक प्रस्फुटित हुयी।
ललिता, पूजा, दीपिका और पूजा सपेरा ने ट्रेडिशनल चरी, घुमर नृत्य और कालबेलिया नृत्य काळयो कूद पड्यो मेळा में प्रस्तुत किया तो राजस्थान की कला एवं संस्कृति जीवंत हो उठी। लोकनृत्य की इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में पूजा सपेरा ने सात पानी से भरे मटके रखकर भवाई की सुंदर प्रस्तुति दी साथ ही भवाई नर्तक जीतू ने इथळ-पिथळ रो म्हारो देवडो पर ग्रामीण भवाई नृत्य पेश कर अपनी कला के जादू से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में रींगस का भेंरू गीत पर फायर नृत्य लोकवाद्य, लोकगीत एवं लोक नृत्य के अनुठे फ्युजन से महौल को रोमांचक बना दिया।
कार्यक्रम में ढोलक पर राम सिंह हाडा, सारंगी पर अमीरुद्दीन खान, नगाड़ा पर गिर्राज, खडताल पर महेंद्र की सधी हुयी संगत ने लोकगीत व लोकनृत्यों को सुंदरता में चार चांद लगा दिये।
नेट-थियेट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि धोरा राजस्थानी फोक म्युजिक के डायरेक्टर राम शर्मा के नेतृत्व में गायक सरवर खान द्वारा केसरिया बालम आवो नी पधारो म्हारे देश, नींबूडा नींबूडा व चम चम चमके चुनरी बंजारा रे जैसे लोकगीत प्रस्तुत किये तो राजस्थान की धरती की सोंधी महक प्रस्फुटित हुयी।
ललिता, पूजा, दीपिका और पूजा सपेरा ने ट्रेडिशनल चरी, घुमर नृत्य और कालबेलिया नृत्य काळयो कूद पड्यो मेळा में प्रस्तुत किया तो राजस्थान की कला एवं संस्कृति जीवंत हो उठी। लोकनृत्य की इन प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। कार्यक्रम में पूजा सपेरा ने सात पानी से भरे मटके रखकर भवाई की सुंदर प्रस्तुति दी साथ ही भवाई नर्तक जीतू ने इथळ-पिथळ रो म्हारो देवडो पर ग्रामीण भवाई नृत्य पेश कर अपनी कला के जादू से सबका मन मोह लिया। कार्यक्रम के अंत में रींगस का भेंरू गीत पर फायर नृत्य लोकवाद्य, लोकगीत एवं लोक नृत्य के अनुठे फ्युजन से महौल को रोमांचक बना दिया।
कार्यक्रम में ढोलक पर राम सिंह हाडा, सारंगी पर अमीरुद्दीन खान, नगाड़ा पर गिर्राज, खडताल पर महेंद्र की सधी हुयी संगत ने लोकगीत व लोकनृत्यों को सुंदरता में चार चांद लगा दिये।
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